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2024 के लोकसभा चुनाव में डालना है वोट, तो आधार से लिंक करना होगा वोटर कार्ड?

संभव है कि अगले लोकसभा चुनाव में अगर आपको वोट डालना है, तो उससे पहले अपने वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक कराना पड़े. चुनाव आयोग मतदाता पहचान पत्रों को आधार से जोड़ने की कवायद में जुटा है और अब तक 46 करोड़ वोटर्स का कार्ड आधार से लिंक हो चुका है.

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सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो

चुनाव आयोग देशभर में मतदाता पहचान पत्रों को आधार से जोड़ने में जुटा है. अब तक 46 करोड़ मतदाताओं का वोटर कार्ड आधार से लिंक हो चुका है और बहुत जल्द 50 करोड़ के आंकड़े को पूरा कर लिया जाएगा. चुनाव आयोग का मकसद है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले डुप्लीकेट मतदाताओं से मुक्त मतदाता सूची तैयार कर ली जाए. चुनाव आयोग ने 1 अप्रैल 2023 तक वोटर आईडी कार्ड की आधार से लिंकिंग पूरा करने का लक्ष्य रखा है.

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हालांकि मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने इस पूरी प्रक्रिया के बारे में मई में कहा था कि मतदाताओं के लिए वोटर कार्ड को आधार से लिंक कराना स्वैच्छिक होगा. बस उन्हें इसकी पर्याप्त वजह बतानी होगी. वहीं चुनाव आयोग के इस 'भगीरथ प्रयास' को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट भी जा चुका है.

रणदीप सुरजेवाला ने किया विरोध

जुलाई में कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसे जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ ने खारिज कर दिया और दिल्ली हाईकोर्ट जाने के लिए कहा. सुरजेवाला ने अपनी याचिका में कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटर फोटो पहचान कार्ड डाटा को आधार से जोड़ना, नागरिकों के निजता के मौलिक अधिकार का हनन करना है. ये संविधान में दिए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि आधार डाटा और मतदाता पहचान पत्र का डाटा जोड़ने से मतदाताओं की व्यक्तिगत और निजी जानकारी एक वैधानिक प्राधिकरण को उपलब्ध होगी. मतदाताओं को चुनाव आयोग के सामने अपनी पहचान स्थापित करने के लिए अपने आधार की पूरी जानकारी पेश करनी होगी.

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पता चलेगी असली मतदाताओं की संख्या

चुनाव आयोग का कहना है कि आधार और वोटर कार्ड के लिंक होने के बाद देश में असली मतदाताओं की संख्या का पता चलेगा. इससे किसी चुनाव में मतदान का वास्तविक प्रतिशत और औसत पता चलेगा. इसका उदाहरण देते हुए चुनाव आयोग से जुड़े एक सूत्र ने समझाया कि अगर किसी बूथ पर पांच सौ मतदाता हैं और तीन सौ लोग मतदान करते हैं. ऐसे में अगर सौ मतदाता डुप्लिकेट सूची में हैं, तो वोट प्रतिशत 60 होगा. वहीं डुप्लिकेट मतदाताओं को हटाने के बाद बूथ पर असली मतदाता चार सौ रहेंगे और तीन सौ के गणित के हिसाब से वोट प्रतिशत 75 हो जाएगा.

उत्तर भारत में ज्यादा डुप्लिकेट वोटर्स

सूत्र ने बताया कि देश में अभी लाखों मतदाता ऐसे हैं, जिनके नाम एक से ज्यादा जगहों की मतदाता सूची में दर्ज हैं. लोग पैतृक गांव, महानगर और उपनगर में स्थित पते पर मतदाता पहचान पत्र बनवा कर वोट दे रहे हैं. इनमें से कई जहां अलग-अलग राज्यों में हैं, तो कुछ मामलों में ये एक ही जिले या क्षेत्र के हैं, जहां एक ही चरण में मतदान होता है. ऐसे में ये वोटर्स कई उम्मीदवारों का खेल बनाते-बिगाड़ते हैं.

सूत्र का कहना है कि उत्तर भारत में एक से ज्यादा मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने वाला ट्रेंड ज्यादा है. उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार, उत्तराखंड और झारखंड जैसे राज्यों एवं दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और कोलकाता जैसे महानगरों में प्रवासी मतदाताओं की संख्या लाखों में है. इन राज्यों के लोग राजनीतिक तौर पर अत्यधिक संवेदनशील होने की वजह से स्थानीय राजनीति पर भी पकड़ नहीं छोड़ना चाहते और जहां नौकरी-पेशा कर रहे हैं, वहां पर भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना चाहते हैं. एक बार वोटर कार्ड और आधार कार्ड लिंक हो जाएगा, तो उसके बाद चुनाव आयोग अंतरराज्यीय स्तर पर भी मतदाता सूची का मिलान करेगा. चुनाव आयोग का लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव नई सूची के आधार पर कराना है. 

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देश में 92 करोड़ मतदाता

चुनाव आयोग के अब तक के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में करीब 92 करोड़ मतदाता हैं. इनमें 2 करोड़ मतदाता 18 से 19 साल की उम्र वाले हैं, जो पहली बार वाले अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे. हालांकि इस अभियान पर कई सवाल उठे हैं. मामला अदालत तक गया है जहां आयोग और सरकार दोनों ने ही आधार-वोटर कार्ड लिंकिंग स्कीम को स्वैच्छिक बताया है.

इस अभियान को चुनौती देने वालों की दलील है कि जब आधार कार्ड ही नकली और डुप्लीकेट हैं, तो वोटर कार्ड से लिंक कराने का क्या मतलब है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर के वरिष्ठ पदाधिकारी प्रोफेसर जगदीप छोकर के मुताबिक तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में आधार-वोटर कार्ड लिंकिंग की वजह से 25 लाख ऐसे वोटरों के नाम काट दिए गए, जिनके पास आधार नहीं थे या फिर आधार में डाटा सही नहीं था. या फिर आधार कार्ड बनाने वालों ने डाटा एंट्री में गलतियां की थीं. ये हाल सिर्फ दो राज्यों का है.


 

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