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आज का दिन: किस मामले में गिरफ्तार हुए दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन?

Aaj Ka Din: दिल्ली में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन को इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने गिरफ्तार कर लिया. मामला करप्शन और हवाला का है, जो कोलकाता की एक कंपनी से जुड़ा है, जिस पर जांच चल रही थी. वहीं, असम सरकार ने अपनी कैबिनेट बैठक में राज्य के छह धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रमाणपत्र जारी करने का फैसला किया.

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सत्येंद्र जैन (File Photo)
सत्येंद्र जैन (File Photo)

आजतक रेडियो' के मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में सुनेंगे- दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को किस मामले में गिरफ्तार किया गया है? इसके साथ ही हम जानेंगे कि असम सरकार 6 धर्मों को अल्पसंख्यक में शामिल क्यों कर रही है?

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आजतक रेडियो पर हम रोज़ लाते हैं देश का पहला मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट ‘आज का दिन’, जहां आप हर सुबह अपने काम की शुरुआत करते हुए सुन सकते हैं आपके काम की ख़बरें और उन पर क्विक एनालिसिस. साथ ही, सुबह के अख़बारों की सुर्ख़ियां और आज की तारीख में जो घटा, उसका हिसाब किताब. आगे लिंक भी देंगे, लेकिन पहले जान लीजिए कि आज के एपिसोड में हमारे पॉडकास्टर अमन गुप्ता किन ख़बरों पर बात कर रहे हैं.

किस मामले में गिरफ़्तार हुए सत्येंद्र जैन?

दिल्ली के हेल्थ मिनिस्टर सत्येंद्र जैन को कल इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने गिरफ्तार कर लिया. मामला करप्शन और हवाला का है, जो कोलकाता की एक कंपनी से जुड़ा है, जिस पर जांच चल रही थी. दो महीने पहले सीबीआई ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने के बाद जैन के परिवार और फर्मों से रिलेटेड चार करोड़ इक्यासी लाख रुपए की अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया था. 

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दरअसल, सीबीआई ने अगस्त 2017 में केस दर्ज किया था, जिसके बाद ये केस ED को ट्रांसफर कर दिया गया. वहीं, इस मामले पर अब राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है. भाजपा ने आप पर तंज मारते हुए कहा कि ये है ईमानदार सरकार के ईमानदार नेता. दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी के नेता और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे बदले की कार्रवाई बताया है. उनका कहना है कि आठ साल से झूठा केस चलाया जा रहा था. तो अब इन सभी आरोपों के बीच सबसे पहले तो इस केस पर बात करते हैं कि सत्येंद्र जैन के खिलाफ सालों से चल रहा है ये मामला है क्या, जिसमें उन्हें कल गिरफ्तार किया गया? 

6 धर्मों को अल्पसंख्यक में शामिल क्यों कर रही असम सरकार?

असम सरकार ने रविवार को अपनी कैबिनेट बैठक में राज्य के छह धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रमाणपत्र जारी करने का फैसला किया. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री केशव महंत ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि मंत्रिमंडल ने मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र जारी करने का फैसला किया है. इसके साथ ही असम देश में अल्पसंख्यकों को प्रमाणपत्र देने वाला पहला राज्य होगा. बीते महीने अल्पसंख्यक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस भी हुई थी. जिसमें याचिकाकर्ता का कहना था कि अल्पसंख्यकों को अलग अलग जगहों की आबादी के हिसाब से परिभाषित किया जाए. 

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जब कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पर उनका जवाब मांगा तो केंद्र ने कहा था कि इसपर नियम बनाने के लिए राज्य खुद स्वतंत्र हैं. जिसके बाद असम सरकार ने अल्पसंख्यक को जिला स्तर पर परिभाषित करने की बात कही थी. और अब छह अल्पसंख्यक समुदायों को उन्होंने अल्पसंख्यक का सर्टिफिकेट देने की घोषणा की है. आंकड़ों की बात करें तो साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, हिंदुओं की तादाद असम की कुल आबादी का करीब 61 फीसदी है. उसके बाद करीब 34 फीसदी की आबादी मुस्लिमों की है. तीसरे नंबर पर ईसाइयों की तादाद है... 3.74 फीसदी, जबकि बौद्ध, सिख और जैन समुदाय की आबादी एक फीसदी से भी कम हैं असम में. तो अल्पसंख्यकों को सर्टिफिकेट देने के फैसले के पीछे सरकार का तर्क क्या है?

अर्ली मॉनसून का अर्थव्यवस्था पर असर

मौसम विभाग ने कहा कि इस बार देश में अर्ली रेनफॉल होगा. हमने देखा है कि असम में बारिश ने कैसे तबाही मचा रखी है, लोगों को कई तरह के संकट का सामना करना पड़ रहा है. खेती को सबसे ज्यादा नुकसान बताया जा रहा है. केरल में भी चार दिनों में मानसून आने की बात कही जा रही है. लेकिन कई जानकार बता रहे हैं कि अर्ली रेनफॉल का नुकसान इस बार सबसे ज्यादा खेती को उठाना पड़ेगा, लेकिन क्या वाकई ऐसा होगा, ये एक सवाल है, क्योंकि भारत में 50 फीसदी से ज्यादा लोग डॉयरेक्टली या इन डॉयरेक्टली खेती पर निर्भर हैं, जो अर्थव्यवस्था का करीब बीस फीसदी है. ये आंकड़ा 2019-20 में करीब 18 फीसदी था. 

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इन्फ्लेशन और इकोनॉमी से भी अर्ली मानसून को जोड़ा जा रहा है. कुछ दिनों पहले ही भारत ने गेहूं की बढ़ती कीमत के कारण इसके एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था, जिसके बाद कई देशों ने इसको लेकर आपत्ति भी जाहिर की थी. कई राज्यों के किसान भी इस व्यवस्था के ख़िलाफ़ थे. अब क्योंकि अर्ली मॉनसून की बात कही गई है, तो ये जानना दिलचस्प होगा कि क्या वाकई में इसका कोई असर इनफ्लेशन या इकोनॉमी पर देखने मिलता है या नहीं? 

कैसे छोड़ें तम्बाकू?

WHO के सदस्य देशों ने 1987 में 31 मई को World No Tobacco Day के रूप में मनाने के लिए सहमति जताई थी.  हर साल सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को तंबाकू के उपयोग को रोकने वाले प्रयासों और योगदान के लिए डब्लूएचओ उन्हें सम्मानित करता है. इस साल, WHO ने झारखंड को इस पुरस्कार के लिए चुना है. हमने अक्सर सुना है कि तंबाकू की वज़ह से फेफड़ों का कैंसर हो सकता है, जो ज्यादातर सिगरेट पीने के इतिहास वाले लोगों को प्रभावित करता है. फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित लगभग 80 से 90 प्रतिशत लोगों का तंबाकू धूम्रपान का इतिहास रहा है. 

आंकड़े पर गौर करें तो डब्ल्मूएचओ ग्रोफर रयऩोटा 2012 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 30 साल से ज्यादा आयु के लोगों की हुई मौतों में सात फीसदी मौत तंबाकू की वज़ह से हुई हैं. पिछले 8-9 साल में तंबाकू से मौत का आंकड़ा तीन गुना बढ़ा है. यह आंकड़ा कनाडा की यार्क यूनिवर्सिटी की रिसर्च में सामने आया था. रिसर्च के मुताबिक, दुनियाभर में तम्बाकू की वजह से होने वाली बीमारियों के 70 फीसदी मरीज़ सिर्फ भारत में हैं. तो अब सवाल ये है कि कैंसर सबसे ज्यादा किस वजह से होता है? क्या स्मोकिंग की वज़ह से कई और तरह के कैंसर भी होते हैं? अगर किसी को तंबाकू का छोड़ना हो, तो कौन-कौन से उपाय हैं? 

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इन ख़बरों पर विस्तार से चर्चा के अलावा ताज़ा हेडलाइंस, देश-विदेश के अख़बारों से सुर्खियां, आज के दिन की इतिहास में अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.

31 मई 2022 का 'आज का दिन' सुनने के लिए यहां क्लिक करें...

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