रूस ने पूर्वी यूक्रेन के दो राज्य, लुहांस्क-डोनेत्स्क को अलग देश का दर्जा देने का ऐलान कर दिया और साथ ही दोनों राज्यों में शांति कायम रखने के लिए अपनी फौज भी भेज दी. इसके बाद तो जैसे दुनिया की राजनीति में उथल पुथल मच गई. ब्रिटेन ने रूस के पांच बैंकों पर पाबंदिया लगा दीं, जर्मनी ने नैचुरल गैस पाइप लाइन प्रोजेक्ट ‘नॉर्ड स्ट्रीम 2’ को फिलहाल बंद करने का ऐलान कर दिया, जिसका दूसरे फेज का काम चल रहा था और इसके पूरे हो जाने के बाद रूस हर साल इससे करोड़ों डॉलर कमा सकता था लेकिन अब मामला अटक गया. जो बाइडेन ने भी भारतीय समय के हिसाब से देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस करके रूस पर कड़े प्रतिबंधों का ऐलान किया, जिसमें एक प्रमुख ये है कि अब रूस को पश्चिमी देशों से मिलने वाली आर्थिक मदद बंद हो जाएगी.
इस मसले पर बाइडेन ने कहा है कि अगर रूस यूद्ध करता है तो ऐसे और कड़े वित्तीय प्रतिबंध लगाए जाएंगे, जिससे रूस की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचे. उन्होंने ये भी कहा कि अगर रूस ने आगे क़दम बढ़ाया तो अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ मिलकर जवाब देगा. वहीं रूस-यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के बीच क्रूड ऑयल की कीमत भी आठ साल के सबसे हाईएस्ट रेट पर चली गई है. बहरहाल, इस तनाव में कई देश अगर रूस के ख़िलाफ रहें तो सेंट्रल एशिया के सारे देश रूस के समर्थन में दिखे. बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में क्यूबा, वेनेज़ुएला जैसे देश भी रूस के समर्थन में उतर सकते हैं. वहीं भारत ने अभी तक अपना पोजीशन को न्यूट्रल रखा है, लेकिन इस बात पर चर्चा हो रही है कि आने वाले कुछ दिनों में भारत इसपर और क्लेरिटी के साथ फैसला ले सकता है, तो ऐसे में ये जानना बेहद दिलचस्प होगा कि रूस और यूक्रेन में से भारत किसके साथ खड़ा होता दिखाई दे सकता है और इसका कारण क्या होगा?
जातीय समीकरण की रणनीति से क्यों हटी भाजपा?
यूपी विधानसभा चुनाव के तीन चरण की वोटिंग के बाद आज 59 सीटों पर चौथे चरण की वोटिंग हो रही है. इन सीटों के बारे में कहा जा रहा है कि यहां दलित आबादी निर्णायक भूमिका में है. नॉन यादव ओबीसी वोटर्स की भी संख्या अच्छी ख़ासी है. वहीं इस बात पर भी जोर है कि कहीं बसपा की कम सक्रियता उसके पारम्परिक वोट बैंक को सपा की तरफ भी ना धकेल दे. योगी सरकार के आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रियों सहित कई बीजेपी नेताओं की इस चरण में परीक्षा है तो सपा, बसपा और कांग्रेस के हाई प्रोफाइल नेताओं की किस्मत भी आज ही तय होगी. लखनऊ की सरोजिनी, रायबरेली सदर की सीट, ऊंचाहार, हरदोई ऐसी कई सीटें हैं, जहां से बड़े नाम मैदान में है. इस चरण की वोटिंग में अर्बन वोटर्स की एक बड़ी आबादी है, जिसे लुभाने के लिए बीजेपी ने लगातार राष्ट्रवाद के इर्दगिर्द की बातें की. पीएम का साइकिल का आतंकी घटनाओं से कनेक्शन बताने का बयान भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. सवाल ये है कि बीजेपी की राष्ट्रवाद के मुद्दे को चुनाव के केंद्र में रखने की रणनीति चौथे चरण के वोटिंग में कितना बड़ा फैक्टर बन सकती है? और बीजेपी जो पिछले तीन चरणों में जाति समीकरण की गोटी फिट करने में लगी थी वो वापस से राष्ट्रवाद के मुद्दे पर क्यों आ गई है?
नैया पार लगाने की जुगत में छोटी पार्टियां
यूपी चुनाव में सपा, भाजपा पर ख़ूब बात होती रहती है. लेकिन जो और दूसरे पोल्स हैं. चाहें वो साइलेंट मायावती हों, वोकल असदुद्दीन ओवैसी या फिर अपनी राजनीतिक बांट जोह रही कांग्रेस. इनपर थोड़ी कम बात होती है. 2017 में 100 मुस्लिम उम्मीदवारों के साथ उतरी मायावती ने इस दफा 90 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव में उतारे हैं. वहीं असदुद्दीन ओवैसी भी इस दफा 100 सीटों पर दाव आजमा रहे हैं. दूसरी ओर पिछले विधानसभा चुनाव में 144 सीटों पर लड़ी कांग्रेस इस बार 402 सीटों पर मैदान में है. तो अब बीजेपी, सपा के साथ-साथ अपनी पारी खेल रही ये पार्टियां इस चुनाव में किसका खेल बना रहे हैं और किसका बिगाड़ रहे हैं?
केजरीवाल के घर के बाहर विरोध-प्रदर्शन के मायने
31 जनवरी से हज़ारों की संख्या में आंगनवाड़ी की महिला वर्कर्स वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर केजरीवाल सरकार के ख़िलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठी हुई हैं. रोजाना दिल्ली के अलग-अलग गांव कस्बों से यह महिलाएं पैदल और बसों में सवार होकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन में शामिल होती हैं और अपनी मांग रखती हैं. 21 फरवरी को दिल्ली सरकार ने आंगनवाड़ी वर्कर्स को बातचीत का न्योता भी भेजा था उसे स्वीकार क्यों नहीं किया?
इन ख़बरों पर विस्तार से चर्चा के अलावा ताज़ा हेडलाइंस, देश-विदेश के अख़बारों से सुर्खियां, आज के इतिहास की अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.
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