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आजतक ने क्लासिक रेट्रो स्टाइल में बनी फिल्मों के साथ लॉन्च किया #AajTakSabseTez कैंपेन

निर्विवाद रूप से देश के नंबर 1 न्यूज चैनल आजतक ने 20 सालों तक अपनी ‘सबसे तेज स्टाइल में एक मकाम हासिल किया है. दो दशक से भी ज्यादा समय से दर्शकों के अटूट भरोसे के साथ आजतक एक ऐसा घरेलू नाम बन चुका है, जो सच कहने से कभी नहीं कतराया. आजतक अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को लेकर प्रतिबद्ध है, जो इस तरह के स्टंट कभी नहीं करेगा और सच की अलख जगाए रखेगा, जैसा की आजतक ने पिछले ‘बेमिसाल बीस सालों में किया है.

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आज तक ने #AajTakSabseTez नाम से एक कैंपेन शुरू किया है.
आज तक ने #AajTakSabseTez नाम से एक कैंपेन शुरू किया है.

निर्विवाद रूप से देश के नंबर 1 न्यूज चैनल आजतक ने 20 सालों तक अपनी ‘सबसे तेज स्टाइल में एक मकाम हासिल किया है. दो दशक से भी ज्यादा समय से दर्शकों के अटूट भरोसे के साथ आजतक एक ऐसा घरेलू नाम बन चुका है, जो सच कहने से कभी नहीं कतराया. आजतक ने #AajTakSabseTez नाम से एक कैंपेन शुरू किया है जो देश में मौजूदा समाचार चैनलों के माहौल पर तीखा और दिलचस्प व्यंग्य करता है. फेक न्यूज के दौर में आजतक का ये कैंपेन कुछ चैनलों की बेपरवाह रिपोर्टिंग के मानकों को मनोरंजक ढंग से पेश करता है. आज तक अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को लेकर प्रतिबद्ध है, जो इस तरह के स्टंट कभी नहीं करेगा और सच की अलख जगाए रखेगा, जैसा की आज तक ने पिछले ‘बेमिसाल बीस सालों में किया है.

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जाने-माने लेखक और निर्देशक प्रदीप सरकार के निर्देशन में बने इस कैंपेन में 5 छोटी फिल्में हैं. इनके विषय हैं- भोले-भाले दर्शकों को मसालेदार खबरें परोसना, सनसनी फैलाना, सुविधाजनक सच का चुनाव, अफवाह फैलाना और एकतरफा ख़बरें परोसना. अपनी बात कहने के साथ ही ये फिल्में आपको हंसाएंगी. इस कैंपेन सीरीज की पहली फिल्म है ‘सच का बैंड’. इन फिल्मों के द्वारा यह कैंपेन खबर-प्रेमियों को कुछ मजेदार कहानियों के सहारे सच बताएगा.

भारत में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला और सबसे भरोसेमंद न्यूज़ चैनल होने के नाते आजतक और इसके साहसी पत्रकारों ने दर्शकों के सामने हर बड़ी घटना का हर पक्ष पेश किया है. ऐसे समय में, जब कई न्यूज चैनलों का झुकाव जगजाहिर है, आजतक ने ब‍िना कभी पक्षपात क‍िए बीच का रास्ता अपनाया है. जैसे-जैसे शोर-शराबा बढ़ता है, एक ऐसे साझा मंच की जरूरत बढ़ती जाती है जहां सभी पक्षों को सुना जा सके. एक ऐसी जगह की जरूरत होती है जहां लोग सहमत या असहमत हो सकते हों. ये वक्त का तकाजा है. आजतक ऐसी ही जगह है जहां सबको सुना जा सकता है और एक स्वस्थ संवाद हो सकता है.

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अगर समाज में जीवंत संवाद न हो तो वह समाज कैसा? ये फिल्में आपको दिखाएंगी कि कैसे आज तक सच के साथ चलता है और यकीनन, ये फिल्में देखकर आपके चेहरे पर मुस्कान बिखर जाएगी.

इस कैंपेन की पहली फिल्म आप यहां देख सकते हैं

 

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