ममता एक दफा फिर से खेला होबे वाले मूड में हैं. मगर इस बार लक्ष्य पश्चिम बंगाल की राजनीति नहीं बल्कि केंद्र की राजनीति है और निशाने पर भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस है. पिक्चर थोड़ा क्लियर करते हैं. कुछ दिनों पहले कीर्ति आज़ाद, अशोक तनवर, पवन कल्याण जैसे बड़े नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी छोड़ टीएमसी का दामन थामा. मेघालय में तो एक साथ 12 कांग्रेसी विधायकों ने टीएमसी ज्वाइन कर ली जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा भी शामिल थे और बिना चुनाव लड़े ही ममता की पार्टी मेघालय में विपक्ष की भूमिका में आ गई.
कांग्रेस से किनारा कर रहीं ममता बनर्जी
इसके अलावा बिहार, हरियाणा, गोवा, त्रिपुरा पर भी टीएमसी की लगातार नज़र है. लेकिन ममता की इस विस्तारवादी नीति के बीच एक बात सभी को खटक रही है, और वो है कांग्रेस से उनका किनारा करना. इसे आप ऐसे समझे कि ममता हर राज्य का दौरा कर रही हैं, जहां वो विपक्ष के नेताओं से मुलाकात कर रही हैं. लेकिन अपने दिल्ली दौरे के दौरान वो भाजपा के नेताओं तक से मिलती नज़र आई लेकिन सोनिया गांधी से वो दूर रहीं. इधर संसद का विंटर सेशन शुरू होने से पहले विपक्ष की बैठक हुई जिसकी अगुआई कांग्रेस कर रही थी उसमें भी टीएमसी गै़रमौजूद रही. और कल महाराष्ट्र दौरे के दौरान शरद पवार से मुलाकात के बाद ममता ने कहा कि अब इस देश में कोई यूपीए नहीं है. इस बयान के आने के बाद राजनीति के जानकार कई थ्योरीज दे रहे हैं, लेकिन बात समझने वाली यहां ये है कि ममता किस तरह की राजनीति कर रही है और वो हासिल क्या करना चाह रही हैं? क्या 2024 लोकसभा की लड़ाई एक विपक्ष के तौर पर कांग्रेस के बिना संभव है?
आप और कांग्रेस के बीच शिक्षा के मोर्चे पर लड़ाई
पंजाब में विधानसभा चुनाव क़रीब आ चुके है. चुनाव प्रचार अपने चरम पर है और आरोप प्रत्यारोप का दौर भी चल रहा है. अनूठी बात ये है कि इस चुनाव प्रचार में हमले और जवाबी हमले शिक्षा व्यवस्था पर हो रहे हैं. कल दिल्ली के डिप्टी CM और शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया अचानक पंजाब के रोपड़ जिले पहुंच गए. उन्होंने यहां CM चरणजीत चन्नी के विधानसभा क्षेत्र चमकौर साहिब के सरकारी स्कूलों का जायजा लेना शुरू कर दिया. सिसोदिया ने वहां के स्कूलों की स्थिति का लाइव टेलीकास्ट भी सोशल मीडिया पर कर दिया.
इससे पहले चन्नी को आम आदमी पार्टी के नेताओं ने नकली केजरीवाल बताया था. इधर केजरीवाल भी पंजाब चुनाव प्रचार में दिल्ली के विकास के काम गिनवाते हुए पंजाब की बदहाली को कोसते हैं और फिर चन्नी उसे नकारते हैं. मुद्दों पर बात करते हुए ऐसा चुनाव प्रचार एक लंबे समय बाद देखा जा रहा है. विपक्ष के नेताओं का औचक दौरा और फिर सरकार की कमियां दिखाना निश्चित ही चन्नी सरकार की मुश्किलें बढ़ाए हुए है. लेकिन अब ये जानना बड़ा दिलचस्प होगा कि आप और कांग्रेस के बीच शिक्षा के मोर्चे पर ये लड़ाई कब और कैसे शुरू हुई?
डेल्टा वेरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है ओमिक्रॉन
कुछ हफ्ते पहले साउथ अफ्रीका में कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट पाया गया 'ओमिक्रान', जिसके बाद देश-विदेश के साइंटिस्ट्स ने इसको लेकर लोगों को आगाह किया और बताया कि कोरोना का ये नया वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है और शायद वैक्सीन भी इस वेरिएंट पर ज्यादा प्रभावी ना हो. लेकिन फिलहाल इन बातों की पुष्टि नहीं हो पायी है और ये बातें ओमीक्रान के 20 से भी ज्यादा म्यूटेशन के आधार पर कही जा रही हैं. बरहाल, ओमिक्रान वेरिएंट के सामने आने के बाद अमेरिका, कनाडा, यूरोप, सिंगापुर, जापान, न्यूज़ीलैंड जैसे कई देशों ने इसके ख़तरे को देखते हुए साउथ अफ्रीका से आने वाली फ्लाइट्स या फिर इंटरनेशनल फ्लाइट्स को बैन कर दिया.
इन सब के बाद ये कयास लगाए जाने लगे कि भारत सरकार ने जिन 14 देशों को भारत आने-जाने की अनुमति दी हुई है उसे वो बैन कर सकती है क्योंकि इन 14 देशों में एक नाम साउथ अफ्रीका का भी है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं, बल्कि सरकार नए कोविड गाइडलाइन्स के साथ आई, जिसमें क्वेरिंटीन नियमों को पहले से ज्यादा सख़्त किया गया है और ये नियम बुधवार से लागू भी हो गए हैं. इसके साथ ही कल भारत सरकार ने 14 देशों के अलावा बाकी इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर लगाए बैन को 15 दिसंबर तक बढ़ा दिया है. इन तमाम बातों के बाद अब यहां सवाल ये है कि जब बाकी देश इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर बैन लगा रहे हैं तो उस समय भारत इंटरनेशनल या फिर साउथ अफ्रीका से आने वाली फ्लाइट्स पर बैन क्यों नहीं लगा रही? और कोरोना को लेकर नई गाइडलाइंस के क्या लूप होल्स हैं?
क्या है यूपी में ज्ञानपुर सीट की कहानी
अगले साल 403 विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं. इन 403 सीटों में से 160 सीटें प्रदेश में निषाद डोमिनेटेड सीट्स हैं जो ज़ाहिर तौर पर एक बड़ा वोट बैंक है. यूपी की 160 निषाद डोमिनेटेड विधानसभा सीटों में से एक सीट है ज्ञानपुर की जो भदोही लोक सभा Constituency में आती है. और इस सीट की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट से निषाद पार्टी ने अपना खाता खोला था. हुआ कुछ यूं था कि निषाद पार्टी यूपी में कुल 62 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन उसे जीत केवल भदोही में मिली. विधायक बने विजय कुमार मिश्रा. फिर साल 2019 में निषाद पार्टी एनडीए का हिस्सा हो गई. अब एक बार फिर चुनाव हैं तो इस बार वहां क्या माहौल रहने वाला है?
इन ख़बरों पर विस्तार से चर्चा के अलावा ताज़ा हेडलाइंस, देश-विदेश के अख़बारों से सुर्खियां, आज के इतिहास की अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ
2 दिसंबर 2021 का 'आज का दिन' सुनने के लिए यहां क्लिक करें