'आजतक रेडियो' के मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में आज हम चर्चा करेंगे क्या बूस्टर से अलग होगी प्रिकॉशनरी डोज़? AFSPA की वजह से नॉर्थ ईस्ट में सुधार हुआ है या स्थिति बिगड़ी? ईरान के साथ न्यूक्लियर डील पर वर्ल्ड पॉवर्स की बैठक में भारत के कौन से हित छिपे हैं? साउथ अफ्रीका दौरे पर भारत की शानदार शुरुआत में कौन से फ़ैक्टर्स ने काम किया?
आजतक रेडियो पर हम रोज़ लाते हैं देश का पहला मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट ‘आज का दिन’, जहां आप हर सुबह अपने काम की शुरुआत करते हुए सुन सकते हैं आपके काम की ख़बरें और उन पर क्विक एनालिसिस. साथ ही, सुबह के अख़बारों की सुर्ख़ियाँ और आज की तारीख में जो घटा, उसका हिसाब किताब. आगे लिंक भी देंगे लेकिन पहले जान लीजिए कि आज के एपिसोड में हमारे पॉडकास्टर अमन गुप्ता किन ख़बरों पर बात कर रहे हैं?
क्या बूस्टर से अलग होगी प्रिकॉशनरी डोज़?
ओमिक्रॉन से दुनिया भर में मच रही हाय तौबा के बीच भारत में जो सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है वो है बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर, क्योंकि ये एक ऐसा तबका है जिसे अब तक वैक्सीन नहीं लग सका है. खैर, इसको लेकर दुनिया भर में ट्रॉयल्स भी किए जा रहे है. इसी बीच शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 3 जनवरी 2022 से देश में 15-18 साल तक के बच्चों को वैक्सीन दी जाएगी, साथ ही जो फ्रंट लाइन वर्कर्स हैं, डॉक्टर्स हैं, 60 साल से ज्यादा उम्र के बुज़ुर्ग हैं, इन सब को precautionary dose दी जाएगी. दूसरी तरफ ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने भारत बायोटेक की बच्चों के लिए तैयार की गयी कोवैक्सिन के इमरजेंसी यूज की मंजूरी दे दी है, जिसके बाद अब ये वैक्सीन 12 से 18 साल तक के बच्चों को लगाई जा सकेगी. बात अगर देश में हो रहे वैक्सीनेशन की करें तो इस साल 16 जनवरी से कोविड वैक्सीनेशन शुरू हुआ और अब तक एडल्ट्स आबादी में से 61% से ज्यादा को वैक्सीन की दोनों डोज लगाई जा चुकी हैं तो वहीं करीब 90% एडल्ट्स को वैक्सीन की पहली डोज लगी है. उधर ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा, डेनमार्क जैसे तीन दर्जन से ज्यादा देशों ने बच्चों को वैक्सीनेट करना शुरू कर दिया है. लेकिन इन तमाम कथन को जानने बूझने के बाद बात को एक दफा फिर से ले चलते हैं precautionary dose पर, जिसे भारत सरकार ने देने की बात कही है. तो क्या ये precautionary dose, वाकई बूस्टर डोज से अलग होगा या ये कोई दूसरी नई वैक्सीन भी हो सकती है?
AFSPA की वजह से नॉर्थ ईस्ट में सुधार हुआ है या स्थिति बिगड़ी?
दिन विन तो बदलते रहते हैं, चीज़े होती रहती हैं लेकिन कई एक हादसे, घटनाएं दर्ज़ हो जाती हैं जैसे, हमेशा के लिए. उन्हें आसानी से भूल पाना संभव नहीं. ऐसी घटना इस महीने के शुरू में 4 December को नागालैंड में हुई. सुरक्षा बलों ने उग्रवादी समझ मोन जिले के एक गाँव से गुजर रही गाड़ी पर फायरिंग कर दी, जब तक ये समझ आता कि इन्फॉर्मेशन ग़लत थी, तब तक 14 नागरिकों की जान चली गयी. इस गोलीबारी के बाद अफस्पा यानी आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पॉवर एक्ट को हटाने की माँग ने ज़ोर पकड़ लिया. नॉर्थ ईस्टर्न राज्यों के मुख्यमंत्री सामने आएं और अफस्पा को वापस लेने की बात कही. अफस्पा दरअसल, 1958 का एक एक्ट है जिसके तहत सुरक्षा बलों को स्पेशल अधिकार होता है और वे इस एक्ट के तहत कानून तोड़ने वाले व्यक्ति पर गोली तक चला सकते हैं. लिहाज़ा, इस बेहद कड़े कानून को वापस लेने के लिए खूब शोर हुआ.
इसी बात के सभी पहलुओं को समझने के लिए 23 दिसम्बर को गृह मंत्री अमितशाह की अध्यक्षता में एक बैठक हुई. जिसमे नगालैंड के मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम, असम के मुख्यमंत्री समेत कुछ और लोग शामिल हुए. नागालैंड सरकार ने कहा है कि केन्द्र सरकार ने अफस्पा के विथड्रॉल को लेकर एक कमिटी बनाई है जो सभी सूरत ए हाल समझ 45 दिन में रिपोर्ट अपनी सौंपेंगी. तो अभी अफस्पा उत्तरपूर्व में कहाँ कहाँ लागू है और क्या नागालैण्ड का केस कुछ अलग है जो भारत सरकार ने यहाँ अफस्पा के हटाने की दिशा में एक पहल की है?
ईरान के साथ न्यूक्लियर डील पर वर्ल्ड पॉवर्स की बैठक में भारत के कौन से हित छिपे हैं?
अशांत दुनिया में शांति की बात बिन मिडिल ईस्ट के नहीं हो सकती. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का ऐसा केंद्र जहाँ अमेरिका और रूस जैसी बड़ी वैश्विक ताकतों ने अपने इकोनॉमिक और स्ट्रेटजेक इंटरेस्ट के लिए सब कुछ किया. और इस पूरे खित्ते की बात बिन ईरान के नहीं कर सकते आप. जो 1934 से पहले पर्सिया हुआ करता था और आज के ही दिन उसे ईरान नाम मिला था. देखिए आज मैंने आज के इतिहास वाले हिस्से पर आने से पहले ही एक बात तो बता ही दी और हाल के बरसों में ईरान और उसके साथ न्यूक्लियर डील जुड़ गया . 2015 में डील हुई थी ईरान और ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और यूएसए जैसे वर्ल्ड पावर्स के बीच., समझौते के तहत ईरान को अपनी न्यूक्लियर एक्टिविटीज को सीमित करना था. साल 2018 में अमरीकी ट्रम्प सरकार ने ख़ुद को इस समझौते से अलग कर लिया और ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लाद दिए. ईरान की अर्थव्यवस्था चरमरा गई. ईरान ने भी डील के शर्तों का उल्लंघन करना शुरू किया. उधर 21 आते-आते सरकार बदल गयी थी अमरीका में और चीन में भी. ऐसे में, यूरोपियन देश ऑस्ट्रीया की राजधानी वियना में अप्रैल और जून के बीच 6 दौर की बातचीत हुई लेकिन बेनतीजा रही, फिर 29 नवंबर को भी एक मर्तबा प्रयास किया गया. अब आज से फिर, इस दिशा में एक और दौर की बातचीत शुरू होनी है. ऐसे में, अभी बातचीत किस स्टेज में है और जैसा कि उम्मीद जताया जा रहा है क्या बातचीत एक एग्रीमेंट की तरफ बढ़ सकती है? भारत के हित में क्या है?
साउथ अफ्रीका दौरे पर भारत की शानदार शुरुआत में कौन से फ़ैक्टर्स ने काम किया?
बस एक एक-दो हफ्ते पहले का ही वाक्या है, कोहली वर्सेज बीसीसीआई का बाज़ार गर्म था. बाते होने लगीं कि टीम में हो रही इस अगर मगर का असर दक्षिण अफ्रीका दौरे पर ना दिखने लगे! फिर जैसे तैसे मामला रफा दफा हुआ और इन्ही कथन, चिंतन के बीच कल साउथ अफ्रीका और भारत का पहला टेस्ट मैच शुरू हुआ. टेस्ट का नाम है बॉक्सिंग डे टेस्ट. मैच के पहले दिन भारत ने टॉस जीता और बल्लेबाजी करने का फैसला किया. बैटिंग करने आए मयंक अग्रवाल और के.एल राहुल. ने पहले विकेट के लिए 117 रनों की शतकीय साझेदारी की. पारी आगे बढ़ी तो मयंक, कोहली ,पुजारा का विकेट गिरा, मगर के.एल राहुल क्रीज पर बने रहे, इसी बीच उन्होंने अपना शतक भी पूरा किया. वो 122 रन बनाकर नॉट आउट हैं और उनके साथ अजिंक्य रहाणे 40 के स्कोर पर खेल रहे हैं. इसके साथ ही पहले रोज़ का खेल खत्म होने तक भारत ने 90 ओवर में तीन विकेट के नुकसान पर 272 रन बना लिए थे. तो मैच पर बात करें उससे पहले ये जानना दिलचस्प होगा कि कल के मैच में टॉस कितना बड़ा फैक्टर था? और क्या यही वजह थी कि कल इंडिया के अच्छी शुरुआत की?