'आजतक रेडियो' के मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में आज हम चर्चा करेंगे वॉट्सऐप चैट को लेकर क्या कहता है भारत का कानून? क्या कोर्ट में वॉट्सऐप चैट को सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है? साथ ही चर्चा इस बात पर भी होगी कि बंगाल में एक साल के लिए गुटखा, तंबाकू बैन कर देने से क्या बदल जाएगा? बात राहुल द्रविड़ पर भी करेंगे कि बतौर कोच उनके सामने कौन-कौन सी चुनौतियां होंगी?
आजतक रेडियो पर हम रोज़ लाते हैं देश का पहला मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट ‘आज का दिन’, जहां आप हर सुबह अपने काम की शुरुआत करते हुए सुन सकते हैं आपके काम की ख़बरें और उन पर क्विक एनालिसिस. साथ ही, सुबह के अख़बारों की सुर्ख़ियां और आज की तारीख में जो घटा, उसका हिसाब किताब. आगे लिंक भी देंगे लेकिन पहले जान लीजिए कि आज के एपिसोड में हमारे पॉडकास्टर अमन गुप्ता किन ख़बरों पर बात कर रहे हैं.
1. वॉट्सऐप चैट को सबूत के तौर पर पेश कर सकते हैं?
साल भर पुरानी बात हो गई, सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला था, उसकी तफ़्तीश की कड़ियाँ जुड़ते-जुड़ते बॉलीवुड में ड्रग्स के मुद्दे तक पहुँची.जांच के क्रम में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, सारा अली खान, श्रद्धा कपूर और रकुलप्रीत सिंह को समन भेजा था. इसी दौरान कुछ कथित वॉट्सऐप चैट भी वायरल हुए थे जिनमें ड्रग्स को लेकर बात हो रही थी. इन दिनों फिर एक बार कमोबेश मामला सिमिलर है, महज़ किरदार बदले हुए हैं, कभी आर्यन खान का नाम आता है तो कभी मुनमुन धमेचा तो कभी अनन्या पांडे. ड्रग्स से जुड़े आरोप और उसमें भी पिछली बार ही कि तरह सरपट दौड़ते व्हाट्सएप चैट जिसमें कथित तौर पर ड्रग्स से जुड़ी बातचीत. अब सवाल ये उठता है कि क्या वॉट्सऐप चैट को सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया जा सकता है. मुनमुन धमेचा के वकील अली काशिफ़ खान का ये कहना है कि 'इन्हें कोर्ट में सबूत के तौर पर नहीं पेश किया जा सकता' तो इसे लेकर भारत में क़ानून क्या कहता है?
2. शिशु मृत्यु दर में कहां खड़ा है भारत?
सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम की तरफ से इनफैंट mortality रेट यानी भारत के नवजात / शिशुओं के मृत्यु दर के सम्बंध में आई है. ये कैलकुलेट कुछ इस तरह होता है कि प्रत्येक 1000 जीवित जन्मे बच्चों में से वे बच्चे जो एक वर्ष या इससे कम उम्र मे मर जाते हैं, उनकी सँख्या को इंफैन्ट मोर्टलिटी रेट कहा जाता है. इसे आप मोटामोटी ऐसे समझिए कि बच्चा जो अपने पहले जन्मदिन से पहले ही मर जाए. सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम की तरफ से जो रिपोर्ट आई है, उसका ये कहना है कि इस मामलें में हम पिछले 10 सालों में 50 से 30 की सँख्या पर आ गए हैं, यानी हम बेहतर ज़रूर हुए हैं लेकिन पिछले पांच वर्षों में इस गिरावट में कमी आयी है. मतलब हम ओवरऑल तो बेहतर कर रहे हैं लेकिन पिछले पाँच वर्षों में जिस रफ़्तार के साथ ये गिरावट दर्ज होनी चाहिए थी, वो नहीं हुई. इससे राज्यों के बीच भारी अंतर का भी पता चलता है. जहां केरल का शिशु मृत्यु दर अमेरिका के बराबर है तो मध्य प्रदेश का यमन या सूडान से भी बदतर है. बहरहाल, ओवरऑल हमने इंप्रूव किया है लेकिन अब सवाल यहां ये है कि ये रफ्तार धीमी क्यों हुई है? हमने इसमें क्या सुधार किया है? इसे और बेहतर करने के लिए भारत को क्या करने की ज़रूरत है? साथ ही दूसरे देशों के मुक़ाबले IMR के मामले में कहां खड़ा है भारत?
3. तंबाकू उत्पाद बैन करने से बंगाल में क्या बदलेगा?
अब बात पश्चिम बंगाल की जहां कल राज्य सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि अगले एक साल के लिए पान मसाला और गुटखा की मैनुफ़ैक्चरिंग और बिक्री पर रोक लगा दी गयी है. ये आदेश आने वाली सात नंबवर से लागू होगा. पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि ये फैसला लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. राज्य के कमिश्नर ऑफ फूड सेफ्टी तपन के रुद्र की तरफ से जारी एक नोटिफिकेशन में कहा गया कि तंबाकू और निकोटीन से बना कोई भी फूट आइटम अगले एक साल के लिए बैन रहेगा. तारीख की बात करें तो साल दो हज़ार तेरह में भी वेस्ट बंगाल सरकार ने खैनी गुटखा और पान मसाले पर बैन लगाया था और दो हज़ार उन्नीस में ममता सरकार ने भी तंबाकू उत्पादों पर लगाम कसी थी. सरकारों के लिए ये बैन मुश्किल होता है क्योंकि तंबाकू उत्पादों से सरकार को रेवेन्यू के तौर पर एक बड़ी रकम मिलती है. लेकिन क्या ये करना सही होता है और एक साल में ऐसा क्या बदल जाएगा?
4. कोच बनते ही राहुल द्रविड़ के सामने क्या चुनौतियां होंगी?
राहुल द्रविड़, नाम तो सुना ही होगा. 80's-90's में पैदा हुए होंगे तो क्रिकेट की अच्छी खासी समझ के साथ उन्हें खेलते हुए भी देखा होगा. भारतीय बल्लेबाजी की रीढ़ कहे जाते थे. अपने फ़ौलादी डिफेन्स के चलते दी वॉल यानी दीवार, मिस्टर भरोसेमंद जैसे उपनामों से जाने जाते थे. अपने करियर में टीम की कप्तानी भी कर चुके हैं और फिलहाल नेशनल क्रिकेट अकैडमी के चीफ हैं. अब उनके टीम इंडिया के हेड कोच बनने की बात हो रही है. अब आप कहेंगे ये बात तो पिछले कई दिनों से हो रही है. इसमें नया क्या है? तो साहब, इस क़यासबाज़ी के अब हक़ीक़त में बदलना लगभग तय माना जा रहा है. क्योंकि द्रविड़ ने इंडियन मेन्स क्रिकेट टीम के चीफ कोच के पद के लिए अप्लाई कर दिया है. कल इस पद के आवेदन के लिए अंतिम दिन था और कल ही बीसीसीआई के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है. ऐसा होता है तो राहुल टी-20 वर्ल्ड कप के बाद रवि शास्त्री की जगह लेंगे. अच्छा, जगह लेंगे तो उनके सामने क्या चुनौतियाँ होंगी, बतौर कोच उनका करियर कैसा रहा है, कहाँ उन्होंने क्या काम किया?