सुशासन बाबू के नाम से अपना राजनीतिक रसूख़ क़ायम करने वाले नीतीश कुमार इन दिनों काफी तिलमिलाए हुए नज़र आते हैं. रूपेश सिंह हत्याकांड के बाद बिहार की कानून व्यवस्था फिर से सवालों के घेरे में आ गयी है. तेजस्वी यादव ने भी जमकर निशाना साधा और कहा कि अगर नीतीश सरकार एक महीने में अपराध पर नियंत्रण नहीं कर पाती है तो महागठबंधन के साथ मिलकर वो दिल्ली कूच करेंगे.लेकिन नीतीश से जब भी इसको लेकर सवाल किए जाते हैं तो उनके पास सिर्फ एक ही जवाब होता है- '2005 से पहले क्या स्थिति थी?' , अभी शुक्रवार को नीतीश से जब राज्य की धराशायी कानून व्यवस्था को लेकर सवाल पूछा गया, तो वे हत्थे से ही उखड़ गए. ख़ैर मुख्यमंत्री तो मुख्यमंत्री राज्य की पुलिस के डीजीपी एस. के. सिंघल ने भी ख़ुद का बचाव करने के लिए, पुराने डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय पर ही सवालिया निशान खड़ा कर दिया. कुछ दिन पहले नीतीश ने कहा था कि अपराध के मामलों में बिहार देश में 23वें नंबर पर आता है. लेकिन NCRB और बिहार पुलिस का डेटा कुछ और ही कहता है.
देश में कोरोना महामारी के बीच वैक्सीनेशन ड्राइव भी शुरू हो चुका है. लेकिन इस बीच कुछ लोगों में वैक्सीन का साइड इफेक्ट देखने को भी मिला. दिल्ली की अगर बात करें तो पहले दिन दिल्ली में 4,319 हैल्थ केयर वर्कर्स को टीका लगा था जिसमे से 52 हैल्थ केयर वर्कर्स में वैक्सीन लगने के बाद माइनर साइड इफेक्ट्स नज़र आए. जिसे Adverse Event Following Immunisation भी कहते है. हालांकि, एक केस थोड़ा गंभीर था. Covaxin लगने के बाद आईसीयू में भर्ती करना पड़ा. अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अब तक कुल 447 लोगों में प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला है. इनमें से तीन लोगों अस्पताल में भर्ती करना पड़ा तो जिन लोगों में जो एडवर्स सिम्पटम्स देखे गए वैक्सीनेशन के बाद वो किस तरह के थे और अब क्या हालत है उन लोगों की.
और कुछ दिन पहले ख़बर आई थी कि सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ इनफर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग यानी सूचना-प्रसारण मंत्रालय अब डिजिटल कंटेंट को भी रेगुलेट करेगा. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सिग्नेचर से एक गैज़ेट नोटिफिकेशन जारी करके ये फैसला लिया जा चुका है. यानि देश में डिजिटल कंटेंट को रेगुलेट करने को लेकर अब क़ानून बनना है जिसके दायरे में ओटीटी प्लेटफॉम्स भी आएंगे जैसे कि नेटफ्लिक्स, एमेजॉन प्राइम, हॉट स्टार, सोनी लिव वगैरह वगैरह. इन पर आपको अपने हिसाब से कंटेंट चूज़ करने की आज़ादी होती है. टीवी से अलग इस पर आप वो सिनेमा या प्रोग्राम्स देखते हैं जो आप देखना चाहते हैं और इसी पर नकेल कसने की शुरुआत हो गई है. सूत्रों से आज तक रेडियो को जानकारी मिली है कि सरकार चाहती है ओटीटी के तमाम प्लेयर्स, खुद ही एक सेल्फ रेगुलेशन बनाएं, ताकि वहां दिखाई जाने वाली फिल्म या वेब सीरीज पर नजर रखी जा सके. लेकिन अब तक ओटीटी प्लेयर्स की तरफ से ऐसी कोई पहल नहीं हुई है. तो किस तरह का सेल्फ़ रेगुलेशन सरकार लाना चाह रही है और क्या इसे क़ानून की शक्ल में लाकर बाध्यकारी बना देना सही है.
इन सब ख़बरों पर एनालिसिस के अलावा देश विदेश के अख़बारों से सुर्खियां होंगी और 18 जनवरी का इतिहास, सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ