हाथरस की घटना यूपी सरकार के लिए गले की हड्डी बनती जा रही है. अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस मामले का स्वत: संज्ञान ले लिया है. कोर्ट ने अपनी चिंता ज़ाहिर करते हुए योगी सरकार, शासन के आला अफ़सरों, हाथरस के डीएम और एसपी को नोटिस जारी किया है. उधर हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार भी आरोपों के घेरे में हैं. पीड़ित परिवार ने इल्ज़ाम लगाया है कि वो उन्हें धमका रहे थे और प्रेशर बना रहे थे. एक वीडियो भी वायरल है जिसमें हाथरस के डीएम इसमें खड़े हैं और परिवार को कह रहे हैं कि मीडिया वाले तो चले जाएँगे लेकिन प्रशासन को यहीं रहना है. वहीं कांग्रेस ने यूपी सरकार पर हल्ला बोल दिया है. सोशल मीडिया और मीडिया पर बयान जारी करने से आगे बढ़कर पार्टी सड़कों पर उतर आई.
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तो कल हाथरस की तरफ चल भी दिए. ज़ाहिर है, पुलिस ने उन्हें रोका. रोकने के दौरान धक्का मुक्की हुई. राहुल सड़क पर भी गिरे. एक और बात, कल कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के दौरान एक चीज़ ने सबका ध्यान और खींचा. वो था बाबासाहेब का फ़ोटो और नीला रंग. कांग्रेसियों ने गले में नीले रंग का कपड़ा लपेट रखा था. यूपी की राजनीति से थोड़ा परिचय भी रखनेवाला जानता है कि ये रंग दलित राजनीति में क्या मायने रखता है मगर अब जब वो कांग्रेसी प्रदर्शन में भी दिख रहा है तो हमने इसके राजनीतिक निहितार्थ आनंद पटेल से समझे जो कांग्रेस के प्रदर्शन की कवरेज कर रहे थे.
गुजरात सरकार के एक फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज करके बड़ा झटका दिया है. आपको याद होगा लॉकडाउन के बाद जब अनलॉक हुआ था तब कारोबार पटरी पर लाने के लिए सरकारों ने कुछ नियम क़ायदों में फेरबदल किए थे. मसलन कई राज्य सरकारों ने लेबर लॉ बदले थे. इसमें काम के घंटे बढ़ाने समेत कई चीज़ें बदली गई थीं. विरोध हुआ भी था तो राज्य सरकारों ने किसी की सुनी नहीं थी. ऐसा ही एक बदलाव गुजरात सरकार ने भी किया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अधिसूचना को ख़ारिज कर दिया है. अधिसूचना में क्या था? अधिसूचना में सरकार ने फ़ैक्टरियों को छूट दी थी कि वो मज़दूरों को ओवरटाइम मज़दूरी का भुगतान किए बिना शिफ़्टिंग आवर ख़त्म होने के बाद भी काम करा सकती थीं. अब सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद फैक्टरियों को अप्रैल से लेकर जुलाई तक जितना ओवरटाइम कराया गया उसका पेमेंट मज़दूरों को करना पड़ेगा. तो क्या था गुजरात सरकार का फैसला और कोर्ट ने क्या कहा है इस मसले पर मैंने बात की इंडिया टुडे डॉट कॉम के असिस्टेंट एडिटर प्रभाष दत्ता से.
सितंबर ख़त्म हो गया है. अक्टूबर आ चुका है. अब तक कोरोना के 63 लाख से ज़्यादा मामले सामने आए हैं. 98 हजार 628 लोगों की मौत हो चुकी है. कैसा रहा सितंबर का महीना भारत में कोरोना नंबर्स और मौत के आंकड़ों के हिसाब से, इसे डिटेल में समझेंगे हमारी डेटा इंटेलिजेंस यूनिट से. दीपू राय बताएँगे लेकिन उसके पहले बता दूँ कि सितंबर में ही 33 हज़ार से ज़्यादा मौत रिकॉर्ड हुई हैं यानि करीब 33 फीसदी लोगों ने तो अकेले सितंबर में ही अपनी जान गंवा दी. दीपू राय से सुनते हैं स्थिति क्या है.
और ये भी जानिए कि 2 अक्टूबर की तारीख इतिहास के लिहाज़ से अहम क्यों है.. क्या घटनाएं इस दिन घटी थीं. अख़बारों का हाल भी पांच मिनटों में सुनिए और खुद को अप टू डेट कीजिए. इतना कुछ महज़ आधे घंटे के न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में नितिन ठाकुर के साथ.