उत्तराखंड में यूं तो राजनीतिक उलटफेर का मामला सालों पुराना है. ये तब से चला आ रहा है जबसे इस राज्य का गठन हुआ है. 20 साल में अबतक यहां कुल 11 मुख्यमंत्री बदल चुके हैं. जिसमें से केवल कांग्रेस के नारायणदत्त तिवारी ने ही अपने 5 वर्षों का कार्यकाल पूरा किया है. तो इसी इतिहास को बरकरार रखते हुए एक बार फिर बिना अपना कार्यकाल पूरा किए केवल 114 दिनों में ही उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने 2 दिन पहले इस्तीफा दिया और कल शाम खटीमा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक रहे पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में जन्मे पुष्कर सिंह 45 साल के हैं और इसी के साथ वे राज्य के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री भी बन गए हैं. वैसे तो धामी कभी उत्तराखंड सरकार में मंत्री भी नहीं रहे. लेकिन अब सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेंगे. राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राजभवन में पुष्कर सिंह धामी के अलावा, कई अन्य वरिष्ठ विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई. जिसमें सतपाल महराज, हरक सिंह रावत, बंशीधर, यशपाल आर्य, बिशन सिंह और सुबोध उनियाल को मंत्री बनाया गया है. पर इसी के साथ कल सुबह से ही ऐसा कहा जा रहा था कि उत्तराखण्ड में बीजेपी खेमे में कुछ लोग पुष्कर सिंह धामी के सीएम बनने से नाराज़ है. अब इस नाराज़गी के बीच धामी ने शपथ तो ले ली लेकिन इस नाराज़गी की वजह क्या है,तो क्यों ये अंतरकलह दिखाई पड़ रहा है? रविवार को इसे लेकर जो लगातार बैठकें की जा रही थीं. उन बैठकों से क्या निष्कर्ष निकला? और 114 दिनों के अपने कार्यकाल में तीरथ सिंह रावत ऐसा क्या नहीं कर पाए कि मुख्यमंत्री बदलने की ज़रूरत पड़ गई? अब नए मुख्यमंत्री धामी से क्या उम्मीदें की जा सकती हैं, और क्या वे उन उम्मीदों पर खरे उतर पाएंगे?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एयरफोर्स और चीफ ऑफ डीफ़ेंस स्टाफ बिपिन रावत के बीच चल रही तनातनी के बीच इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड बनने में रुकावट आ सकती है. दरअसल एयरफोर्स के चीफ आरकेएस भदौरिया, सीडीएस बिपिन रावत के विचारों से सहमत नहीं है. सीडीएस बिपिन रावत चाहते हैं 17 सिंगल सर्विस कमांड को रिप्लेस कर 4 थिएटर कमांड बनाए जाए. जो सीधा सीडीएस को रिपोर्ट करेंगे.
थिएटर कमांड का मकसद सेना के सभी अंगों को बेहतर कोऑर्डिनेशन के साथ काम करने के लिए तैयार करना है. इसका सबसे सही उपयोग युद्ध के दौरान तब होता है जब बात तीनों सेनाओं के बीच तालमेल की होती है. एयरफोर्स और सीडीएस के बीच तनातनी तब देखने को मिली जब सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि एयरफोर्स ज़मीनी बलों को सहायता देने के लिए है. यानि वायु सेना सशस्त्र बल के लिए एक सपोर्टिंग आर्म की तरह है. और इस तरह सीडीएस और एयरफोर्स के बीच मतभेद खुल कर सामने आ गए. इस पर एयरफोर्स चीफ को कहना पड़ा कि मतभेदों की सार्वजनिक रूप से चर्चा करने की जरूरत नहीं है. इसे इंटरनली हल करने की ज़रूरत है. और एयरफोर्स सिर्फ़ एक सपोर्टिंग आर्म नहीं है. हमने डीफ़ेंस पॉलिसी एक्सपर्ट रिटायर्ड मेजर जनरल शशि अस्थाना से इस बारे में बात की और उनसे यही पूछा कि 17 सिंगल सर्विस कमांड को रिप्लेस करके 4 थिएटर कमांड बनाने से आखिर हासिल क्या हो जाएगा? एक्ज़ीक्यूशन लेवल पर क्या समस्या आ सकती है? एयरफोर्स और सीडीएस बिपिन रावत के बीच रस्साकशी की क्या वजह हो सकती और ऐसा करने से क्या नुकसान हो सकते हैं?
हर रोज़ नई डिवेलपमेंट कोरोना के वेरिएंट्स को लेकर देखने को मिलती है. अलग-अलग रिसर्चेज़ में कई सारी चीजें सामने आती रहती है. डेल्टा प्लस के भी भारत में अब तक काफी सारे केस सा चुके हैं. कुछ का कहना ये भी है कि डेल्टा प्लस ही कोरोना की थर्डवेव का कारण बन सकता है. इस बीच एम्स की एक स्टडी में ये सामने आया कि अक्टूबर या नवंबर तक तीसरी लहर के आने की आशंका है पर साथ में स्टडी ये भी कहती है कि इसमें सेकंड वेव के मुकाबले संक्रमण दर आधा ही होगा अब ऐसे में जब बचाव की बात आती है तो सबसे पहले वैक्सीन ही बात होती है. लेकिन वैक्सीन को लेकर जब ICMR की एक स्टडी सामने आती है तो वो थोड़ी परेशान करने वाली बात बताती है तो इस स्टडी में क्या बताया गया है.
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