मंगलवार का पूरा दिन खेल जगत के लोगों के इर्द-गिर्द घूमता रहा, सुबह की शुरुआत मनहूस हुई, क्रिकेट जगत के दिग्गज खिलाड़ी यशपाल शर्मा के निधन से तो शाम उम्मीदों भरी थी, वजह - पीएम मोदी का ओलम्पिक में शामिल होने जा रहे खिलाड़ियों से संवाद था लेकिन सुबह और शाम के बीच कल की पूरी दोपहर , पूर्व क्रिकेटर और अब राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू के आसपास रही. इसकी वजह उनका एक ट्वीट था. दरअसल , कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कल आम आदमी पार्टी को लेकर एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि विपक्षी दल आप (AAP) ने हमेशा पंजाब में उनकी नीतियों और विजन को मान्यता दी है. सिद्धू ने इस ट्वीट के साथ एक पुराना वीडियो भी ट्वीट किया, जिसमें आप नेता भगवंत मान उनकी तारीफ के पुल बांधते नजर आ रहे थे.
इस ट्वीट के बाद से सिद्धू के AAP में जाने की अटकलें तेज हो गईं. फिर आधे घंटे बाद ही सिद्धू ने एक और ट्वीट किया. इसमें उन्होंने कहा कि "विपक्ष उनको और उनके जैसे वफादार कांग्रेसियों को लेकर अक्सर ये बात कहते रहते हैं कि तुम अगर आप (AAP) में आओगे तो कोई बात नहीं... तुम अगर कांग्रेस में रहोगे तो मुश्किल होगी...".
उनकी इस लाइन से मुझे फिल्म दिल ही तो है में मुकेश कुमार का गाया और साहिल लुधियानवी का लिखा गीत याद हो आया क्योंकि उसकी तर्ज पर ही ये लाइन लिखी भी गई थी... तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं, तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी
तो एक ओर नवजोत सिंह सिद्धू ख़ुद को वफादार कांग्रेस बता रहे थे तो दूसरी ओर AAP की ओर अपना झुकाव भी दिखा रहे थे. अब अंदरखाने में कौन सी खिचड़ी पक रही है ये चर्चा का विषय बना ही हुआ था कि इधर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मीटिंग भी हो गई, इस मीटिंग में प्रियंका गांधी और पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत भी मौजूद रहे. मीटिंग के बाद हरीश रावत ने पत्रकारों को बताया कि अगले तीन से चार दिन में पंजाब कांग्रेस से अच्छी खबर आएगी.
लेकिन क्या है अंदर की असली कहानी, इसे समझने के लिए हमने बात कि इस मैटर को शुरुआत से कवर कर रहीं आजतक रेडियो रिपोर्टर मौसमी सिंह से....मौसमी, जिस तरह अचानक से कल सिद्धु ने एक के बाद एक ट्वीट्स किये और वो भी इस अंदाज में मानो कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना, क्यों अचानक से सिद्धू उखड़े हुए नज़र आयें और इसके मायने क्या हैं? क्या इस पूरे विवाद के बीच जिस तरह प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी, प्रियंका और हरीश रावत से जो मुलाकात की उसे किस तरह देखा जाय, क्या ये मुलाकात पंजाब तक महदूद है?
कुछ रोज़ पहले केंद्र सरकार ने मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल किया। कई नए मंत्री बने। इनमें एक मंत्री थे.. एल. मुरुगन। ये तमिलनाडु राज्य से आते हैं, बीजेपी के तमिलनाडु के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं, बीजेपी ने मंत्रियों की प्रोफाइल के लिहाज़ से जो लिस्ट जारी किया, उसमें ये बताया गया था कि कौन-सा मंत्री किस राज्य के किस जगह से आता है, अब हुआ ये कि एल. मुरुगन के नाम के आगे लिखा गया था कि वे कोंगु नाडु , तमिलनाडु से है। इसी पर बवाल शुरू हो गया। असल में, कोंगु नाडु नाम की कोई जगह ऑफिशियली तमिलनाडु में है ही नहीं। अनौपचारिक रूप से तमिलनाडु के 7 ज़िलों और दूसरे 2 ज़िलों के कुछ इलाकों को मिलाकर बात- चीत में कोंगु नाडु बोल देते हैं। ये जगहें हैं.. नीलगिरी, नमक्कल, कोयंबटूर, करूर, तिरुपुर, इरोड, सलेम। इसमें डिंडगुल ज़िले का ओड्डनछत्रम और वेदसंदूर तथा पप्पीरेड्डीपट्टी ज़िले का धर्मपुरी इलाका आता है। इन सभी जगहों पर कोंगु बेल्लाना गौंडर नाम का OBC समुदाय रहता है।यहीं से इसका नाम आया है।बीजेपी के दो डिस्ट्रिक्ट यूनिट ने भी इस बारे में प्रस्ताव पारित किया है लेकिन भाजपा के सीनियर नेता अभी इस पर दिवाईडेड हैं,ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी नीत केंद्र सरकार तमिलनाडु के बंटवारे की मंशा बना रही है? कोंगुनाडु की ये मांग कितनी पुरानी है और अब अचानक से इसको हवा देने की वजह क्या है ?
कोविड-19 के चलते पैदा हुई मुसीबतों के बावजूद इस साल इंडियन आईपीओ मार्केट गुलजार रहा है. और अगर आप अब भी आईपीओ में में निवेश करने की सोच रहे हैं तो आज का दिन यानि 14 जुलाई का दिन खास है.आज ही ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो का IPO खुलेगा, जो 16 जुलाई तक खुला रहेगा. इसके जरिए कंपनी 9,375 करोड़ रुपए जुटाने की तैयारी में है. सिर्फ जोमेटो ही नहीं देश के कई स्टार्टअप्स चाहे वो टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टार्ट अप हो, रेस्टोरेंट चेन हो, केमिकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां हो सब इस साल इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ लाने की तैयारी में है. 55 हज़ार करोड़ रुपये जुटाने के लिए तीस कंपनियों ने पहले ही आईपीओ के कागजात दाखिल कर दिए हैं और कम से कम 10 से 15 और कंपनियां सार्वजनिक होने और बाकी 25 हज़ार करोड़ रुपये जुटाने के प्रोसेस में लग चुकी है. इस साल अब तक कंपनियों ने आईपीओ के जरिए एक दशक में सबसे ज्यादा रकम जुटाई है. कोविड -19 महामारी के बावजूद, ऐसा लगता है कि देश इस साल आईपीओ का रिकॉर्ड ज़रूर दर्ज कर लेगा. मैंने बात की इंडिया टुडे में कंसल्टेंट और बाज़ार से जुड़ी ख़बरों पर नज़र रखने वाले कौस्तव दास से बात की और पूछा कि महामारी के बीच कम्पनियों में आईपीओ को लेकर इतना उत्साह क्यों दिख रहा है?
इन सब ख़बरों पर विस्तार से बात के अलावा हेडलाइंस और आज के दिन की इतिहास में अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.