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'जजों के लिए हो 2 साल का कूलिंग-ऑफ पीरियड...', राघव चड्ढा ने संसद में उठाया न्यायिक सुधारों का मुद्दा

राघव चड्ढा ने कहा कि जजों की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम को अपनी खामियों को सुधारना चाहिए और खुद को नया रूप देना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि न्यायाधीशों की नियुक्ति और वकीलों के प्रमोशन में कॉलेजियम को ट्रांसपेरेंट, पॉइंट और मेरिट बेस्ड सिस्टम अपनाना चाहिए.

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आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में न्यायिक सुधारों का मुद्दा उठाया. (Photo: X/@RaghavChadha)
आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में न्यायिक सुधारों का मुद्दा उठाया. (Photo: X/@RaghavChadha)

आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने मंगलवार को राज्यसभा में न्यायिक सुधारों का मुद्दा उठाया. उन्होंने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि हम भारत के लोग अदालतों को न्याय का मंदिर कहते हैं. आम आदमी जब इस अदालत की चौखट पर जाता है तो उसे विश्वास होता है कि न्याय जरूर मिलेगा. जैसे ऊपर वाले के घर में देर है अंधेर नहीं, वैसे ही लोगों का अदलतों पर यह विश्वास होता है कि समय भले लग जाए लेकिन उन्हें न्याय जरूर मिलेगा. और समय-समय पर ज्यूडिशियरी ने लोगों के इस विश्वास को और मजबूत किया है.

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उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन हाल ही में घटी कुछ घटनाओं के चलते देश चिंतित है और फोकस ज्यूडिशियल रिफॉर्म्स पर है. जैसे इस देश में इलेक्टोरल रिफॉर्म्स हुए, पुलिस रिफॉर्म्स हुए, एजुकेशन और हेल्थकेयर रिफॉर्म्स हुए वैसे ही ज्यूडिशियल रिफॉर्म्स होने की आवश्कता है. लेकिन ऐसे रिफॉर्म्स जो न्यायपालिका की आजादी को मजबूत करें और भ्रष्टाचार को समाप्त करें.' इस संबंध में उन्होंने जजों की नियुक्ति से लेकर उनके सेवानिवृत्ति तक, दो महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए.

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राघव चड्ढा ने कहा कि जजों की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम को अपनी खामियों को सुधारना चाहिए और खुद को नया रूप देना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि न्यायाधीशों की नियुक्ति और वकीलों के प्रमोशन में कॉलेजियम को ट्रांसपेरेंट, पॉइंट और मेरिट बेस्ड सिस्टम अपनाना चाहिए. उन्होंने न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें सरकार द्वारा विभिन्न पदों पर नियुक्त करने की परंपरा पर भी सवाल उठाए. AAP सांसद ने कहा कि जजों के लिए न्यूनतम 2 वर्ष का कूलिंग-ऑफ पीरियड अनिवार्य होना चाहिए. यानी सेवानिवृत्ति के बाद दो वर्षों तक सरकार द्वारा उन्हें किसी पद पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता है तो भारत के न्यायिक इतिहास में यह एक मील का पत्थर साबित होगा. भारत के लोग अदालत को न्याय का मंदिर मानते हैं और जजों को न्याय की मूर्ति मानते हैं. ये सारे ज्यूडिशियल रिफॉर्म्स अगर होते हैं तो देश के लोगों के मन में न्यायपालिका के प्रति विश्वास और मजबूत होगा. बता दें कि हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई थी. आग बुझाने के दौरान आवास के स्टोर रूम में दिल्ली फायर डिपार्टमेंट के कर्मियों ने बोरियों में भरा नोटों का ढेर देखा. इनमें से बहुत सारी नोटें जल गई थीं, तो कुछ आधी जली हुई थीं. इस घटना के बाद पूरे देश में न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार पर बहस छिड़ी हुई है.

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