केंद्रीय गृह मंत्रालय के पीएफआई पर बैन के नोटिफिकेशन के बाद अब राज्यों ने भी आदेश जारी कर दिए हैं. इसके साथ ही अब PFI के राजनीतिक विंग सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के भी पर कतरने की तैयारी है. SDPI अभी निर्वाचन आयोग में रजिस्टर्ड पार्टी के तौर पर है. इसे मान्यता नहीं मिली है.
अब एसडीपीआई के खिलाफ अघोषित आय के सुराग मिलने के बाद निर्वाचन आयोग में कानूनी मुहिम शुरू हो चुकी है. पहले ही निर्वाचन आयोग SDPI की ओर से दिए जा रहे सालाना आय व्यय के ब्योरे से संतुष्ट नहीं है और उसको लेकर कार्रवाई चल रही है. लेकिन अब PFI पर सरकार की ओर से औपचारिक पाबंदी लगाए जाने के बाद उस नोटिफिकेशन की कुछ पंक्तियां और कुछ शब्द इस बात पर इशारा कर रहे हैं. दरअसल गृह मंत्रालय की ओर से जारी हुए नोटिफिकेशन में लिखा था कि इनके सभी सहयोगी संगठन, जिनके तार आपस में जुड़े हों, वो इस दायरे में आएंगे.
अभी PFI के अलावा रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO), नेशनल वीमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल जैसे सहयोगी संगठनों पर भी बैन लगाया गया है.
SDPI ने चुनाव आयोग को गलत दी जानकारी
निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, SDPI अपना सालाना हिसाब किताब देने में पहले भी काफी गोलमोल कर चुकी है. रिकॉर्ड के मुताबिक, 2018-19 में पार्टी ने 5 करोड रुपये की आमद दिखाई. 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट कहती है उनको 3.9 करोड रुपये की आमदनी हुई. इसके बाद 2020 में कुल आमदनी 2.9 करोड़ रुपये की आय बताई, लेकिन विश्लेषण का डाटा नहीं है कि किन लोगों से उन्हें कितना पैसा मिला. क्या सभी लोग 20 हजार से कम ही डोनेट करने वाले थे? हालांकि निर्वाचन आयोग ने अब इसमें बिना जानकारी वाली चंदे के तौर पर 20 हजार रुपये की राशि को दो हजार कर दिया है. अब दो हजार से ज्यादा चंदा देने वालों का ब्यौरा संबंधित राजनीतिक पार्टी निर्वाचन आयोग को देगी.
निर्वाचन आयोग को आयकर विभाग और अन्य सरकारी विभागों से जानकारी मिली कि SDPI ने साल 2018-19 और 2020- 21 में कुल 11.78 करोड़ रुपये की आय में से 10 करोड़ तो डोनेशन से ही मिले थे. फिर आयोग को इतनी कम आय की जानकारी क्यों और कैसे दी गई?
राज्य सरकारों ने भी जारी किया आदेश
केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के बाद अब कई राज्य की सरकारों ने भी पीएफआई बैन को लेकर आदेश जारी कर दिए हैं. इनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु और असम शामिल हैं. इसके अलावा असम के सीएम हिमंत विस्वा सरमा ने कहा है कि प्रदेश के सभी पीएफआई कार्यालयों को बंद किया जाए और उनके 31 नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए भी कहा है.
केरल हाई कोर्ट ने PFI महासचिव को दिया आदेश
इस बीच केरल हाई कोर्ट ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के महासचिव को गृह विभाग को 5.20 करोड़ रुपये की राशि जमा करने का निर्देश दिया है, जो राज्य में KSRTC की संपत्ति के नुकसान के लिए अनुमानित है. हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि अगर यह राशि दो सप्ताह के भीतर जमा नहीं की जाती है तो राज्य सरकार पीएफआई की संपत्ति के साथ-साथ इसके पदाधिकारियों की संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तत्काल कदम उठाएगी.
दरअसल पीएफआई पर छापेमारी के विरोध में इसके कार्यकर्ताओं ने केरल बंद बुलाया था, जिसमें उन्होंने KSRTC की बसों को नुकसान पहुंचाया था. इसको लेकर KSRTC ने हाई कोर्ट का रुख किया गया था.