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हेलमेट न पहनने पर भेजा ₹10 लाख का ई-चालान, 22 साल का युवक 11 महीने से काट रहा पुलिस के चक्कर

एक्टिवा चालक अनिल अपने पिता के साथ पुलिस कमिश्नर कार्यालय गए और ई-चालान विभाग से चालान रद्द करने की गुहार लगाई. पुलिसकर्मियों ने नियमों का हवाला देकर ईमेल के जरिए आवेदन करने को कहा. अनिल ने ईमेल कर दिया, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं मिला.

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हेलमेट न पहनने पर भेजा 10 लाख रुपए का चालान.
हेलमेट न पहनने पर भेजा 10 लाख रुपए का चालान.

Gujarat News: अहमदाबाद के एक वाहन चालक को हेलमेट न पहनने पर ट्रैफिक पुलिस की ओर से 10 लाख 500 रुपए का चालान मिला है. इस असामान्य रूप से भारी दंड राशि से परेशान वाहन मालिक नियम के अनुसार दंड तय करने के लिए पिछले 11 महीनों से कोर्ट और पुलिस के चक्कर काट रहा है.

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अहमदाबाद के वस्त्राल निवासी अनिल नरोड़ा स्थित लॉ कॉलेज में पढ़ाई करते हैं और घर खर्च चलाने के लिए अपने घर से कुछ दूरी पर पान का गल्ला चलाते हैं.

अनिल ने बताया कि 11 अप्रैल, 2024 को शाम को वह अपनी एक्टिवा (GJ27 DL 3277) से शांतिपुरा चौराहे से गल्ले के लिए सामान ले जा रहे थे. तभी ट्रैफिक पुलिस ने उन्हें रोका और ड्राइविंग लाइसेंस की जांच की. जांच के बाद पुलिस ने उन्हें जाने दिया, लेकिन गल्ले पर पहुंचते ही उनके मोबाइल पर 500 रुपए के चालान का मैसेज आया. अनिल ने तुरंत पुलिसकर्मियों से संपर्क किया और पूछा कि बिना बताए चालान क्यों काटा गया? उनका कहना था कि अगर दंड करना था तो उसी वक्त बता देते, वह राशि भर देते. पुलिसकर्मियों ने चालान लेने से इनकार करते हुए ऑनलाइन भुगतान करने को कहा. बाद में पता चला कि चालान की राशि 10,00,500 रुपए है.

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अनिल ने बताया कि वह इस गलत चालान को ठीक करने और दंड भरने के लिए अहमदाबाद के घी कांटा और मिर्जापुर कोर्ट कई बार जा चुके हैं. कोर्ट कर्मियों ने पुलिस से संपर्क करने की सलाह दी.

इसके बाद अनिल अपने पिता कालू हड़िया के साथ शाहीबाग स्थित पुलिस कमिश्नर कार्यालय गए और ई-चालान विभाग से चालान रद्द करने की गुहार लगाई. पुलिसकर्मियों ने नियमों का हवाला देकर ईमेल के जरिए आवेदन करने को कहा. अनिल ने ईमेल कर दिया, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं मिला.

गारमेंट व्यापारी अनिल के पिता कालू हड़िया ने कहा, "हेलमेट न पहनने का दंड नियम के अनुसार 500 रुपए होना चाहिए था, जिसे हम उसी वक्त भरने को तैयार थे. लेकिन 10,00,500 रुपये का चालान देखकर हम हैरान हैं. हम कोर्ट और पुलिस के चक्कर काट रहे हैं, पता नहीं यह समस्या कब हल होगी."

अनिल ने बताया कि एक्टिवा उनके पिता के नाम पर है और लोन पर खरीदी गई थी. लोन चुकाने के बाद वे इसे अपने नाम ट्रांसफर करवाने वाले थे, लेकिन इस चालान की वजह से प्रक्रिया रुक गई है. उन्होंने कहा, "10,00,500 रुपये में तो 10 नए एक्टिवा खरीदे जा सकते हैं, जितने में हमारा एक्टिवा भी नहीं था."

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पुलिस कमिश्नर कार्यालय में ई-चालान विभाग के अधिकारियों ने अनिल को बताया कि हेलमेट न पहनने का दंड इतना अधिक नहीं हो सकता. चालान जनरेट होने की जांच होगी, लेकिन अभी इसे रद्द करने के लिए ईमेल करना होगा. चूंकि मामला कोर्ट में भी पहुंच चुका है, इसलिए अनिल को कोर्ट और पुलिस दोनों जगह दौड़ लगानी पड़ रही है. परिवार अब इस उम्मीद में है कि जल्द ही इस चालान से छुटकारा मिलेगा.

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