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5000 किमी दूर से दागी गई दुश्मन की मिसाइल को तबाह कर देगी AD-1, ऐसा है भारत का सुरक्षा कवच

भारत ने द्वितीय चरण की बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा ‘इंटरसेप्टर’ एडी-1 मिसाइल का सफल परीक्षा किया था. मंत्रालय ने कहा कि एडी-1 एक लंबी दूरी की ‘इंटरसेप्टर’ मिसाइल है , जिसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल के साथ-साथ विमान को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है.

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2 नवंबर को एडी-1 मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था
2 नवंबर को एडी-1 मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था

ओडिशा में 2 नवंबर को फेज-II की बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) इंटरसेप्टर AD-1 का पहला परीक्षण सफल रहा था. इस मिसाइल को डीआरडीओ ने विकसित किया है. AD-1 मिसाइल की खासियत यह है कि यह मिसाइल 5,000 किमी से दागी गई दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइलों का पता लगाकर उसे नष्ट कर सकती है. यह बैलिस्टिक मिसाइलों और लो फ्लाइंग लड़ाकू विमानों दोनों को नष्ट कर सकती है. इसे भारत के आसमान का सुरक्षा कवच बताया जा रहा है.

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डीआरडीओ चेयरमैन समीर कामत ने कहा, "हमने शुरुआत में पहले चरण में 2,000 किमी से आने वाली मिसाइलों को नष्ट करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल विकसित की थी. डीआरडीओ चेयरमैन ने कहा, 'अगर हमारे दुश्मन लंबी दूरी से निशाना लगाते हैं, तो अब हमारे पास इंटरसेप्ट करने की क्षमता है.'

उन्होंने कहा कि एक बार सिस्टम विकसित हो जाने के बाद सरकार अलग-अलग जगहों पर इस मिसाइल की तैनाती पर फैसला करेगी. पूरे बीएमडी सिस्टम में लंबी दूरी के ट्रैकिंग राडार शामिल हैं, जो पनडुब्बी, भूमि आधारित प्रणालियों, हवाई प्लेटफॉर्मों या युद्धपोतों से मिसाइलों के प्रक्षेपण का पता लगा सकते हैं.

क्या है इंटरसेप्टर एडी-1

इंटरसेप्टर एडी-1 एक लंबी दूरी की इंटरसेप्टर मिसाइल है जिसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ एयरक्राफ्ट के लो एक्सो-एटमॉस्फेरिक और एंडो-एटमॉस्फेरिक इंटरसेप्शन दोनों के लिए डिजाइन किया गया है. इंटरसेप्टर एडी-1 लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों और एयरक्राफ्ट को पृथ्वी के वायुमंडल में और उससे बाहर दोनों जगह डिटेक्ट कर सकता है और इसे नष्ट भी कर सकता है. 

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इंटरसेप्टर मिसाइल एक एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल है. इसे दुश्मन देश की इंटरमीडिएट रेंज और अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (Intercontinental Ballistic Missiles-ICBM) जैसी बैलिस्टिक मिसाइलों को ध्वस्त करने के लिए डीआरडीओ ने विकसित किया है.

सभी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस शामिल

मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस टेस्ट को करने के लिए देश में अलग अलग स्थानों पर मौजूद सभी मिसाइल डिफेंस सिस्टम के हथियारों का इस्तेमाल किया गया. यह हथियार रणनीतिक लिहाज से देश में अलग अलग खुफिया स्थानों पर तैनात किया गया है.

रक्षा मंत्रालय के अनुसार ये इंटरसेप्टर दो चरणों वाली सॉलिड मोटर द्वारा संचालित है. मिसाइल को टारगेट तक सटीक रूप से मार्गदर्शन करने के लिए इस इंटरसेप्टर में स्वदेशी रूप से विकसित उन्नत नियंत्रण प्रणाली, नेविगेशन है. इस इंटरसेप्टर को एलगोरिद्म के द्वारा गाइड किया जाता है. 

चुनिंदा देशों के पास है ये मिसाइल

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ये इंटरसेप्टर मिसाइल दुनिया के बहुत कम देशों के पास उपलब्ध है और इसकी उन्नत तकनीक यूनीक है. इसी के साथ ही भारत दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइलों को उड़ा देने की अपनी क्षमता को नेक्स्ट लेवल तक ले गया है. 

22 सालों से काम कर रहा है भारत

भारत ने 2000 में एंटी बैलिस्टिक मिसाइल को डीआरडीओ के जरिए विकसित करना शुरू किया गया. ये वो दौर था जब पाकिस्तान और चीन बैलिस्टिक साजो-सामान तैयार कर रहे थे. माना जाता है कि 2010 तक इस फेज को भारत ने हासिल कर लिया. इसी का नतीजा रहा कि भारत ने पृथ्वी मिसाइलों पर आधारित रक्षा कवच तैयार किए. 

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इसके बाद भारत ने दूसरे फेज के एंटी बैलिस्टिक मिसाइल को विकसित करना शुरू किया.  ये वैसे मिसाइल थे जो इंटरमीडिएट रेंज के बैलिस्टिक मिसाइलों को ध्वस्त कर सकते है. भारत ये  एंटी बैलिस्टिक मिसाइल अमेरिका के Theatre High-Altitude Area Defence system की तर्ज पर तैयार हो रहे हैं. 

 

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