फिल्म आदिपुरुष पर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. आदिपुरुष में दिखाए गए संवादों पर जारी बवाल के बीच केंद्र सरकार की ओर से भी सख्त टिप्पणी सामने आई है. केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि किसी को भावनाओं को ठेस पहुंचाने की इजाजत नहीं है. हालांकि, उन्होंने कहा कि फिल्म के राइटर और डायरेक्टर विवादित डायलॉग बदलने को राजी हो गए हैं.
दरअसल, फिल्म आदिपुरुष शुक्रवार यानी 16 जून को रिलीज हुई थी. फिल्म इन दिनों हर तरफ चर्चा में है. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धमाल तो मचा रही है. लेकिन आदिपुरुष में दिखाए गए संवादों को लेकर लोगों को आपत्ति है. इसी को लेकर फिल्म का देशभर में विरोध हो रहा है. फिल्म पर बैन लगाने की भी मांग उठ रही है. रामायण पर बेस्ड इस फिल्म के डायरेक्टर ओम राउत हैं. प्रभास, कृति सेनन और सैफ अली खान ने फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई है.
किन-किन डायलॉग्स पर आपत्ति?
1- हनुमान जब लंका में जाते हैं, तो एक राक्षस उन्हें देख लेता है और पूछता है, ''ये लंका क्या तेरी बुआ का बगीचा है, जो हवा खाने चला आया.''
2- सीता से मिलने के बाद हनुमान को जब लंका में राक्षस पकड़ लेते हैं, तो मेघनाथ उनकी पूंछ में आग लगाने के बाद पूछता है, जली. इसके जवाब में हनुमान कहते हैं, ''तेल तेरे बाप का. कपड़ा तेरे बाप का. और जलेगी भी तेरे बाप की."
3- जब हनुमान लंका से लौटकर आते हैं और राम उनसे पूछते हैं कि क्या हुआ? इसके जवाब में हनुमान कहते हैं- बोल दिया, जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे, उनकी लंका लगा देंगे.
4- लक्ष्मण पर वार करते हुए इन्द्रजीत एक जगह कहता है, ''मेरे एक सपोले ने तुम्हारे इस शेष नाग को लंबा कर दिया. अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है.'' इसके अलावा भी दर्शकों ने कुछ संवादों और भगवान राम, सीता, हनुमान और रावण की वेशभूषा पर भी आपत्ति जताई है.
राजनीतिक पार्टियां भी उतरीं फिल्म के विरोध में
- आप, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) समेत कई राजनीतिक दलों ने आदिपुरुष पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाते हुए फिल्म की आलोचना की है. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने फिल्म में इस्तेमाल की गई भाषा को 'टपोरी' बताया और कहा कि इससे लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं.
उन्होंने कहा, भगवान हनुमान सौम्यता और गंभीरता के प्रतीक हैं. 1987 में जब श्री रामानंद सागर ने रामायण धारावाहिक बनाया था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि 'रामायण' ने करोड़ों दर्शकों के दिलो-दिमाग को प्रज्वलित किया है. भारत की महान संस्कृति, परंपरा और नैतिक मूल्यों का संचार किया. उस रामायण के रचयिता रामानंद सागर थे, जिन्होंने टपोरी भाषा से करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई, बल्कि सिया राम की मधुर, कोमल और मनमोहक छवि समाज के दिलो-दिमाग में छाप दी. उन्होंने कहा, धर्म और धर्म के व्यवसाय के बीच अंतर है.
बीजेपी सांसद भी उतरे विरोध में
बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव ने फिल्म पर बैन लगाने की मांग की. उन्होंने कहा, सोची समझी रणनीति के तहत हमारे हिंदुत्व के प्रति आस्था, श्रद्धा के केंद्र पर चोट करने की कोशिश की जा रही है. भारतीय सिनेमा में कैसा वर्ग है, जो ऐसी फिल्में बनाता है? फिल्म आदिपुरुष में जिस तरह से भगवान राम और मां सीता, हनुमान जी की वेशभूषा और संवाद दिखाया गया है वो बेहद आपत्तिजनक है. उन्होंने कहा, देश में सेंसर बोर्ड की क्या भूमिका है? इस बात की जांच होनी चाहिए कि वो ऐसी फ़िल्मों को हरी झंडी कैसे दे देता है?
- उधर, केंद्रीय जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से राज्य में आदिपुरुष फिल्म पर बैन लगाने की मांग की है. छत्तीसगढ़ के सरगुजा से लोकसभा सांसद रेणुका सिंह ने दावा किया कि फिल्म में जिस तरह से भगवान राम, माता जानकी और हनुमान के चरित्रों को चित्रित किया गया है और जिस तरह से कुछ पात्र संवाद बोलते दिख रहे हैं, उससे करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं.
फिल्म के विरोध में संत समाज
फिल्म आदिपुरुष का अयोध्या, वाराणसी से हरिद्वार तक जमकर विरोध हो रहा है. अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, आदि पुरुष के डायलॉग्स का लेखन जिस प्रकार से हुआ, वह संतों को पच नहीं रहा है मनोज वास्तव में मुंतशिर ही था, जिसने शुक्ला बनने की कोशिश की. सनातन धर्म में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करना अक्षम अपराध है. उधर, वाराणसी में तमाम प्रदर्शनकारियों ने आदिपुरुष के खिलाफ मल्टीप्लेक्स पर पहुंचकर प्रदर्शन किया. इस दौरान फिल्म के पोस्टर फाड़े गए. हनुमान ध्वज भी फहराया गया. प्रदर्शनकारियों ने फिल्म को बैन करने की मांग की. इसके अलावा अयोध्या, हरिद्वार में भी संत समाज फिल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और इस पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं.