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Adrien Brody: ऑस्कर के मंच पर युद्ध का दर्द और शांति का संदेश! कहानी उस एक्टर की जिसने रचा War and Peace का कॉम्बिनेशन

एड्रियन ब्रॉडी मॉडर्न युग के ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने युद्ध की त्रासदी और उससे उपजी पीड़ा को बेहद संवेदनशीलता के साथ पर्दे पर उतारा है. ब्रॉडी के पिता पोलैंड मूल के यहूदी हैं जबकि उनकी मां हंगरी में पैदा हुईं. 1956 की हंगरी क्रांति के बाद उनका परिवार अमेरिका जाकर बस गया, जहां कैथोलिक के तौर पर उनकी परवरिश हुई.

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ऑस्कर विनिंग एक्टर एड्रियन ब्रॉडी
ऑस्कर विनिंग एक्टर एड्रियन ब्रॉडी

मैं एक बार फिर इस मंच पर खड़ा हूं. युद्ध और उसके बाद के ट्रॉमा, उत्पीड़न, यहूदी विरोधी भावना और नस्लवाद के असर की नुमाइंदगी करने के लिए. मैं एक अधिक खुशहाल दुनिया की चाह रखता हूं. अगर अतीत हमें कुछ सिखा सकता है तो ये कि हम नफरत को किसी भी कीमत पर बढ़ने नहीं दें... ये शब्द एड्रियन ब्रॉडी की उस विनिंग स्पीच का हिस्सा है, जो उन्होंने कल The Brutalist फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का ऑस्कर जीतने के बाद कहे. 

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51 साल के एड्रियन ब्रॉडी को अपने दमदार अभिनय के लिए दूसरा ऑस्कर मिला है. उन्हें अपने करियर का पहला ऑस्कर 2003 में रोमन पोलांस्की की वॉर ड्रामा फिल्म The Pianist में उत्कृष्ट अभिनय के लिए मिला था. उस समय उनकी उम्र महज 29 साल थी जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. वह ऑस्कर जीतने वाले अब तक के सबसे युवा अभिनेता हैं. 

एड्रियन ब्रॉडी मॉडर्न युग के उन कलाकारों की फेहरिस्त में शामिल हैं, जिन्होंने युद्ध की त्रासदी और उससे उपजी पीड़ा को बेहद संवेदनशीलता के साथ पर्दे पर उतारकर उन्हें अजेय-अमर बना दिया है. 22 साल की इस अवधि मे दो ऑस्कर जीतने वाले ब्रॉडी की ये फिल्में The Pianist और The Brutalist द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान यहूदियों की पीड़ा को किसी पुराने जख्म की तरह खोलकर रख देती हैं.

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ब्रॉडी एक तरफ फिल्मों के जरिए यहूदियों के दर्द और दंश को बड़े पर्दे पर जीवंत कर रहे थे तो दूसरी तरफ इन्हीं फिल्मों के लिए ऑस्कर जीतकर मंच को शांति का प्लेटफॉर्म बना रहे थे. उन्होंने ऑस्कर जैसे बड़े मंच का इस्तेमाल युद्ध की त्रासदियों के बीच शांति का पैगाम देने के लिए किया. लॉस एजेंलिस के डॉल्बी थिएटर में जब ऐलान हुआ कि इस साल के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के ऑस्कर विजेता एड्रियन ब्रॉडी हैं. तो उन्होंने अपने चिर-परिचित अंदाज में स्टेज पर पहुंचकर युद्ध के बीच शांति की जरूरत पर बात की. 

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उन्होंने बताया कि कभी-कभी युद्ध में जीत की खुशी भी हार के मातम से कहीं अधिक दुखदायी हो सकती है. ब्रॉडी ने कहा कि एक्टिंग बहुत नाजुक पेशा है. ये बहुत ग्लैमरस लगता है. कुछ-कुछ जगहों पर ये ग्लैमरस होता भी है. लेकिन मैंने अपने अब तक के करियर में एक चीज सीखी है. वो ये कि चाहे आप करियर के किसी भी पड़ाव पर हों, आपने चाहे जो कुछ भी हासिल किया हो, वो सब एक झटके में जा सकता है. 

तालियों की गड़गड़ाहट के बीच एड्रियन ने कहा कि मै शुक्रगुजार हूं कि आज भी मैं वो काम कर रहा हूं, जो मैं करना चाहता हूं. ये अवॉर्ड जीतना मेरे लक्ष्य तक पहुंचने का प्रतीक है. जैसा कि फिल्म में मेरे किरदार का मिजाज भी है. ये मेरे लिए एक नई शुरुआत जैसा है. ताकि मैं आने वाले 20 साल में फिर से साबित कर सकूं कि मैं ऐसे ही किरदारों के काबिल हूं. 

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The Brutalist हंगरी के एक यहूदी और होलोकॉस्ट सर्वाइवर Laszlo Toth की कहानी है, जो सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद अमेरिका जाता है. पेशे से आर्किटेक्चर टोथ की कला ही युद्ध की विभीषिका के बाद उसे उम्मीद देती है. असल में उत्पीड़न और नस्लवाद के दौर में टोथ की कला को निर्देशक ने एक रूपक की तरह इस्तेमाल किया है, जिस तरह The Pianist में व्लादिस्लाव श्पिलमैन के पियानो यानी उसके संगीत को अंधेरे में रोशनी के प्रतीक के तौर पर दिखाया गया है. ठीक इसी तरह आर्किटेक्चर जो भी कंस्ट्रक्ट करता है, उसके पीछे उन असंख्य लोगों की कहानियां और उनके संघर्ष छिपे होते हैं, जिन्हें वह समेटता चलता है. 

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यहूदियों के दर्द और उनकी बेबसी से दर्शकों को जोड़ती रोमन पोलांस्की की 2002 में रिलीज The Pianist भी एक वॉर ड्रामा फिल्म है. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान पोलैंड में नाजियों की प्रताड़ना को उकेरती फिल्म में एड्रियन ब्रॉडी ने पियानिस्ट व्लादिस्लाव श्पिलमैन (Władysław Szpilman) का जीवंत किरदार निभाया है. वह यहूदी पियानिस्ट है. लेकिन पोलैंड पर जर्मनी के हमले के बाद उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है. नाजी हमलों में तबाह वारसॉ के खंडहरों में जान बचाकर छिपता ब्रॉडी का किरदार आपको भावनात्मक रूप से हिला देता है. एक तरफ युद्ध और उसकी विभीषिका मानवीय संबंधों की अहमियत सिखा जाती है तो दूसरी तरफ मानव मूल्यों को भी चुनौती देती है. युद्ध केवल शारीरिक तौर पर आघात नहीं पहुंचाता बल्कि युद्ध खत्म होने के बाद उससे उपजा मानसिक तनाव जिंदगी को नए सिरे से शुरू करने से रोकता है.

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यह फिल्म न केवल युद्ध की त्रासदी और मानवता के कठिन दौर को पेश करती है बल्कि संगीत और उम्मीद की ताकत बयां करती है. इस पूरी फिल्म में ब्रॉडी का पियानो उनके संघर्ष और अस्तित्व का प्रतीक बन जाता है. यह फिल्म न केवल इतिहास का दस्तावेज है, बल्कि इंसानी धैर्य की क्षमता का प्रमाण भी है कि कैसे संगीत आपको जीवित रखने की प्रेरणा दे सकता है, भले ही आप मानवता के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हों. 

एड्रियन ब्रॉडी ने इन भूमिकाओं से गहरी छाप छोड़ी है. उनके किरदारों की तड़प, असहायता और इन सबके बावजूद जीवित रहने की चाहत को खूबसूरती से जीवंत किया गया है. ये महज फिल्में नहीं हैं बल्कि इतिहास के कड़वे दौर की सत्य घटनाओं वाले दस्तावेज हैं.

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The Pianist में सशक्त अभिनय के लिए जब एड्रियन को 2003 में ऑस्कर मिला तो उन्होंने मंच से कहा कि मैं खुश हूं, लेकिन मैं दुखी भी हूं क्योंकि मैं ऐसे अजीब समय पर ये अवॉर्ड ले रहा हूं. ये युद्ध का समय है लेकिन इस फिल्म को बनाने के मेरे अनुभवों ने मुझे युद्ध के दौरान लोगों के दुख और मानवता से दूर जाने के परिणामों को लेकर जागरूक किया है. आप जिस भी ईश्वर या अल्लाह को मानते हैं. याद रखें- वह आपको देख रहा है. आइए मिलकर शांति की चाह रखें. 

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एड्रियन ब्रॉडी अमेरिकी नागरिक हैं लेकिन उनके पिता पोलैंड मूल के यहूदी हैं जबकि उनकी मां हंगरी में पैदा हुईं. 1956 की हंगरी क्रांति के बाद उनका परिवार अमेरिका जाकर बस गया, जहां कैथोलिक के तौर पर उनकी परवरिश हुई. एड्रियन ब्रॉडी कहते हैं कि उनकी परवरिश में यहूदी या ईसाई धर्म की कोई खास भूमिका नहीं रही. लेकिन मां और पिता दोनों की यहूदी पृष्ठभूमि का जाने-अनजाने में उन पर प्रभाव पड़ा.

एड्रियन ब्रॉडी जिस संवेदनशीलता के साथ पीड़ा को पर्दे पर उकेरते हैं. वह ऑस्कर जैसे मंच का इस्तेमाल भी उतनी ही तत्परता से शांति का मैसेंजर बनकर देते हैं.

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