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मेरी बेटी ने तालिबान को 4 लोगों को मारते देखा, अफगानिस्तान से भागे नागरिक की दास्तां

मोहम्मद खान बताते हैं, "मेरी बेटी इस घटना से इतनी आहत है कि वह रात में रोती है. मैं उसे फिर से सोने के लिए कहता रहता हूं और यह भी कहता हूं कि हम भारत में हैं और तालिबान यहां पर नहीं हैं."

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सांकेतिक तस्वीर (रॉयटर्स)
सांकेतिक तस्वीर (रॉयटर्स)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'मेरी बेटी घटना से इतनी आहत हुई कि अभी भी रात में रोती है'
  • 'कभी नहीं सोचा था कि काबुल में स्थिति इतनी खराब हो जाएगी'
  • भारतीय दूतावास से माता-पिता को बचाने का अनुरोधः मो. खान

तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से बड़ी संख्या में लोग अपना देश छोड़ने को मजबूर हैं. इन्हीं में एक शख्स ऐसा भी है जो तालिबान से बचते हुए अफगानिस्तान से भागकर सुरक्षित भारत पहुंच गया, उसका दावा है कि उसकी छोटी बेटी ने अपनी आंखों से तालिबान के लोगों की ओर से चार लोगों को मार डालते हुए देखा.

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मोहम्मद खान इस समय पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में अपनी पत्नी और आठ तथा नौ साल की दो बेटियों के साथ रह रहे हैं, उस व्यक्ति ने आजतक के साथ खास बातचीत में कहा कि वह दिल्ली आया था, लेकिन बाद में कोलकाता चला गया क्योंकि बंगाल में उसका एक दोस्त रहता है.

मोहम्मद खान ने कहा, "मेरी बेटी इस घटना से इतनी आहत है कि वह रात में रोती है. मैं उसे फिर से सोने के लिए कहता रहता हूं और यह भी कहता हूं कि हम भारत में हैं और तालिबान यहां पर नहीं हैं."

हालांकि मोहम्मद खान के माता-पिता अभी भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं और वह उन्हें बचाने के लिए भारतीय दूतावास को फोन करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने दूतावास से अफगानिस्तान में फंसे अपने दोस्तों को बचाने की भी अपील की है.

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'भारतीय दूतावास से गुहार'
आजतक के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि अन्य लोगों को भी निकाल लिया जाएगा. गुरुवार को एक और फ्लाइट आएगी. मुझे उम्मीद है कि कई लोगों को उस फ्लाइट में सवार होने का मौका मिलेगा. मेरे अफगान भाई मुश्किल में हैं. मेरे माता-पिता भी मुश्किल में हैं, वे अभी वहीं पर हैं. मैंने आज सुबह उन्हें फोन किया तो उन्होंने कहा कि आप हमारे बिना कैसे चले गए? मुझे उन्हें भी बचाना होगा. मैं भारतीय दूतावास से उन्हें बचाने का अनुरोध कर रहा हूं."

भारतीय दूतावास की ओर से की गई मदद के बारे में मोहम्मद खान ने कहा, "भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने मेरी बहुत मदद की. तालिबान मेरे घर आए थे, लेकिन भारतीय दूतावास के अधिकारी पहुंचे और मुझे अपनी कार में बिठा लिया."

60 हजार रुपये और कुछ सामान
उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें काबुल की यादों को पीछे छोड़ना पड़ा और रातों-रात अपने जीवन में बड़ा बदलाव देखना पड़ा. खान ने कहा, "मैंने सब कुछ खो दिया. मैं मुश्किल से 60,000 रुपये और कुछ सूटकेस अपने साथ लाने में कामयाब रहा. मुझे अपने जीवन को नए सिरे से बनाना है."

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32 वर्षीय खान को करीब 60 अन्य लोगों के साथ उड़ान भरने से पहले दो दिन इंतजार करना पड़ा था. उन्होंने कहा, "मैं बचपन से वहां रह रहा हूं. मेरा घर और दुकान लूट लिया गया है. जब मैंने अपनी दुकान और घर में तोड़फोड़ का वीडियो देखा तो मैं अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सका. तालिबान ने सब कुछ छीन लिया."

बेटियों को पढ़ाना चाहते हैं मोहम्मद खान
उन्होंने बताया कि शाम के करीब 4 बजे थे, जब उनकी बेटी घर से निकली थी तब वह सो रहा था. मोहम्मद खान ने कहा, "वह वापस आई और कहा कि तालिबान आ गए हैं. मैं डर गया था. मैं किसी तरह एक दोस्त से संपर्क करने में कामयाब रहा, जो भारतीय दूतावास में काम करता है और उसकी मदद से वीजा हासिल कर लिया."

अफगान नागरिक ने कहा कि वह युद्धग्रस्त राष्ट्र से बाहर निकलने में मदद करने के लिए भारत का आभारी हैं. मोहम्मद अब अपनी बेटियों को एक स्कूल में दाखिला दिलाना चाहते हैं और उसे इस आघात से उबरने में मदद करना चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि काबुल में स्थिति इतनी खराब हो जाएगी."
 

 

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