अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद काबुल समेत विभिन्न शहरों की सड़कों पर अफरातफरी का माहौल है. एयरपोर्ट पर भगदड़ जैसी स्थिति है और लोग जल्द से जल्द अफगानिस्तान छोड़ देना चाहते हैं. देश में एक बार फिर से तालिबान के कब्जे से कोहराम जैसी स्थिति है. सरकारी दफ्तरों पर तालिबानियों का कब्जा हो गया है. तालिबानी अब गाड़ियों को रोककर उनकी तलाशी ले रहे हैं.
जिन लोगों ने साल 1996 से 2001 के तालिबान के दौर को देखा है, उनके दिलों में दहशत बैठी हुई है. पूरी दुनिया की नजरें अफगानिस्तान पर टिकी हुई हैं. अमेरिका, ब्रिटेन फ्रांस और जापान समेत 60 से ज्यादा देशों ने साझा बयान जारी किया है. इस बयान में कहा गया है कि जिन देशों के नागरिक अफगानिस्तान से जाना चाहते हैं, उन्हें जाने दिया जाए. इस बीच भारत ने काबुल के लिए अपनी सारी उड़ानें टाल दी हैं. एमिरेट्स ने भी काबुल को जाने वाली सारी उड़ानें रोक दी हैं.
उधर, तालिबान ने अफगानिस्तान के लोगों से कहा है कि लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. साथ ही रात में 9 बजे के बाद बाहर न निकलने की चेतावनी दी है. तालिबानी अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर कब्जा जमा चुके हैं. सत्ता उनके कब्जे में आ चुकी है. अफगान के बदले हालात ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं. यहां हम आपको ऐसे 10 मुद्दों के बारे में बता रहे हैं, जो भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं...
1- पाकिस्तान का तालिबान को समर्थन: पाकिस्तान लगातार सीधे तौर पर तालिबान का समर्थन करता रहा है. खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कह चुके हैं कि अफगान ने गुलामी की अपनी बेड़ियों को तोड़ दिया है.
2- तालिबान का पाक के प्रति झुकाव: जिस तरीके से पाकिस्तान तालिबान का समर्थन कर रहा है, उसी तरह से तालिबान भी पाकिस्तान के प्रति अपना झुकाव रखता है. पाकिस्तान पूरी दुनिया में आतंकवाद फैलाने के लिए कुख्यात है. ऐसे में तालिबान का पाकिस्तान को समर्थन मिलने के बाद हालात और विकराल हो सकते हैं.
3- अफगानी जमीन से आतंकी खतरा: पाकिस्तान, चीन, तालिबान भारत के लिए आने वाले दिनों में मुश्किल खड़ी कर सकते हैं. पाकिस्तान अपने आतंकी मंसूबों को पूरा करने की कोशिश कर सकता है और इसके लिए अफगान की जमीन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. हालांकि, भारत भी पूरी तरह से तैयार है और किसी भी नापाक हरकत पर मुंहतोड़ जवाब देने का माद्दा रखता है.
4- तालिबान को चीन का समर्थन: भारत के एक और पड़ोसी देश चीन ने भी तालिबान को खुला समर्थन दे दिया है. चीन ने तालिबान के इस कब्जे के कदम का स्वागत किया है. चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि चीन अफगानिस्तान में तालिबान के साथ दोस्ताना और सहयोगपूर्ण रिश्ते कायम करना चाहता है.
5- कश्मीर में गड़बड़ी की आशंका: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 के हटाए जाने के बाद से ही शांतिपूर्ण स्थिति कायम है. पांच अगस्त को 370 हटाए जाने के दो साल भी पूरे हो गए हैं. ऐसे में कश्मीर में तालिबान के गड़बड़ी करने की भी आशंका है.
6- आतंकी गतिविधि बढ़ने का खतरा: सरकार जम्मू-कश्मीर में विकास की गति में तेजी आने का दावा करती आई है. सुरक्षाबल पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकियों को खत्म करने के लिए आए-दिन एनकाउंटर्स को अंजाम देते रहते हैं. अब जब पाकिस्तान को तालिबान का भी साथ मिलने की उम्मीद है तो फिर घाटी में आतंकी गतिविधियों के बढ़ने का भी खतरा बढ़ गया है.
7- बढ़ सकता है अंतरराष्ट्रीय ड्रग कारोबार: अफगानिस्तान में ड्रग काफी फलता-फूलता रहा है. अफीम दुनियाभर के देशों में भेजी जाती रही है. चूंकि, अब अफगानिस्तान में तालिबान का शासन हो गया है तो अंतरराष्ट्रीय ड्रग का कारोबार बढ़ने का भी खतरा मंडराने लगा है.
8- भारतीय प्रोजेक्ट्स के रुकने का खतरा: भारत और अफगानिस्तान काफी करीबी दोस्त रहे हैं. दोनों देशों के नागरिक एक-दूसरे के देशों में आते-जाते रहे हैं. भारत ने अफगान में हजारों करोड़ों के प्रोजेक्ट्स में निवेश किया हुआ है. सलमा डैम समेत विकास की अन्य परियोजनाओं के तालिबान के हाथ में आने से भारत के लिए परेशानी बढ़ सकती है.
9- अफगान में रह रहे भारतीयों की सुरक्षा: अफगानिस्तान में हालात बिगड़ने के बाद से ही भारत सरकार एडवाइजरी जारी करती रही है. बड़ी संख्या में लोगों को वतन वापस लाया जा चुका है, जबकि अब भी करीब 500 लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने की कोशिश जारी है.
10- तालिबान पर अमेरिका का रुख: अमेरिका पर पूरी दुनिया में सवाल खड़े हो रहे हैं. जिस तरीके से अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाया और उसके बाद पूरे देश में हालात बिगड़ गए. उससे अमेरिका के रुख को लेकर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. सवाल उठाए जा रहे हैं कि आने वाले समय में अमेरिका तालिबान को लेकर क्या रुख अपनाता है.
(आजतक ब्यूरो)