अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के एयरपोर्ट के पास गुरुवार को तीन धमाके हुए. पहले दो धमाके शाम को कुछ मिनटों के अंतराल पर हुए, जबकि तीसरा देर रात हुआ. अब तक इन धमाकों में 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. 120 से अधिक लोग घायल हो गए हैं. मरने वालों में 13 अमेरिकी कमांडो भी हैं. एयरपोर्ट के अब्बे गेट पर पहला धमाका हुआ, जबकि दूसरा एयरपोर्ट के पास बने बैरन होटल के नजदीक हुआ. इसी होटल में ब्रिटेन के सैनिक ठहरे हुए थे. मालूम हो कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद लगातार आतंकी हमले की आशंकाएं जताई जा रही थीं. अमेरिका, ब्रिटेन आदि ने आतंकी हमले की चेतावनी भी जारी की थी. 15 अगस्त को राजधानी काबुल पर कब्जा करने के साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान राज की शुरुआत हो चुकी है. काबुल में हुए सीरियल धमाकों के पल-पल के अपडेट्स पढ़ें...
काबुल हमले को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस से आतंकियों को चेताते हुए कहा है कि उन्हें इन मौतों की कीमत चुकानी होगी. उन्होंने कहा कि हम ये भूलेंगे नहीं, तुम्हें माफ नहीं किया जाएगा. हम चुन चुन कर शिकार करेंगे. हम अफगानिस्तान में रह रहे अपने अमेरिकी नागरिकों को बचाएंगे, साथ ही अपने सहयोगियों को भी निकालेंगे. हमारा मिशन जारी रहेगा. जरूरत पड़ी तो अतिरिक्त अमेरिकी फौज को फिर से अफगानिस्तान भेजेंगे.
इस्लामिक स्टेट खोरासान प्रांत (आइसिस-के या आईएसकेपी) ने अधिकारिक रूप से दावा किया है कि काबुल हवाईअड्डे पर गुरुवार को हुए आत्मघाती हमलों में उनका ही हाथ है. इसके साथ ही उन्होंने एक तस्वीर भी जारी की है. बताया जा रहा है कि यह तस्वीर उस आत्मघाती हमलावर की है. जिसका नाम अब्दुल रहमान अल लोगहरि है और वह संभवत: लोगार प्रांत का रहने वाला था.
काबुल एयरपोर्ट पर हुए सीरियल धमाकों की भारत ने निंदा की है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत आज काबुल में हुए बम धमाकों की कड़ी निंदा करता है. हम इस आतंकवादी हमले के पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं. इसके साथ ही घायलों के लिए प्रार्थना करते हैं. आज के हमले फिर इस बात को मजबूत करते हैं कि आतंकवाद और आतंकियों को मदद करने वालों के खिलाफ दुनिया को एकजुट होने की जरूरत है.
काबुल एयरपोर्ट के पास गुरुवार शाम को दो धमाकों के बाद देर रात एक और ब्लास्ट हुआ है. काबुल एयरपोर्ट के नजदीक तीसरे धमाके की आवाज सुनी गई है.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गुरुवार को काबुल हवाई अड्डे पर हुए हमले की निंदा की और कहा कि यह घटना अफगानिस्तान में जमीन पर स्थिति की अस्थिरता को दिखाती है. महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने दैनिक प्रेस वार्ता में कहा,''महासचिव इस आतंकवादी हमले की निंदा करते हैं, जिसमें कई नागरिक मारे गए और घायल हुए हैं. वह मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं.'' अफगानिस्तान की स्थिति पर सवालों के जवाब में दुजारिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र हताहतों और घायलों की गिनती कर रहा है और बताया कि अभी तक की बात करें तो इस हमले में कोई भी संयुक्त राष्ट्र का कर्मचारी हताहत नहीं हुआ है.
उत्तर प्रदेश के जल शक्ति विभाग के राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख ने देश के गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है. पत्र में अमित शाह से मांग की है कि अफगानिस्तान में जिन हिंदू और सिख परिवारों को भारत में लाया जा रहा है उन सिख व हिंदू परिवारों को रामपुर में बसाने के लिए विचार किया जाए, क्योंकि रामपुर में उन्हें कोई असुविधा नहीं होगी.
गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि अफगानिस्तान से आ रहे हिंदू व सिख परिवारों को बसाने के लिए रामपुर की तहलील विलासपुर में जमीन देने के लिए बिलासपुर के निवासी खुशी-खुशी तैयार हैं. विस्थापित हिंदू और सिख समुदाय के परिवारों के भरण-पोषण के लिए रामपुर में कृषि योग्य भूमि भी उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे जो हिंदू और सिख अफगानिस्तान से आएंगे, उनको जीवन यापन करने में कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा.
(रिपोर्ट: सत्यम मिश्रा)
काबुल में सीरियल ब्लास्ट में चार अमेरिकी मरीन कमांडो की भी मौत हुई है. इसके अलावा, तीन घायल हो गए हैं. काबुल में गुरुवार शाम को एयरपोर्ट के गेट और बाहर स्थित एक होटल के नजदीक दो धमाके हुए थे. इसमें कम से कम 40 लोगों की जान चली गई है.
काबुल में एयरपोर्ट के पास हुए दो धमाकों के बाद जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने अपना इजरायल का दौरा रद्द कर दिया है.
काबुल एयरपोर्ट के बाहर हुए दो धमाकों में मरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. अफगानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, कम-से-कम 40 लोगों की जान गई है, जबकि 120 लोग घायल हो गए हैं. घायलों का नजदीकी अस्पताल में इलाज चल रहा है.
नाटो प्रमुख जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने कहा है कि काबुल में गुरुवार को हुए 'भयानक आतंकवादी हमले' के बाद भी इवेकुएशन जारी रहना चाहिए.
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि काबुल एयरपोर्ट के पास हुए विस्फोट में कम-से-कम 52 लोग घायल हो गए हैं.
काबुल एयरपोर्ट के बाहर हुए सीरियल ब्लास्ट्स के बाद फ्रांस के राजदूत अफगानिस्तान छोड़कर वापस चले जाएंगे. फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि अफगानिस्तान छोड़कर अब राजदूत पेरिस से काम करेंगे.
काबुल में सीरियल ब्लास्ट के बाद कजाकिस्तान के ताराज शहर में बड़े धमाके की खबर है. सूत्रों के अनुसार, यह ब्लास्ट एक मिलिट्री बेस पर हुआ है.
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि काबुल एयरपोर्ट के पास हुए धमाकों में अमेरिका के नागरिक भी मारे गए हैं. वहीं, तालिबान ने कहा है कि हमने अमेरिकी सैनिकों को धमाकों को लेकर आगाह किया था.
काबुल एयरपोर्ट के पास गुरुवार शाम को दो धमाके हुए. पहला धमाका एयरपोर्ट के गेट पर हुआ, जबकि दूसरा एयरपोर्ट के पास स्थित बरून होटल के पास हुआ.
काबुल में हुए सीरियल ब्लास्ट को लेकर अमेरिकी दूतावास ने अलर्ट जारी किया है. दूतावास ने लोगों को एयरपोर्ट की ओर नहीं जाने के लिए कहा है. दूतावास ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि लोग काबुल एयरपोर्ट के पास जाने से बचें.
अफगानिस्तान के काबुल में सीरियल ब्लास्ट हुए हैं. एयरपोर्ट के पास हुए पहले ब्लास्ट के कुछ देर बाद फिर से एक और धमाका हुआ है. अल जजीरा के अनुसार, अब तक ब्लास्ट में 11 लोगों की जान चली गई है.
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने भी काबुल एयरपोर्ट के गेट के बाहर हुए ब्लास्ट की पुष्टि की है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के सचिव जॉन किर्बी ने कहा, ''काबुल एयरपोर्ट के गेट पर बड़ा धमाका हुआ है. अभी तक मरने वालों की पुष्टि नहीं हो सकी है और जानकारी मिलते ही उपलब्ध करवाएंगे.
अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट के गेट पर धमाके की खबर है. इसमें कई लोगों के घायल होने की आशंका जताई जा रही है.
अहमद मसूद के प्रवक्ता फहीम दश्ती ने कहा कि अब तक कोई भी डील नहीं हुई है. बातचीत जारी है. उन्होंने कहा कि हम सिर्फ एक पंजशीर प्रांत के लिए नहीं, बल्कि पूरे अफगानिस्तान के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. हम अफगानों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में चिंतित हैं. तालिबान को समानता और अधिकारों का आश्वासन देना होगा.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बैठक के बारे में बताया कि कुल 31 राजनीतिक दलों के 37 नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया. हर किसी के सवाल का जवाब दिया गया है, सभी लोग इस मसले पर एक साथ हैं. एस. जयशंकर ने जानकारी दी है कि हम लगातार लोगों को वापस ला रहे हैं, सबसे अधिक भारतीयों को वापस लाया गया है. साथ ही अफगान नागरिकों को भी भारत वापस लाया है.
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार सभी नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए तत्पर है. भारत इस वक्त अपने सभी साथी देशों के साथ संपर्क में है और तालिबान के मसले पर बातचीत की जा रही है.
क्लिक करें: तालिबान पर ‘वेट एंड वॉच’ के मोड में है भारत, सर्वदलीय बैठक में सरकार ने समझाई रणनीति
जानकारी के मुताबिक, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बैठक में कहा है कि अफगानिस्तान में हालात ठीक नहीं हैं, हम अपने लोगों को निकालने में जुटे हैं.
केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विदेश सचिव द्वारा प्रेजेंटेशन दी गई है. इसके बाद सभी राजनीतिक दलों द्वारा अपने-अपने सवाल पूछे जा रहे हैं और सुझाव दिए जा रहे हैं.
प्रधानमंत्री के निर्देश पर विदेश मंत्री ने यह बैठक बुलाई है, जिसमें अफगानिस्तान को लेकर भारत के रुख के बारे में सभी दलों के नेताओं को बताया जाएगा. भारत वहां से अपने सारे कूटनीतिक स्टाफ को वापस बुला चुका है और ऑपरेशन देवी शक्ति के जरिए वहां से अपने नागरिकों तथा अफगानियों को वापस ला रहा है
16 अगस्त को 80 भारतीयों को वापस लाकर इसकी शुरुआत की गई थी और अब तक भारत 800 से भी अधिक लोगों को वापस ला चुका है. अब तक प्रधानमंत्री मोदी अफगानिस्तान के मुद्दे पर दो बार कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक की अध्यक्षता कर चुके हैं.
उन्होंने निर्देश दिया है कि वहां से भारतीयों को सुरक्षित वापस लाना पहली प्राथमिकता है, माना जा रहा है कि सर्वदलीय बैठक में विदेश मंत्री ऑपरेशन देवी शक्ति के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे.
तालिबान को लेकर मंथन संभव
गौरतलब है कि भारत यह मानता है कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद अफगानिस्तान में ठिकाना बना चुके हैं और वहां की धरती का इस्तेमाल भारत पर आतंकी हमलों के लिए कर सकते हैं.
दूसरी चिंता अफगानिस्तान में पिछले दो दशकों में बड़े पैमाने पर किए गए भारतीय निवेश तथा वहां कई बड़ी परियोजनाओं की सुरक्षा को लेकर है. भारत का सहयोग देने वाले अफगानी नागरिकों की सुरक्षा तथा उन्हें भारत लाने पर भी सवाल पूछे जा सकते हैं.
सर्वदलीय बैठक को लेकर शिवसेना सांसद गजानंद कीर्तिकर का कहना है कि भारत सरकार कितने लोगों को निकाल रही है, क्या किसी भारतीय को नुकसान हुआ. ये सब जानकारी सरकार को देनी चाहिए. अमेरिका के जो हथियार तालिबान के हाथ में लगे हैं, उनपर भारत की सुरक्षा एजेंसियों की क्या नज़र है और इनपुट क्या है. शिवसेना ने मांग की है कि जो हिन्दू और सिख अफगानिस्तान से आ रहे हैं कि उन्हें नागरिकता मिलनी चाहिए.
All-party meeting on #Afghanistan begins. Government to brief all parties on developments in the neighbouring country @IndiaToday @aajtak pic.twitter.com/QS0ovscBvV
— Poulomi Saha (@PoulomiMSaha) August 26, 2021
अफगानिस्तान के मसले पर सर्वदलीय बैठक शुरू हो गई है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस बैठक की अगुवाई कर रहे हैं, जिसमें सभी दलों को अफगानिस्तान को लेकर जानकारी दी जा रही है.
Delhi | External Affairs Minister Dr S Jaishankar briefs all-party panel over the present situation in Afghanistan. pic.twitter.com/8SvKaeiGii
— ANI (@ANI) August 26, 2021
अफगानिस्तान के मसले पर सर्वदलीय बैठक हो रही है. एनके प्रेमचंद्रन, लल्लन सिंह, बिनय विश्वम और प्रसन्ना आचार्य इस बैठक के लिए संसद पहुंच गए हैं. विदेश सचिव हर्ष श्रृंग्ला भी पहुंच चुके हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार, मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन चौधरी समेत अन्य नेता भी बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं.
तालिबान की धमकी से इतर अमेरिका खुद ही इस दिन पूरी तरह से अफगानिस्तान छोड़ने का मन बना चुका है. कई नाटो देश भी ऐसा ही करने जा रहे हैं, ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो रहा है कि इनके बाद काबुल एयरपोर्ट का कंट्रोल किसके पास रहेगा.
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गुरुवार सुबह 11 बजे सभी फ्लोर लीडर्स की बैठक होगी, जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा अफगानिस्तान की स्थिति की जानकारी दी जाएगी. अफगानिस्तान से कितने भारतीयों को लाया गया, कितने अफगान नागरिकों को लाया गया, आगे क्या रणनीति होगी, भारत सरकार तालिबान पर क्या सोच रही है और अफगानिस्तान में मौजूद भारत के निवेश की क्या स्थिति है, इन सभी मसलों पर सरकार अपना रुख रखेगी.
इस बैठक में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन, मीनाक्षी लेखी, केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल भी मौजूद रहेंगे. अलग-अलग पार्टियों के फ्लोर लीडर्स मीटिंग में शामिल होंगे.