''मेरा नाम नीलम है. भारत सरकार हमारे ऊपर अत्याचार करती है. हकों की बात करने पर लाठीचार्ज करके हमें जेल के अंदर डाला जाता है. टॉर्चर किया जाता है. हमारे पास आवाज उठाने का कोई माध्यम नहीं है. हम किसी संगठन से नहीं हैं. आम स्टूडेंट हैं. माता-पिता हमारे लिए इतना काम करते हैं. मजदूर, किसान, छोटे व्यापारी, दुकानदार किसी की आवाज नहीं सुनी जाती. यह हर जगह हमारी आवाज को दबाने की कोशिश करते हैं. तानाशाही नहीं चलेगी. तानाशाही बंद करो. भारत माता की जय.'' यह कहते-कहते चीखती-चिल्लाती और नारेबाजी करती हुई एक प्रदर्शनकारी महिला को पुलिसकर्मी गाड़ी में बैठा देती है.
यह नजारा था बुधवार दोपहर नई दिल्ली स्थित संसद भवन के बाहर का. पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस ने परिवहन भवन के सामने रंगीन धुएं के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे एक लड़के और एक महिला को हिरासत में लिया.
मौके से थाने ले जाकर दोनों के खिलाफ केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया. छानबीन में महिला आरोपी का नाम नीलम पुत्री कौर सिंह सामने आया.
हिसार की रहने वाली है नीलम
42 साल की नीलम हरियाणा के हिसार स्थित रेड स्क्वेयर मार्केट की रहने वाली है. जबकि दूसरा आरोपी 25 वर्षीय अमोल शिंदे पुत्र धनराज शिंदे महाराष्ट्र के लातूर का निवासी है. घटना संसद के बाहर ट्रांसपोर्ट भवन के सामने चलती सड़क पर हुई है.
हैरानी की बात यह है कि लगभग उसी दौरान लोकसभा में भी हंगामा मच गया. यह हंगामा कोई संसद सदस्यों की बहस को लेकर नहीं, बल्कि दर्शक दीर्घा से सदन के फ्लोर पर कूदे युवकों की वजह से हुआ.
BJP सांसद के अतिथि बनकर पहुंचे आरोपी
दरसअल, कर्नाटक की मैसूर सीट से बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा के अतिथि बनकर लोकसभा की कार्यवाही देखने पहुंचे दो युवकों सागर और मनोरंजन ने अराजकता फैला डाली. शून्यकाल के दौरान सागर शर्मा नाम का युवक दर्शक दीर्घा से सांसदों के बीच जा कूदा. फिर उसने अपने जूते से कलर बम स्टिक निकलाकर फोड़ दिया. इससे सदन में पीला धुआं फैल गया और कार्यवाही में शामिल संसद सदस्य सहम गए.
हालांकि, सुरक्षाकर्मियों से पहले सांसदों ने ही काफी मशक्कत के बाद कूदते-फांदते युवकों को दबोच लिया. पहले पीटा और फिर सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर दिया.
चारों एक-दूसरे से परिचित
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संसद के बाहर और अंदर हंगामा करने वाले चारों आरोपी एक-दूसरे को जानते हैं. इन आरोपियों का एक ही मकसद था. बताया जा रहा है कि ये चारों सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे से मिले थे. फिर उन्होंने संसद पर हमले का प्लान बनाया था.
गौरतलब है कि पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद संगठनों के आतंकवादियों ने 2001 में आज ही के दिन संसद परिसर पर हमला किया था, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले की सुबह ही बरसी मनाई गई थी. फिर उसी दिन संसद में यह हमला हुआ तो सांसदों की जान सांसत में आ गई.