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हरियाणा में हार के बाद दिल्ली में AAP और कांग्रेस के गठबंधन का कितना चांस? राघव चड्ढा ने बताया

राघव चड्ढा ने हरियाणा में AAP और कांग्रेस के गठबंधन न होने पर निराशा जताई और कहा कि इससे चुनाव परिणाम प्रभावित हुए. वहीं, दिल्ली में AAP को कांग्रेस की मदद की जरूरत नहीं है और पार्टी अकेले ही बीजेपी का मुकाबला करने में सक्षम है.

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आप सांसद राघव चड्ढा (फाइल फोटो)
आप सांसद राघव चड्ढा (फाइल फोटो)

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. इस संदर्भ में आजतक की रिपोर्टर प्रीति चौधरी ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और नेता राघव चड्ढा से विशेष बातचीत की. प्रीति चौधरी ने जब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनावों पर AAP के प्रदर्शन के बारे में पूछा तो राघव चड्ढा ने कहा, 'जम्मू और कश्मीर में हमारा प्रदर्शन ऐतिहासिक रहा है. पहली बार हमने यहां एक सीट पर जीत दर्ज की है, जो हमारे लिए बहुत बड़ी नैतिक जीत है. आम आदमी पार्टी के साधारण कार्यकर्ता ने यह जीत हासिल की है, और इससे हमारी पार्टी को बड़ा मनोबल मिला है.'

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हालांकि, हरियाणा में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. राघव ने इसके लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन न हो पाने को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, 'हरियाणा में कांग्रेस और AAP के बीच गठबंधन होता तो परिणाम अलग हो सकते थे. हरियाणा की जनता ने बदलाव के पक्ष में मतदान किया, लेकिन बीजेपी के खिलाफ एकजुट लड़ाई न होने से परिणाम हमारे पक्ष में नहीं आए.'

राघव चड्ढा ने खुलकर यह भी कहा कि हरियाणा में चुनाव परिणाम कांग्रेस की हार के रूप में देखे जाने चाहिए, न कि बीजेपी की जीत के रूप में. उन्होंने कहा, 'हरियाणा के 61% मतदाता बीजेपी के खिलाफ थे, लेकिन एकजुट विपक्ष की कमी के कारण बीजेपी को जीत हासिल हुई. कांग्रेस ने आत्मविश्वास के साथ यह चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया और परिणाम सबके सामने हैं. मुझे उम्मीद है कि भविष्य में सभी राजनीतिक दल इससे सीख लेंगे.'

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दिल्ली में AAP और कांग्रेस के गठबंधन के बारे में सवाल पर राघव ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में उनकी पार्टी को कांग्रेस की मदद की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में हम अकेले बीजेपी को हराने में सक्षम हैं. 2015 और 2020 के चुनावों में हमने बीजेपी को भारी मतों से हराया था और दिल्ली की जनता का हमारे प्रति पूरा भरोसा है. इसीलिए हमें दिल्ली में किसी गठबंधन की जरूरत नहीं है.

दिल्ली में गठबंधन की संभावनाओं को खारिज करते हुए राघव चड्ढा ने यह भी कहा कि हर राज्य के राजनीतिक समीकरण अलग होते हैं. कुछ राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हैं, जैसे तमिलनाडु में DMK और पश्चिम बंगाल में TMC, जो बीजेपी को अकेले हराने में सक्षम हैं. लेकिन हरियाणा और अन्य कुछ राज्यों में कांग्रेस को छोटे दलों की मदद की जरूरत होती है. हरियाणा चुनाव पर बोलते हुए राघव चड्ढा ने कहा, 'अगर AAP, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एकजुट होकर चुनाव लड़ते तो परिणाम पूरी तरह से अलग हो सकते थे. गठबंधन की ताकत से चुनावी गणित को बदला जा सकता था और बीजेपी को आसानी से हराया जा सकता था.'

राघव चड्ढा के इन बयानों से यह साफ होता है कि हरियाणा में AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन की कमी ने विपक्ष को कमजोर किया, जबकि दिल्ली में AAP की स्थिति काफी मजबूत है और पार्टी अकेले ही बीजेपी से मुकाबला करने के लिए तैयार है.

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