केरल के बाद कर्नाटक में मच्छरों में जीका वायरस पाया गया है, जिससे इसके संभावित प्रसार के बारे में चिंता बढ़ गई हैं. कर्नाटक के चिकबल्लापुर जिले में मच्छर में जीका वायरस पाया गया है.
जिला स्वास्थ्य अधिकारी एसएस महेश ने बताया कि बेंगलुरु से सटे चिकबल्लापुर में मच्छर में जीका वायरस पाया गया है. अगस्त महीने में जांच के लिए मच्छरों के सैंपल इकट्ठा किए गए थे, जिस मच्छर में जीका वायरस पाया गया है उसे तालकेबेट्टा से इकट्ठा किया गया था.
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा, 'हमारे विभाग द्वारा निगरानी की जा रही है. हमने जो नमूने एकत्र किए थे, उनमें से कुछ जीका पॉजिटिव पाए गए हैं. चिकबल्लापुर में जीका वायरस के मच्छर पाए गए हैं. लगभग 10 दिन पहले हमें रिपोर्ट मिली है, और तब से हम वहां की स्थिति की निगरानी कर रहे हैं, और अब तक कोई व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ है. उम्मीद है, यह नियंत्रण में आ जाएगा.'
तालकेबेट्टा के 5 KM के दायरे में अलर्ट जारी
जीका वायरस के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान में अगस्त में एकत्र किए गए सैंपल्स की रिपोर्ट 25 अक्टूबर को जारी की गई थी. चिकबल्लापुर जिले में तालकेबेट्टा के आसपास पांच किलोमीटर के दायरे में अलर्ट जारी किया गया है. डीएचओ एसएस महेश ने बताया कि क्षेत्र में बुखार के सभी मामलों का बारीकी से विश्लेषण किया जा रहा है और जिन तीन रोगियों को तेज बुखार आया था, उनके नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं. अच्छी बात ये है कि तीनों मरीजों की हालत फिलहाल स्थिर है.
राज्य भर से कुल 100 नमूने एकत्र किए गए, जिनमें से 6 चिकबल्लापुर से थे. उनमें से पांच का परीक्षण नकारात्मक था, लेकिन एक सैंपल का जीका वायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया. जिला प्रशासन ने इसे लेकर अलर्ट पर है. डीएचओ ने ऐसे लोगों से आगे आने और अपने ब्लड सैंपल्स देने के लिए कहा है, जिनको लगातार 3 दिनों से हाई फीवर है. जीका वायरस से संक्रमण के लक्षण डेंगू जैसे ही हैं.
क्या है जीका वायरस?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, जीका वायरस एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. यही मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया और पीला ज्वर के लिए भी जिम्मेदार होते हैं. जीका वायरस संक्रमण की शुरुआत पश्चिम, मध्य अफ्रीका और दक्षिणपूर्व एशिया से हुई. अगर गर्भवती महिला को जीका वायरस का संक्रमण है, तो गर्भ मे पल रहे बच्चे के भी संक्रमित होने का डर रहता है.
जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस से संक्रमण के लक्षणों में शरीर पर लाल लाल धब्बे पड़ना, तेज बुखार आना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और सिर दर्द शामिल हैं. हालांकि, लोगों को पता नहीं चल पाता की वे जीका वायरस से संक्रमित हैं, क्योंकि इसके लक्षण बेहद आम हैं. इसलिए आदमी सामान्य वायरल समझकर इसे इग्नोर करता है. जीका वायरस से बचाव के लिए अब तक कोई वैक्सीन या इलाज विकसित नहीं हुआ है.
जीका वायरस से बचाव
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि जीका वायरस संक्रमण में व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में आराम करना चाहिए और लगातार पानी पीते रहना बहुत चाहिए. इसके पीछे का तर्क यह है कि अधिक मात्रा में पानी पीने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है और आराम करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है. साथ ही इस वायरस के संक्रमण के लक्षणों और इलाज के बारे में जागरूकता जरूरी है. जीका वायरस आमतौर पर इंसान के शरीर में एक सप्ताह तक जीवीत रहता है.