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बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद अब भारत पर आतंकी संगठनों की निगाहें, पाकिस्तानी साजिश का अंदेशा

पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) ने कथित तौर पर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए बांग्लादेश की अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के साथ साझेदारी की है. खुफिया जानकारी से पता चलता है कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने बांग्लादेश में हुए इस बदलाव में बड़ी भूमिका निभाई थी.

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तस्वीर बांग्लादेश में हिंसा और आगजनी के बीच हुए प्रदर्शन की है. (File Photo)
तस्वीर बांग्लादेश में हिंसा और आगजनी के बीच हुए प्रदर्शन की है. (File Photo)

बांग्लादेश में हुई सियासी उथल-पुथल का असर भारत पर भी देखने को मिल रहा है. एक ओर जहां सीमाओं पर चुनौतियां बढ़ गई हैं तो वहीं इस घटनाक्रम के बाद आतंकवादी संगठनों की सक्रियता का खतरा भी बढ़ गया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि भले ही कहा जा रहा हो कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ छात्रों ने माहौल बनाया हो. लेकिन तमाम खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि इस हिंसा के पीछे सक्रिय आतंकवादी संगठनों का हाथ था, जिनकी साजिश बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ भी थी.

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रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) ने कथित तौर पर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए बांग्लादेश की अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के साथ साझेदारी की है. खुफिया जानकारी से पता चलता है कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने बांग्लादेश में हुए इस बदलाव में बड़ी भूमिका निभाई. इसमें जमात-ए-इस्लामी और एबीटी सहित अन्य आतंकवादी समूहों का समर्थन था. रिपोर्ट से पता चलता है कि ABT और LeT के बीच 2022 में एक सहमति बनी थी, जिसका मकसद भारत में आतंकी हमला करना था. 

त्रिपुरा की घटना ने बनाया ये आतंकी गठजोड़

रिपोर्ट से पता चलता है कि त्रिपुरा में मस्जिदों को नुकसान पहुंचाने की खबरों के बाद लश्कर और एबीटी ने ये गठबंधन किया. 2022 के खुफिया इनपुट से संकेत मिलता है कि लगभग 50 से 100 एबीटी कैडर त्रिपुरा में घुसपैठ करने की योजना बना रहे थे. लेकिन इनमें से कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था.

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क्या है अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी)
 

इसकी शुरुआत 2007 में होती है जब जमात उल-मुस्लिमीन नामक एक संगठन चर्चा में आता है. लेकिन फंडिंग की कमी के चलते थोड़े ही समय में इसका प्रभाव फीका पड़ गया. फिर 2013 में यह अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के रूप में फिर से सामने आया. 2015 में इस ग्रुप पर बैन लगा. फिर इसने अंसार अल-इस्लाम के रूप में अपनी ब्रांडिंग की. 2017 में फिर से इसे बैन कर दिया गया. तब से अंसार अल-इस्लाम ने खुद को भारतीय उपमहाद्वीप (एक्यूआईएस) में अलकायदा की बांग्लादेशी शाखा के रूप में स्थापित किया है. इस संगठन पर बांग्लादेश में कई धर्मनिरपेक्ष लोगों की हत्या का आरोप है.दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल के अनुसार, 2013 से पूरे बांग्लादेश में लगभग 425 एबीटी/अंसार अल-इस्लाम सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है.

यह भी पढ़ें: हिंदुओं के अलावा बांग्लादेश में बसे दूसरे अल्पसंख्यक कितने सुरक्षित, क्यों उन पर हिंसा की खबरें नहीं सुनाई देतीं?


वर्तमान में बांग्लादेश में 9 प्रमुख इस्लामी आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं:

1. अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT)
2. अंसार अल-इस्लाम
3. लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
4. हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी बांग्लादेश (हूजी-बी)
5. जगराता मुस्लिम जनता बांग्लादेश (JMJB)
6. जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB)
7. पुरबा बांग्लार कम्युनिस्ट पार्टी (PBCP)
8. इस्लामी छात्र शिबिर (ICS)
9. इस्लामिक स्टेट (ISIS)

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इन संगठनों पर बैन लगाना शेख हसीना को पड़ा भारी

बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने इन आतंकी संगठनों पर अंकुश लगाने के लिए कई ठोस कदम उठाए थे. हाल ही में जब बांग्लादेश में छात्रों का प्रदर्शन जोरों पर था, तब भी शेख हसीना ने कहा था कि इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व छात्रों ने नहीं बल्कि आतंकवादियों ने किया था. शेख हसीना ने जमान-ए-इस्लामी जैसे कई संगठनों को बैन किया था. 

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