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अग्निपथ स्कीम: 75% अग्निवीरों को चार साल पूरे होने के बाद मंत्रालयों-कॉरपोरेशनों की भर्ती में मिलेगी तवज्जो!, जानिए क्या बोले राजनाथ

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना में 'अग्निपथ भर्ती योजना' (Agnipath Recruitment Scheme) की 14 जून को घोषणा की. मौके पर तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद थे. राजनाथ सिंह ने इस स्कीम की शुरुआत के साथ इसके फायदे बताए. ये भी बताया कि अग्निपथ स्कीम के योद्धाओं को अग्निवीर (Agniveer) पुकारा जाए.

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अग्निपथ योजना लॉन्च की. (पीटीआई)
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अग्निपथ योजना लॉन्च की. (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चार साल की स्कीम से सरकार को आर्थिक रूप से होगा फायदा
  • दावा: अग्निपथ भर्ती योजना से सेना को हो सकता है बड़ा नुकसान 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को अग्निपथ भर्ती योजना' (Agnipath recruitment scheme) का ऐलान किया लेकिन योजना के लॉन्च होते ही उस पर सवाल उठने लगे हैं. चार साल पूरे होने के बाद भले ही 25 फीसदी अग्निवीरों को स्थायी काडर में भर्ती कर लिया जाएगा लेकिन सवाल यह हो रहा है कि दसवीं या बारहवीं पास करके अग्निवीर बने 75 फीसदी युवाओं के पास चार साल बाद क्या विकल्प होगा. भले ही सरकार उन्हें करीब 12 लाख रुपये सेवा निधि देगी लेकिन उन्हें दूसरी नौकरी दिलवाने के लिए सरकार के पास क्या स्कीम है?

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इस पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मेरी जानकारी के मुताबिक बहुत से मंत्रालयों और राज्य सरकारों ने यह इच्छा व्यक्त की है कि उनके मंत्रालयों, कॉरपोरेशनों में अगर कोई भर्ती आती है जो उन्हें इसमें प्राथमिकता दी जाएगी. जल्द ही वे इस संबंध में घोषणा कर सकते हैं.

वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को ही घोषणा कर दी है कि अग्निवीर योजना के तहत सेना में काम करने वाले जवानों को मध्यप्रदेश पुलिस में प्राथमिकता दी जाएगी.

ट्रेनिंग पर उठ रहे हैं कई सवाल

- क्या सिर्फ 6 महीने की ट्रेनिंग कम नहीं रह जाएगी?

- क्या इसका सेना की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ेगा ?

- चीन-पाकिस्तान बॉर्डर पर कम ट्रेनिंग से कैसे काम चलेगा ?

- जहां अनुभवी सैनिकों की जरूरत होती है, वहां टेक्निल वर्क में कम ट्रेनिंग से कैसे काम चलेगा ?

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- क्या सीमित समय के लिए होने वाली भर्तियों का असर सेना में पहले से काम कर रहे सैनिकों के मनोबल पर नहीं पड़ेगा ?

आम सैनिकों जैसा नहीं होगा जोश

रक्षा विशेषज्ञ और रिटायर्ड सेना अधिकारी के मुताबिक अग्निपथ स्कीम खुद भारतीय सेना के लिए अग्निपथ साबित हो सकती है. पीके सहगल ने आजतक से बातचीत में कहा कि सवाल यह है कि जब जॉब स्थायी नहीं होगी. पेंशन भी नहीं मिलेगी तो क्या देश के इन अग्निवीरों के दिलों में उतनी ज्वाला पैदा हो सकेगी जितनी एक स्थायी सैनिक में होती है. उनकी तरह जोश, हिम्मत नहीं होगी. अग्निवीरों को चार साल बाद निलंबित कर दिया जाएगा तो वे जान दांव पर क्यों लगाएंगे.

बेहतर जवान 7-8 साल में होते हैं तैयार 

पीके सहगल ने कहा है कि एक बेहतर जवान को आर्मी में तैयार होने में 7-8 साल लग जाते हैं. ऐसे में जो अग्निवीर हैं जिनको 6 महीने की सिर्फ ट्रेनिंग दी जाएगी. वह कैसे बेहतर सैनिक बन पाएगा. मैंने राजनाथ सिंह की प्रेस कॉन्फ्रेंस सुना है उनके बॉडी लैंग्वेज से लग रहा था कि वह इस स्कीम से खुद संतुष्ट नहीं है. उनको मजबूरन ऐसा  करने के लिए कहा गया है. 

तो इस साल खाली हो जाते दो लाख पद

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कोरोना महामारी शुरू होने से पहले 2019-20 के दौरान सेना में 80 हजार से ज्यादा जवान भर्ती हुए थे लेकिन इसके बाद से भर्तियां नहीं हुईं. मार्च में संसद में रक्षा मंत्रालय ने कहा था एक जनवरी 2022 तक जवानों के 81 हजार पद खाली थे. डिफेंस सूत्रों का मानना है कि अगर भर्ती शुरू नहीं होती तो इस साल के आखिर तक सेना में जवानों के खाली पदों की संख्या दो लाख तक पहुंच सकती है. सेना में हर साल 60 से 80 हजार पद खाली हो जाते हैं. 

वेतन-पेंशन खर्च का भार होगा कम

लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) शंकर प्रसाद का कहना है कि केंद्र सरकार की इस स्कीम से वित्त के तौर पर सरकार को फायदा हो सकता है लेकिन इससे देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है. हम युद्ध के लिए फौज तैयार करते हैं ताकी युद्ध जीत सकें. युद्ध में हम रनर अप नहीं बन सकते. हमें विनर बनना पड़ेगा तभी हम देश की सुरक्षा कर सकते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक नई योजना का उद्देश्य तीनों सेवाओं के वेतन और पेंशन खर्च को कम करना है. 

दुनिया में दो तरह से नागरिक सेना में किए जाते हैं भर्ती

- मैंडेटरी मिलिट्री सर्विस फॉर सिटीजन: इसमें हर नागरिक को एक खास उम्र के दौरान मिलिट्री में अपनी सेवाएं देना अनिवार्य होता है. दुनिया के करीब 80 देशों में यह योजना लागू है, जिनमें इजरायल, सउदी अरब, नॉर्थ कोरिया, सीरिया और चीन जैसे देश शामिल हैं.

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- वॉलंटरी मिलिट्री सर्विस फॉर सिटीजन: इसमें नागरिकों के पास यह विकल्प होता है कि वो देश की सेना में अपनी सेवाएं दे सकें, लेकिन ऐसा करना अनिवार्य नहीं होता. अगर वो सेना में जाना चाहें तो वो खास ट्रेनिंग लेकर एक सीमित समय तक सेना में काम कर सकता है.

- भारत की अग्निपथ स्कीम मैंडेटरी मिलिट्री सर्विस फॉर सिटीजन और वॉलंटरी मिलिट्री सर्विस फॉर सिटीजन, दोनों के दायरे में नहीं आती है. अग्निपथ स्कीम में भर्ती युवाओं को सेना में अग्निवीर कहा जाएगा. आसान भाषा में कहें तो आप उन्हें स्कूलों में कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती किए जाने वाले शिक्षा-मित्रों की तरह सेना-मित्र कह सकते हैं.

अग्निपथ योजना एक नजर में

-  हर साल करीब 45 हजार युवाओं को सेना में शामिल किया जाएगा.

- साढ़े 17 साल से 21 साल की उम्र के युवाओं को ही इस योजना का लाभ मिलेगा.

- ये भर्तियां मेरिट और मेडिकल टेस्ट के आधार पर की जाएंगी.

- चयनित युवाओं को चार साल के लिए सेना में सेवा देने का मौका मिलेगा.

- इन चार वर्षों में अग्निवीरों को 6 महीने की बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाएगी.

- अग्निवीरों को 30 हजार से 40 हजार महीना सैलरी और अन्य फायदे दिए जाएंगे.

- इन दौरान अग्निवीर तीनों सेनाओं के स्थायी सैनिकों की तरह अवॉर्ड, मेडल और इंश्योरेंस कवर पाएंगे.

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- चार साल पूरे होने के बाद 25 फीसदी को स्थायी काडर में भर्ती किया जाएगा.

- चार साल बाद जो अग्निवीर बाहर होंगे उन्हें सेवा निधि पैकेज के तहत करीब 12 लाख रुपये एकमुश्त मिलेंगे.

(इनपुट ब्यूरो टीम)

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