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'अग्निपथ की आग' में फूंकी गई हजार करोड़ की संपत्ति, रेलवे को एक दशक में भी नहीं हुआ था इतना नुकसान

रेल मंत्रालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 में रेलवे को 467 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ था. एक ट्रेन के जलने से ही रेलवे को 40 से 70 करोड़ रुपये का नुकसान हो जाता है.

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अग्निपथ के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों में तोड़फोड़ भी की. (फाइल फोटो-PTI)
अग्निपथ के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों में तोड़फोड़ भी की. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अग्निपथ बवाल से हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान
  • पिछले साल रेलवे को 467 करोड़ का नुकसान हुआ था

केंद्र सरकार की 'अग्निपथ योजना' का विरोध इस कदर बढ़ा कि जगह-जगह आगजनी की घटनाएं देखने को मिलीं. विरोध की इस आग में सबसे ज्यादा नुकसान रेलवे को हुआ. प्रदर्शनकारियों ने रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और दर्जनों ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया. रेलवे ने 18 जून को बताया था कि उसे चार दिन के प्रदर्शन में ही 700 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है. 

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अग्निपथ योजना के विरोध में युवाओं ने अब तक रेलवे की जितनी संपत्ति फूंक दी है, उतनी संपत्ति का नुकसान तो रेलवे को एक दशक में भी नहीं हुआ था. अग्निपथ के विरोध प्रदर्शन में अब तक रेलवे को एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. जबकि, एक दशक में सवा चार सौ करोड़ रुपये की संपत्ति को नुकसान हुआ था.

देश में विरोध प्रदर्शन हो या कोई आंदोलन हो, प्रदर्शनकारी अक्सर रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे पहले इसी साल जनवरी में RRB-NTPC एग्जाम के रिजल्ट को लेकर भी अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया था. उस समय भी रेलवे की करोड़ों रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था.

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रेल मंत्रालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 में रेलवे को कानून व्यवस्था बिगड़ने और विरोध प्रदर्शनों के चलते 467.20 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ था. इसमें से 465 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान अकेले पंजाब में हुआ था. इसकी एक वजह किसान आंदोलन भी रही. इससे पहले 2019-20 में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा नुकसान रेलवे को हुआ था.

इस साल रेलवे की संपत्ति का नुकसान हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा होने का अनुमान है. प्रदर्शनकारियों के ट्रेनों को जलाने और पटरियों को नुकसान पहुंचाने से रेलवे को नुकसान तो हो ही रहा है, टिकट कैंसिल करवाने और रिफंड करने से भी उसे नुकसान उठाना पड़ रहा है. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, 60 करोड़ से ज्यादा यात्री टिकट कैंसिल करवा चुके हैं.

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, एक जनरल कोच बनाने में 80 लाख रुपये का खर्च आता है, जबकि स्लीपर कोच में 1.25 करोड़ और एसी कोच में 3.5 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. वहीं, एक रेल इंजन बनाने में 20 करोड़ रुपये की लागत आती है. इस हिसाब से 12 बोगियों वाली एक ट्रेन की कीमत 40 करोड़ रुपये और 24 बोगियों वाली ट्रेन की कीमत 70 करोड़ रुपये के आसपास होती है.

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5 साल तक की हो सकती है कैद

रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना कानूनन अपराध है और ऐसा करने पर 5 साल कैद की सजा हो सकती है. रेलवे एक्ट, 1989 की धारा 151 में इसके लिए सजा का प्रावधान किया गया है.

धारा 151 कहती है कि अगर कोई भी व्यक्ति जानबूझकर रेलवे की किसी भी संपत्ति को आग लगाकर, विस्फोटक के जरिए या किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाता है तो ऐसा करने पर उसे 5 साल कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

अब रेलवे की संपत्ति क्या होगी? वो भी इस धारा में लिखा गया है. इसके मुताबिक, रेलवे ट्रैक, ब्रिज, स्टेशन बिल्डिंग, कैरेज, लोकोमोटिव, सिग्नल सिस्टम, टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम, इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन और ब्लॉक इंस्ट्रूमेंट्स रेलवे की संपत्तियां हैं. इनके अलावा केंद्र सरकार की वो सारी संपत्तियां, जिनके नुकसान से रेलवे के संचालन में समस्या आ सकती है, वो भी रेलवे की संपत्ति मानी जाएगी.

 

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