
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की आज सुबह कोरोना से हुई मौत के बाद अब उनके पार्थिव शरीर को उनकी जन्मभूमि गुजरात के भरूच के पिरमल गांव में लाया जाएगा जहां उनकी इच्छा के अनुसार दफन किया जाएगा.
कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल के बेटे फैजल ने गांव के सरपंच से बात कर दफन विधि की तैयारी शुरू करने के लिए कहा है. दरअसल, कांग्रेस के दिग्गज नेता पटेल की आखिरी इच्छा यही थी कि उनकी क्रब भी वहीं पास में बने जहां उनकी अम्मी हवाबेन पटेल और अब्बु मोहम्मद इशाकजी पटेल की क्रब है.
मौत की खबर आते ही सुबह गांव के लोगों ने उनके माता-पिता की कब्र के पास ही दफनाने के लिए कब्र खोदने का काम शुरू कर दिया था. दोपहर के बाद उन्हें स्पेशल एरक्राफ्ट के जरिए पहले वडोदरा और फिर वहां से उनके गांव पिरमल लाया जाएगा.
कांग्रेस के संकटमोचक कहे जाने वाले अहमद पटेल ने सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार के तौर पर कई साल तक काम किया और वह राजनीति के चाणक्यों में शुमार किए जाते हैं.
गांधी परिवार के साथ उनका रिश्ता इंदिरा गांधी के वक्त से था. 1977 में जब वो सिर्फ 28 साल के थे तब उन्होंने पहली बार लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा और जीते भी. कांग्रेस में अहमद पटेल का कद 1980 से 1984 में बढ़ा, जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली. राजीव गांधी के बेहद करीबी रहे अहमद पटेल कांग्रेस के महासचिव भी बने.
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अहमद पटेल की रणनीति और राजनीति तब देखने मिली जब 2017 में उन्हें राज्यसभा के लिए गुजरात से चुनाव लड़ना था, जिसमें उनके साथ अमित शाह, स्मृति ईरानी और कांग्रेस से बीजेपी में आए बलवंतसिंह राजपूत चुनाव लड़ रहे थे. बीजेपी ने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की जबकि अहमद पटेल अहमदाबाद में रह कर लगातार अपने विधायकों को बचाने में लगे रहे.
राजनीति और रणनीति के माहिर अहमद पटेल महज एक वोट से राज्यसभा चुनाव जीते थे. माना जा रहा था कि ये चुनाव अहमद पटेल और अमित शाह के बीच राजनीतिक जोड़-तोड़ के बीच का चुनाव था, जिसमें आखिरकार अहमद पटेल ने बाजी मारी और गुजरात से राज्यसभा में पहुंचे.