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28 साल का मरीज बजाता रहा सिंथेसाइजर, AIIMS में डॉक्टर ने बेहोश किए बिना निकाल दिया ब्रेन ट्यूमर

बिहार के बक्सर जिले का रहने वाला 28 साल का युवक मिर्गी के दौरे से पीड़ित था. एम्स भोपाल के न्यूरोसर्जरी विभाग में जांच करवाने पर पता चला कि मरीज के दिमाग का ट्यूमर मोटर स्ट्रिप एरिया के बेहद करीब है और सामान्य एनेस्थीसिया में ऑपरेशन करने पर कमजोरी विकसित होने की अधिक संभावना थी इसलिए ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण था.

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ब्रेन सर्जरी के दौरान सिंथेसाइजर बजाता मरीज.
ब्रेन सर्जरी के दौरान सिंथेसाइजर बजाता मरीज.

MP News: भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में डॉक्टर्स ने एक बेहद जटिल ऑपरेशन कर मरीज को नई जिंदगी दी है. खास बात यह रही कि पूरे ऑपरेशन के दौरान मरीज पूरी तरह होश में था और बातें भी कर रहा था. साथ ही ऑपरेशन थियेटर की टेबल पर लेटकर सिंथेसाइजर भी बजाता रहा. 

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बिहार के बक्सर जिले का रहने वाला 28 साल का युवक मिर्गी के दौरे से पीड़ित था. एम्स भोपाल के न्यूरोसर्जरी विभाग में जांच करवाने पर पता चला कि मरीज के दिमाग का ट्यूमर मोटर स्ट्रिप एरिया के बेहद करीब है और सामान्य एनेस्थीसिया में ऑपरेशन करने पर कमजोरी विकसित होने की अधिक संभावना थी इसलिए ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण था.

इसको लेकर एम्स के प्रो. अमित अग्रवाल, डॉ. आदेश श्रीवास्तव, डॉ. सुमित राज और डॉ. प्रदीप चौकसे ने एक मीटिंग की और हाथ-पैरों की कमजोरी के जोखिम को कम करने के लिए अवेक क्रेनियोटॉमी करने का निर्णय लिया गया. 

अवेक क्रेनियोटॉमी एक इंट्राक्रानियल सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें घाव की मैपिंग और रीसेक्शन के लिए सर्जरी के दौरान मरीज को जान-बूझकर जगाया जाता है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान यह प्रक्रिया तेजी से लोकप्रिय हुई और इसके परिणाम भी बेहतर आते हैं. 

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डॉ. सुमितराज ने डॉ. अमोल मित्तल और डॉ. रंजीत के साथ निलकर इस ऑपरेशन को किया. सर्जरी के दौरान मरीज होश में था. क्रेनियोटॉमी के बाद ट्यूमर देखा गया. जब ट्यूमर को बाहर निकाला गया, उसी समय मरीज को सिंथेसाइजर बजाने के लिए कहा गया.



दरअसल, ऑपरेशन के दौरान यह देखा गया कि मरीज का ब्रेन ट्यूमर निकालते समय उसकी उंगलियों का मूवमेंट हो रहा है या नहीं? इसलिए सिंथेसाइजर बजाने से पता चला कि ट्यूमर निकालने के दौरान मरीज के हाथ या उंगलियों सुन्न नहीं पड़ीं. 

प्रक्रिया के दौरान मरीज से लगातार बातचीत होती रही. प्रक्रिया के अंत में रोगी अपने अंगों को भी हिला रहा था. इस ऑपरेशन में एनेस्थीसिया टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसमें डॉ. आशुतोष कौशल और डॉ. अनुपमा शामिल थे. एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह पूरी टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है. 

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