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डिप्रेशन और मानसिक बीमारी से लड़ने में मदद करेंगे ये 2 मोबाइल ऐप, AIIMS ने बनाया

ऐप का नाम सक्षम और दिशा दिया गया है. सक्षम ऐप उन लोगों के लिए है जो पुरानी मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं, जबकि दिशा ऐप उन लोगों को लाभान्वित करेगा, जो इस तरह के लक्षणों के पहले एपिसोड से गुजर रहे हैं.

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दिल्ली के एम्स ने डेवलप किए दो 'मोबाइल ऐप'
दिल्ली के एम्स ने डेवलप किए दो 'मोबाइल ऐप'
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अगले साल जनवरी से आम लोगों के लिए उपलब्ध होंगे ये ऐप
  • सक्षम और दिशा नाम के दो ऐप, जो बीमार लोगों की मदद करेंगे
  • ब्रिटेन के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च द्वारा वित्त पोषित

दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने पुरानी मानसिक बीमारी से पीड़ित मरीजों और उनके देखभाल करने वालों के लिए दो मोबाइल ऐप विकसित किए हैं. कोरोना की वजह से डिप्रेशन और मानसिक बीमारियों से ग्रस्त मरीजो की संख्या में लगाातर इजाफा हो रहा है, ऐसे में ये दो एप्लिकेशन मानसिक बीमारियों से लड़ रहे मरीजों के लिए वरदान साबित होंगे. 

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लगातर काम और फास्ट लाइफस्टाइल और अन्य कारणों से डिप्रेशन का भी शिकार लोगों को होते देखा जा रहा है, ऐसे में AIIMS की इन दो एप्लिकेशन से उन मरीजों को फायदा होगा जो लगातार मानसिक बीमारियों जूझ रहे हैं. यह ऐप गंभीर मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों के साथ ही उन लोगों के लिए भी फायदेमंद होंगे, जिन्हें बीमारी से संबंधित लक्षणों का हाल ही में पता चला है.

AIIMS की मनोचिकित्सक ममता सूद बताती हैं कि इस ऐप को हमने 25 मरीजों पर ट्रायल किया है. ट्रायल के दौरान इसका रिजल्ट बहुत अच्छा आया. ये ऐप मरीजों की हर जरूरत को समझेगी और उनकी रोजमर्रा की जिंदगी, उनकी कमियां सब इस ऐप के जरिए रिकॉर्ड में रहेगा. 

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AIIMS की मनोचिकित्सक ममता सूद
AIIMS की मनोचिकित्सक ममता सूद

उन्होंने बताया कि इन दो ऐप का नाम सक्षम और दिशा दिया गया है. सक्षम ऐप उन लोगों के लिए है जो पुरानी मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं, जबकि दिशा ऐप उन लोगों को लाभान्वित करेगा, जो इस तरह के लक्षणों के पहले एपिसोड से गुजर रहे हैं. दोनों ऐप को इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली और यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक, ब्रिटेन के कंप्यूटर विज्ञान विभागों के सहयोग से विकसित किया गया है. इस परियोजना को ब्रिटेन के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च द्वारा वित्त पोषित किया गया.

ये एप्लिकेशन अगले साल जनवरी से आम लोगों के लिए भी उपलब्ध होंगे. ये ऐप मरीजों की दवाओं और अन्य जरूरतों के लिए देखभाल करने वालों को रिमाइंडर भी भेजेंगे. AIIMS की कोशिश है कि इन एप्लिकेशन का फायदा वो लोग भी उठा पाएं जो आमतौर पर मनोचिकित्सक के पास जाने से डरते हैं कि कहीं उनकी बीमारी सार्वजनिक न हो जाए. 


 

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