दुनियाभर में कोरोना महामारी ने लोगों को शारीरिक और मानसिक तौर पर काफी झकझोर कर रख दिया है. अब, बेशक कोरोना का कहर कम हुआ हो लेकिन मानव शरीर में इसके कॉम्प्लिकेशंस अभी भी बने हुए हैं. एक्सपर्ट्स ने चेताते हुए कहा है कि कोरोना के बाद भी मस्तिष्क में समस्याएं हो सकती हैं.
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स दिल्ली के न्यूरॉलोजी विभाग की प्रमुख प्रोफेसर पद्मा श्रीवास्तव का कहना है, कोरोना के बाद मस्तिष्क में कॉम्पिलकेशंस हो सकते हैं. ब्रेन अटैक जैसी स्थितियों से लोगों को दो चार होना पड़ सकता है. आर्टरीज, वेन्स में स्ट्रोक हो सकता है. ब्रेन इन्फ्लेमेशन (brain Inflammation) भी हो सकता है. इस संबंध में रिसर्च अभी जारी है, अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है.
कोरोना की वजह से मस्तिष्क संबंधी दिक्कतें बढ़ीं
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के बाद लोगों में ह्रदय और मस्तिष्क संबंधी समस्याओं में इजाफा हुआ है, विशेष रूप से कोरोना की दूसरी लहर के बाद इसके मामले देखने को मिले हैं.
एम्स में न्यूरोलॉजी प्रोफेसर डॉ. मंजरी त्रिपाठी कहती हैं कि कोरना के बाद लोगों में मस्तिष्क संबंधी दिक्कतें बढ़ी हैं, जिसका कारण है कि कोरोना का प्रभाव मस्तिष्क पर भी पड़ा है.
उन्होंने कहा, इससे डिमेंशिया, स्ट्रोक, गुइलेन बर्रे सिंड्रोम (Guillain Barre syndrome) के मामले बढ़े हैं. मानव ह्रदय भी इससे अछूता नहीं रहा. कम उम्र के लोगों को दिल के दौरे पड़ रहे हैं. युवाओं में ह्रदय संबंधी समस्याएं बढ़ी हैं.
त्रिपाठी ने सुझाव दिए हैं कि लोगों को किसी भी तरह की न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की स्थिति में तुरंत जांच करानी चाहिए और डॉक्टर के अनुरूप दवाइयां लेनी शुरू कर देनी चाहिए.
ह्रदय और मस्तिष्क संबंधी समस्याएं 60 फीसदी बढ़ी
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. अशोक सेठ का कहना है कि एक स्टडी से पता चला है कि ह्रदय संबंधी और मस्तिष्क संबंधी समस्याओं में 60 फीसदी का इजाफा हुआ है.
डॉ. सेठ ने कहा, पश्चिमी देशों से बहुत आंकड़ें सामने आए हैं, लगभग एक साल में हजारों लोगों पर की गई स्टडी से पता चला है कि समान अवधि में सामान्य आबादी की तुलना में हार्ट अटैक या स्ट्रोक की घटनाएं 60 फीसदी बढ़ी हैं. इसलिए हम इसे लेकर बहुत स्पष्ट हैं कि कोरोना यहां तक कि इसके हल्के लक्षणों से भी लंबे समय तक लोगों पर इसका असर पड़ सकता है. इससे लोगों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक की घटनाएं बढ़ी हैं.
एम्स दिल्ली की सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पदमा श्रीवास्तव कहती हैं कि कोरोना सिर्फ फेफड़ों की बीमारी नहीं है बल्कि इतने सालों में यह मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम तक पहुंच गया है और दिक्कतें पैदा करने लगा है.