ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अफगानिस्तान में तालिबान के विस्तार पर केंद्र को घेरा है. उन्होंने साल 2013 में संसद में दिए गए एक भाषण का जिक्र किया है, जिसमें वे यह कहते नजर आ रहे हैं कि तालिबान के साथ रणनीतिक हितों को स्थापित करने के लिए संवाद कायम किया जाए.
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि उन्होंने कह दिया था अमेरिका से अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी तय है. 2013 की शुरुआत में ही मैंने केंद्र को आगाह किया था कि अफगानिस्तान में हमारे हितों की रक्षा के लिए तालिबानियों के साथ एक राजनयिक स्तर पर संवाद स्थापित हो. ओवैसी ने कहा कि अब हमने 3 अरब डॉलर का निवेश अफगानिस्तान में कर दिया है. किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया. और अब सरकार क्या करेगी.
लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी कहा कि साल 2019 में भी मैंने अफगानिस्तान में तालिबान की गतिविधि को लेकर अपनी चिंताओं को संसद में दोहराया था. जब पाकिस्तान, अमेरिका और तालिबान मास्को में बातचीत कर रहे थे, तब प्रधानमंत्री कार्यालय यह गिन रहा था कि उन्होंने कितने बार तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को गले लगाया है. हमें अब तक यह नहीं पता कि अफगानिस्तान को लेकर सरकार की नीति क्या है.
Explainer: अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा, अब आगे क्या होगा? भारत के लिए क्यों चिंता की बात?
अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा
अफगानिस्तान ने रविवार को काबुल पर कब्जा कर लिया. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, अपना देश छोड़कर करीबियों के साथ भाग गए हैं. अफगानिस्तान पर तालिबान का राज पूरी तरह से हो चुका है. तालिबान के बढ़ते प्रभाव से डरकर लोग अफगानिस्तान छोड़ रहे हैं. भारत भी अपने नागरिकों को वहां से बाहर निकालने के लिए मिशन चला रहा है.
हजारों करोड़ के निवेश का क्या होगा?
भारत ने अफगानिस्तान में हजारों करोड़ों के प्रोजेक्ट्स में निवेश किया हुआ है. सलमा डैम समेत विकास की अन्य परियोजनाओं के तालिबान के हाथ में आ चुकी हैं. ऐसे में भारतीय निवेश पर मंडरा रहे खतरे को लेकर लोगों में चिंता देखने को मिल रही है.