scorecardresearch
 

12 महीने में 12 दिन भी साफ हवा में सांस नहीं ले पाते दिल्ली वाले... डरा देगी ये नई रिपोर्ट

वायु प्रदूषण पर आई एक नई रिपोर्ट डराती है. ये रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली वाले 12 महीने में 12 दिन भी साफ हवा में सांस नहीं ले पाते. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राजधानी दिल्ली की हवा में PM2.5 का स्तर WHO के तय मानक से कई गुना ज्यादा है.

Advertisement
X
दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर बहुत खतरनाक है. (फोटो- Rahul Gupta/aajtak.in)
दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर बहुत खतरनाक है. (फोटो- Rahul Gupta/aajtak.in)

क्या आप राजधानी दिल्ली में रहते हैं? अगर जवाब हां है, तो यकीन मानिए साल के 66 फीसदी से ज्यादा वक्त आप ऐसी हवा में सांस ले रहे हैं जो बहुत जहरीली है. 

Advertisement

इसका मतलब समझते हैं आप? एक साल में 8 हजार 760 घंटे होते हैं. इनमें से 5 हजार 808 घंटे आप जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं. और जो बाकी घंटे बचे हैं, उसमें भी हवा कोई बहुत साफ नहीं है. हां... वो थोड़ी कम जहरीली जरूर है, लेकिन जहरीली वो भी है.

कुल मिलाकर, साल के 8 हजार 760 घंटों में से महज 280 घंटे ही ऐसे हैं जब आप साफ हवा में सांस ले रहे हैं. इस समय को अगर दिनों में गिना जाए तो ये 12 दिन भी नहीं होते हैं. 

ये जानकारी वर्ल्ड एयर क्वालिटी 2022 रिपोर्ट में सामने आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी दिल्ली दुनिया का दूसरा ऐसा शहर है जहां हवा में PM2.5 की मात्रा तय मानक से कहीं ज्यादा है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2021 में गाइडलाइन जारी की थी. इसमें हवा में मौजूद 6 प्रदूषणकारी तत्वों का मानक तय किया गया था. इसके मुताबिक, हर क्यूबिक मीटर में PM2.5 की मात्रा का सालाना औसत 5 माइक्रोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए या 24 घंटे में 15 माइक्रोग्राम तक हो.

Advertisement
दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में है. (फाइल फोटो-AFP)

कितनी जहरीली दिल्ली की हवा?

वर्ल्ड एयर क्वालिटी की रिपोर्ट बताती है कि 2022 में राजधानी दिल्ली की हवा में हर क्यूबिक मीटर में PM2.5 की मात्रा 92.6 माइक्रोग्राम रही थी. ये तय मानक से 18 गुना ज्यादा है.

इसे अलग-अलग कलर लेवल के हिसाब से समझाया गया है. राजधानी दिल्ली में 66.3 फीसदी समय हवा मरून लेवल पर रही. मरून लेवल यानी हवा में PM2.5 की मात्रा तय मानक से 10 गुना या उससे ज्यादा हो. वहीं, 13.7 फीसदी समय पर्पल लेवल (7 से 10 गुना ज्यादा), 9.2 फीसदी समय रेड लेवल (5 से 7 गुना ज्यादा) और 7 फीसदी समय ऑरेंज लेवल (3 से 5 गुना ज्यादा) रहा. 

अगर इसे हम दिनभर के उदाहरण से समझें तो 24 घंटे में से करीब 16 घंटे हवा में प्रदूषण का स्तर मरून लेवल पर रहा. जबकि 3.2 घंटे पर्पल लेवल और 2.2 घंटे रेड लेवल पर रहा. बाकी 1.6 घंटे ऑरेंज लेवल पर रही. यानी, एक दिन में बमुश्किल एक घंटा ही आप साफ हवा में सांस ले सके. 

वातावरण में मौजूद PM2.5 बेहद खतरनाक होता है, क्योंकि ये हमारे बालों से भी 100 गुना छोटा होता है. PM2.5 का मतलब है 2.5 माइक्रॉन का कण. माइक्रॉन यानी 1 मीटर का 10 लाखवां हिस्सा. 

Advertisement

हवा में जब इन कणों की मात्रा बढ़ जाती है तो विजिबिलिटी प्रभावित होती है. ये इतने छोटे होते हैं कि हमारे शरीर में जाकर खून में घुल जाते हैं. इससे अस्थमा और सांस लेने में दिक्कत होती है.

मेट्रो शहरों में दिल्ली की हवा सबसे खराब

भारत के छह बड़े शहरों में आते हैं- दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई. रिपोर्ट के अनुसार उनके डेटा को देखें तो पता चलता है कि इन शहरों में सबसे ज्यादा प्रदूषित दिल्ली है. जहां पर पूरे साल AQI बुरी स्थिति में रहती है. 

दिल्ली में सिर्फ जुलाई और अगस्त का महीना ऐसा होता है, जब बारिश की वजह से थोड़ी हवा साफ होती है. नहीं तो पूरे साल PM2.5 का स्तर खतरनाक ही रहता है.

दिल्ली की तुलना में बाकी पांचों शहरों की स्थिति ज्यादा बेहतर है. कोलकाता में प्रदूषण का स्तर पिछले दो साल से खराब चल रहा है. लेकिन मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई की स्थिति दिल्ली और कोलकाता से बेहतर है. 

पिछले साल मुंबई की हवा पांच महीने बहुत ज्यादा खराब रही. ऐसी ही स्थिति हैदराबाद की थी. लेकिन बेंगलुरु और चेन्नई की स्थिति सबसे बेहतर रही है.

खराब हवा की वजह से जीने की उम्र भी कम हो रही है. (फाइल फोटो-PTI)

कितनी खतरनाक है जहरीली हवा?

Advertisement

- जहरीली हवा का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. साइंस जर्नल लैंसेट की स्टडी बताती है कि 2019 में वायु प्रदूषण की वजह से भारत में 16.7 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. 

- वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल खराब हवा की वजह से 70 लाख लोग बेमौत मारे जाते हैं. इतना ही नहीं, दुनिया की 99 फीसदी आबादी खराब हवा में सांस लेने रही है.

- एक रिपोर्ट ये भी बताती है कि खराब हवा की वजह से उम्र भी कम हो जाती है. दुनिया में ये एवरेज 2.2 साल का है. जबकि, दिल्ली में 9.7 साल और उत्तर प्रदेश में 9.5 साल का है. यानी, अगर आप दिल्ली में हैं तो खराब हवा की वजह से आपकी उम्र में 9 साल 7 महीने की कमी आ सकती है. 

- इसके अलावा, स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 की रिपोर्ट बताती है कि 2019 में वायु प्रदूषण की वजह से भारत में 1.16 लाख नवजातों की मौत हो गई थी. यानी, ये बच्चे एक महीने भी जी नहीं पाए थे. ये आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा था. भारत के बाद नाइजीरिया था, जहां करीब 68 हजार नवजातों की मौत हुई थी. 

 

Advertisement
Advertisement