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अजमेर दरगाह विवाद: कोर्ट में दायर किए गए पांच आवेदन, अगली सुनवाई 24 जनवरी को

अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर घोषित करने के विवाद में नए मोड़ आए हैं. दीवान जैनुल आबेदीन सहित पांच लोगों ने आवेदन दायर कर मामले में पार्टी बनने की मांग की है. अदालत ने 24 जनवरी को अगली सुनवाई निर्धारित की है.

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अजमेर शरीफ दरगाह.
अजमेर शरीफ दरगाह.

अजमेर शरीफ दरगाह विवाद मामले में स्थानीय अदालत में पांच याचिकाएं दाखिल की गई है. ये याचिकाएं अजमेर दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन अली खान और अन्य द्वारा मामले में एक पार्टी बनने के लिए दायर की गई हैं, जहां दरगाह को हिंदू मंदिर घोषित करने को लेकर पहले से ही सुनवाई हो रही है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 जनवरी की तारीख निर्धारित की है. 

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हिंदू सेना नाम की संस्था के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने याचिका दायर की है, और उनका दावा है कि दरगाह का निर्माण शिव मंदिर की जगह पर किया गया था, और मंदिर को खोजने के लिए एक सर्वे किया जाना चाहिए.

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पार्टी बनने के लिए पांच आवेदन दायर की गई

अदालत ने 27 नवंबर को दरगाह को मंदिर घोषित करने की मांग वाली याचिका को स्वीकार किया था और अजमेर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और एएसआई को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा था. शुक्रवार की सुनवाई के दौरान मामले में पार्टी बनने के लिए पांच आवेदन दायर किए गए. ये आवेदन अजमेर दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन अली खान और अन्य द्वारा दायर की गई हैं.

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24 जनवरी तक नोटिस का जवाब देने का निर्देश

विष्णु गुप्ता के वकील योगेंद्र ओझा ने बतया कि कोर्ट ने आवेदिनों को स्वीकार किया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 जनवरी की तारीख निर्धारित की. उन्होंने बताया कि मामले में दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और एएसआई को नोटिस जारी किया गया है, जिन्हें अपना जवाब दाखिल करने के लिए जरूरी दस्तेवाजों की जरूरत होगी. ये दस्तावेज इस दावे से संबंधित हैं कि वहां शिव मंदिर था.

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दरगाह को मंदिर घोषित करने की मांग

जैनुल आबेदीन अली खान के वकील नसीरुद्दीन चिश्ती ने कोर्ट को बताया कि उनके पिता दरगाह के प्रमुख थे और उन्हें मामले में पार्टी बनाया जाना चाहिए. अंजुमन के सेक्रेटरी सरवर चिश्ती ने भी एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने एक पार्टी बनने की मांग की थी. दरगाह शरीफ को हिंदू मंदिर घोषित करने की मांग के साथ दायर याचिकाओं के बाद विवाद काफी बढ़ गया है, और मुस्लिम नेताओं का कहना है कि इस तरह के कदमों से भाईचारे को ठेस पहुंचती है, और इसपर रोक लगना चाहिए.

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