समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के बयान का बचाव किया है. सुमन के संसद में मेवाड़ के शासक रहे राणा सांगा को 'गद्दार' बताए जाने के बाद राजनीतिक बवाल मच गया था. बीजेपी ने सपा सांसद के इस बयान को हिंदू समुदाय के प्रति अपमान बताया और अखिलेश यादव पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया.
21 मार्च को राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान, रामजीलाल सुमन ने कहा था कि भारतीय मुसलमान बाबर को अपना आदर्श नहीं मानते, बल्कि वे पैगम्बर मुहम्मद और सूफी परंपराओं का पालन करते हैं. उन्होंने सवाल उठाया था कि आखिर बाबर को भारत लाया कौन? "यह राणा सांगा ही थे जिन्होंने बाबर को इब्राहिम लोदी को हराने के लिए आमंत्रित किया था."
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इतिहास और हिंदू समाज का अपमान
बीजेपी ने अखिलेश यादव के सुमन के बयान का समर्थन करने पर कहा कि यह भारतीय इतिहास और हिंदू समाज का अपमान है. बीजेपी नेताओं और हिंदू संगठनों ने औरंगजेब को महिमामंडित करने की कोशिशों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है, और हिंदू संगठन औरंजेब की कब्र को हटाने की मांग कर रहे हैं.
अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि "अगर बीजेपी के नेता इतिहास के पन्ने पलट सकते हैं, तो रामजीलाल सुमन ने इतिहास के एक पन्ने का उल्लेख किया है. हमने 200 साल पहले का इतिहास नहीं लिखा." उन्होंने बीजेपी से अपील की कि वह इतिहास को सेलेक्टिव तरीके से न खंगाले.
पैर के अंगूठे से किया गया था शिवाजी का अभिषेक
अखिलेश यादव ने शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का जिक्र करते हुए याद दिलाया कि उस समय उन्हें हाथ से नहीं बल्कि बाएं पैर के अंगूठे से अभिषेक किया गया था और पूछा कि क्या आज बीजेपी इस पर माफी मांगेगी?
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बीजेपी नेता अमित मालवीय ने अखिलेश यादव पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि वह तुष्टिकरण की राजनीति में लगे हैं और सुमन के बयान का समर्थन कर रहे हैं.
वहीं, विश्व हिंदू परिषद ने सपा सांसद सुमन के बयान को शर्मनाक बताते हुए उनसे माफी की मांग की है. केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भी सुमन की टिप्पणी की निंदा की है.