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'यूपी के भी विधानसभा चुनाव कराकर देख लें', एक देश-एक चुनाव पर अखिलेश का ताना

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि अगर केंद्र सरकार को यह एक्सपेरिमेंट सबसे पहले उत्तर प्रदेश में करना चाहिए. क्योंकि उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक लोकसभा और विधानसभा सीटों वाला राज्य है. एक देश-एक चुनाव पर पहली बार विवाद 2018 में शुरू हुआ था. उस समय लॉ कमीशन ने एक देश-एक चुनाव का समर्थन कर रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी. 

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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव

केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है. कहा जा रहा है कि इस सत्र में सरकार सदन में एक देश-एक चुनाव बिल पेश कर सकती है. इसे लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. अब इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र की मोदी सरकार पर तंज कसा है. 

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अखिलेश यादव ने कहा कि अगर केंद्र सरकार को यह एक्सपेरिमेंट सबसे पहले उत्तर प्रदेश में करना चाहिए. क्योंकि उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक लोकसभा और विधानसभा सीटों वाला राज्य है. 

उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हर बड़े काम को करने से पहले एक प्रयोग किया जाता है. इसी बात के आधार पर हम ये सलाह दे रहे हैं कि 'एक देश-एक चुनाव' करवाने से पहले बीजेपी सरकार इस बार लोकसभा के साथ साथ देश के सबसे अधिक लोकसभा व विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश के लोकसभा-विधानसभा के चुनाव एक साथ कराके देख लें. इससे एक तरफ चुनाव आयोग की क्षमता का भी परिणाम सामने आ जाएगा और जनमत का भी. साथ ही बीजेपी को यह भी पता चल जाएगा कि जनता किस तरह उनके खिलाफ आक्रोशित है और उन्हें सत्ता से हटाने के लिए उतावली है. 

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बता दें कि शुक्रवार को मुंबई में हुई INDIA गठबंधन की बैठक में अखिलेश यादव ने कहाथा कि एक देश-एक चुनाव का मुद्दा गठबंधन INDIA की बैठक से ध्यान भटकाने के लिए लाया गया है. ये सिर्फ धोखा देना है. अगर यह पूरे देश में लागू हो जाए तो हमसे ज्यादा खुश कौन होगा. 

एक देश-एक चुनाव का सीधा सा मतलब है कि देश में होने वाले सारे चुनाव एक साथ करा लिए जाएं. आजादी के बाद कुछ सालों तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ-साथ ही होते थे. लेकिन बाद में समय से पहले विधानसभा भंग होने और सरकार गिरने के कारण ये परंपरा टूट गई थी. 

एक देश-एक चुनाव पर पहली बार विवाद 2018 में शुरू हुआ था. उस समय लॉ कमीशन ने एक देश-एक चुनाव का समर्थन कर रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी. लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने के मुद्दे पर मसौदा रिपोर्ट केंद्रीय विधि आयोग को दी गई थी. इस रिपर्ट में संविधान और चुनाव कानूनों में बदलाव की सिफारिश की गई थी.

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