बजट पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने जीडीपी से लेकर डिजिटल इंडिया और ड्रोन तक, सरकार को जमकर घेरा. अखिलेश यादव ने बजट पर बोलना ही शुरू किया दो तस्वीरों के जिक्र से. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि जैसे ही बजट आया, हम लोगों ने तस्वीरें देखीं. हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां. क्या 10 बजट इसीलिए बनाए गए थे कि जब 11वां बजट आए तो पूरी दुनिया इस तरह की तस्वीरें देखे. उन्होंने पीएम मोदी के प्रस्तावित अमेरिका दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि पिछली बार हीरा लेकर गए थे, इस बार सोने की जंजीर लेकर जाएं. हो सके तो उसी जहाज में भारतीयों को लेते आइएगा. इतना हक तो उनका बनता ही है. वह जहाज तो भारत का ही होगा.
अखिलेश यादव ने कहा कि आपके रहते ये ठगी कैसे फल-फूल रही है. इसके शिकार सबसे ज्यादा गुजरात के लोग हुए हैं. उन्होंने कहा कि एक दूसरी तस्वीर हम लोगों ने देखी- महाकुंभ की, 144 साल बाद का जो झूठा प्रचार किया गया. निशिकांत दुबे ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि संविधान का आर्टिकल 26, 27 और 28 ये कहता है कि आप किसी भी धर्म के खिलाफ कुछ भी नहीं बोल सकते. ये लोग हिंदू हैं. अखिलेश यादव ने कहा कि इस पर तंज करते हुए कहा कि इन्होंने कुंभ में स्नान नहीं किया. अगर फोटो आई होती तो मैं जैकेट वाली फोटो भी देख लेता. दूसरी जो तस्वीर आई, उसने न केवल हम लोगों को बल्कि तमाम सनातनियों को दुख पहुंचाया होगा.
उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ होगा कि लोग 300 किलोमीटर के जाम में फंस गए. दो-दो मुख्यमंत्रियों को लगाना पड़ा कि जाम कैसे रुक जाए. अखिलेश यादव ने कहा कि इतने दिनों के बाद इनकी अपील है कि बीजेपी के कार्यकर्ता बाहर आएं और लोगों की मदद करें. ये बात तब आई है जब लोग परेशान होकर इनके खिलाफ चिल्लाने लगे. जिस कुंभ में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सब गए हों, वहां की ये हालत. क्या यही विकसित भारत की तस्वीर होगी, ये अपील की गई कि दर्शन के लिए बाहर न आएं. उन्होंने कहा कि चांद पर पहुंचने से क्या फायदा जब जमीन की समस्याएं आपको नहीं दिखतीं. वो ड्रोन कहां हैं, डिजिटल इंडिया बोलने वाले डिजिट नहीं दे पा रहे कि कितने लोग मरे और कितने लोग खो गए हैं.
अखिलेश यादव ने अखबारों में रिजर्व बैंक के विज्ञापन का मुद्दा भी उठाया और कहा कि इस विज्ञापन में एक जानवर को जेल के भीतर दर्शाया गया था. उसी दिन सरकार को जगाने के लिए लिखा कि डिजिटल इंडिया करते करते साइबर क्राइम, डिजिटल अरेस्ट और लूट कितनी बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि जो विज्ञापन दिया, भारतीय रिजर्व बैंक से सवाल है कि किसको चित्रित कर रहे हैं, क्या ये कोई प्रतीकात्मक चित्रण है. यदि हां तो वह जानवर किसका प्रतीक है. आरबीआई ऐसे विज्ञापनों से नहीं, अपने सिस्टम को चुस्त-दुरुस्त कर चलना चाहिए. अखिलेश यादव ने कहा कि क्या डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से लाखो-लाख नहीं लूटा जा रहा. उसके लिए कौन जिम्मेदार है.
'बजट में पीडीए के लिए कुछ नहीं'
अखिलेश यादव ने कहा कि इस बजट में पीडीए के उत्थान के लिए कुछ भी नहीं है. जो लोग अपनी जीडीपी की कितनी कहानियां बताते थे, आज ये क्यों कम होती जा रही है. उन्होंने कहा कि आज अगर हम 87 रुपये लेकर ही एक डॉलर ले सकते हैं. कभी डॉलर के नीचे रुपये के गिरने की कहानी किसी से जोड़ दी गई थी. ये देश के आर्थिक विकास की स्थिति पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है. अखिलेश यादव ने कहा कि खाई कितनी है, इनके आंकड़े बता रहे हैं. मुट्ठीभर लोगों के पास पूरे देश की संपदा पहुंच गई. 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन बांटना पड़ रहा है. जिन परिवारों को आप राशन दे रहे हैं, उन परिवारों की पर कैपिटा इनकम क्या है. ये सरकार की जिम्मेदारी बनती है.
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उन्होंने शौचालय निर्माण की योजना का जिक्र करते हुए कहा कि एक बहुत प्रिय काम सरकार का है, नाम बदलकर इज्जत घर कर दिया गया. छत्तीसगढ़ में एक बुजुर्ग मां ने बकरी बेचकर शौचालय बनाया और पीएम ने उनका सम्मान किया. अखिलेश यादव ने कहा कि सवाल है कि उस महिला को बकरी क्यों बेचनी पड़ गई. आपकी स्कीम जमीन पर नहीं पहुंच पा रही है. जो शौचालय बनाए गए हैं, किसी में पानी नहीं पहुंचता. उन्होंने कहा कि डबल इंजन बहुत सुनते थे, इस बजट में दो इंजन और बढ़ गए हैं. ये चार इंजन वाला बजट है.
'एक के बाद एक इंजन खराब हो गए'
अखिलेश यादव ने तंज करते हुए कहा कि लगता है एक के बाद एक इंजन खराब हो गए होंगे इसलिए चार इंजन लगाने पड़ रहे. उन्होंने कहा कि यूपी में डबल इंजन की सरकार डबल ब्लंडर कर रही है. पहला इंजन किसान और कृषि का है. आज तक किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई. कई किसान नेता आंदोलन कर रहे हैं. अखिलेश यादव ने कहा कि विकसित भारत का सपना दिखा रही इस सरकार के पास किसानों की आय दोगुनी करने का रो़डमैप नहीं है. हजारों किसानों की जान चली गई लेकिन एमएसपी की गारंटी नहीं मिल रही है. स्वामीनाथन जी को भारत रत्न तो दे दिया लेकिन उनकी बात नहीं सुनते.
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उन्होंने कहा कि धन-धान्य कृषि योजना सौ पिछड़े जिलों के लिए घोषित हुई है लेकिन कोई बजट नहीं दिया गया है. कृषि में अधिक धन की आवश्यकता है. अखिलेश यादव ने कहा कि कृषि क्षेत्र में कार्यबल 46 परसेंट है, जीडीपी में योगदान 18 फीसदी है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर कितना प्रचार किया गया. जब क्लेम करने की बात आती है तो आंकड़े बताते हैं कि तीन परसेंट से ऊपर नहीं पहुंच पाए हैं. लाखों किसान आत्महत्या कर रहा है. उन्होंने कहा कि अब तो आंकड़े भी आने बंद हो गए हैं. जिस तरह से बड़े उद्योगपतियों का ध्यान रखते हैं, समय-समय पर कर्ज माफ करते हैं, किसानों का भी कर्ज माफ होना चाहिए. क्लाइमेट चेंज का सबसे पहले असर किसान पर पड़ेगा. उसके लिए क्या रोडमैप है.