टेंडर कमीशन घोटाले में जेल में बंद झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम ने मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है. उनके बेटे तनवीर आलम ने इसकी पुष्टि की है.
तनवीर आलम ने कहा कि उनके पिता ने शनिवार को इस्तीफा दे दिया था. लेकिन जेल मैनुअल की वजह से त्यागपत्र शनिवार को भेजा गया लेकिन वह सोमवार को सीएमओ पहुंचा. इससे पहले सीएम सोरेन ने उनसे सभी विभाग छीन लिए थे. बता दें कि आलमगीर आलम को 15 मई को गिरफ्तार किया गया था.
मंत्री सचिव के घर मिला था करोड़ों का कैश
आलमगीर आलम के सचिव के नौकर के घर से 37 करोड़ रुपए से अधिक कैश बरामद हुआ था इसी सिलसिले में उन्हें पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था.
ईडी ने मंत्री की रिमांड का अनुरोध करते हुए अदालत को बताया था कि यह पता लगाया गया है कि जहांगीर आलम के नाम पर पंजीकृत फ्लैट से जब्त 32.2 करोड़ रुपये की नकदी आलमगीर आलम से संबंधित है और इसे जहांगीर ने संजीव कुमार लाल के निर्देश पर एकत्र किया था, जो आलमगीर आलम के लिए ऐसा कर रहे थे.
ईडी ने कहा था कि ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर के निजी सचिव संजीव कुमार लाल के पास ‘लेटरहेड’ पर कई आधिकारिक दस्तावेजों की मौजूदगी से साबित होता है कि लाल इस परिसर का इस्तेमाल आलमगीर से जुड़े दस्तावेजों, रिकॉर्ड, नकदी और अन्य सामानों को रखने के लिए कर रहे थे.
कौन हैं आलमगीर आलम?
आलमगीर आलम पाकुड़ विधानसभा से कांग्रेस के चार बार विधायक रहे हैं और अभी राज्य सरकार में संसदीय कार्य और ग्रामीण विकास मंत्री थे. इससे पहले आलमगीर आलम 20 अक्टूबर 2006 से 12 दिसंबर 2009 तक झारखंड विधानसभा अध्यक्ष भी रहे थे. विरासत में राजनीति मिलने के बाद आलमगीर ने सरपंच का चुनाव जीतकर राजनीति में प्रवेश किया था. 2000 में पहली बार वह विधायक बने और तब से लेकर अभी तक 4 बार विधायक बन चुके हैं.
2005 में आलमगीर आलम पाकुड़ से विधायक चुने गए थे. उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के अकील अख्तर को 18066 वोटों से हराया था. 2009 में झामुमो के अकील अख्तर विधायक बन गए थे. लेकिन 2014 में अचानक राजनीतिक बदलाव हो गया. कांग्रेस से विधायक रहे आलमगीर आलम ने तब झारखंड मुक्त मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए थे.