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किसान बोले- दो छोटी मांगें मानना कानून रद्द न करने का बहाना नहीं बन सकता

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के वर्किंग ग्रुप ने कहा कि इस नए वर्ष में आज लाखों किसानों ने संकल्प लिया है कि वे किसानों के आंदोलन का समर्थन और देश में बढ़ती भूख का विरोध करेंगे. किसान समिति ने ये भी कहा है कि दो छोटी मांगें मानना कानून रद्द न करने पर अड़े रहने का बहाना नहीं बन सकता.

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दिल्ली के नाकों पर जमे हुए हैं किसान (फोटो-PTI)
दिल्ली के नाकों पर जमे हुए हैं किसान (फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली के नाकों पर जमे हुए हैं किसान
  • देश में बढ़ती भूख का विरोध करेंगे किसान
  • शराब के लिए अनाज देने के फैसले की निंदा

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के वर्किंग ग्रुप ने कहा कि इस नए वर्ष में आज लाखों किसानों ने संकल्प लिया है कि वे किसानों के आंदोलन का समर्थन और देश में बढ़ती भूख का विरोध करेंगे. किसान समिति ने ये भी कहा है कि दो छोटी मांगें मानना कानून रद्द न करने पर अड़े रहने का बहाना नहीं बन सकता.

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जारी बयान के मुताबिक किसानों ने शपथ में संकल्प लिया कि अनिश्चितकालीन आंदोलन को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों की प्रेरणा से केंद्र के तीन कानूनों को रद्द किये जाने तक लगातार चलाएंगे. समिति ने कहा, हम किसानों और गांव को कॉरपोरेट के हाथों में जाने से बचाने, देश की खाद्य सुरक्षा एवं आत्मनिर्भरता को बचाने, बिजली बिल वापस कराने तथा सभी कृषि उत्पादों की सी2+50 फीसदी पर खरीद सुनिश्चित करने की कानूनी गारंटी देने वाले कानून लागू कराने के लिए हर बलिदान करने को तैयार रहेंगे. 

शपथ में ये भी कहा कि हम मानते हैं कि किसान बचेगा तभी देश बचेगा. कई स्थानों पर किसानों और समर्थकों ने संविधान की प्रस्तावना की भी शपथ ली. एआईकेएससीसी ने कहा है कि किसान इस बात पर स्पष्ट हैं कि तीनों कानून रद्द होने हैं, क्योंकि इनसे खेती के बाजार, खेती की प्रक्रिया, किसानों की जमीन और खाद्यान सुरक्षा कॉरपोरेट के हाथ में चली जाएगी. समिति ने कहा कि यह साफ है कि सरकार ने जो दो छोटे सवाल स्वीकार करने की घोषणा की है, वह तीन कानून रद्द न करने की अपनी जिद पर अड़े रहने के लिए है.

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एआईकेएससीसी ने नीति आयोग और उसके विशेषज्ञों पर आरोप लगाया कि वे समझते हैं कि भारत के पास अतिरिक्त खाना जमा है और वे वकालत कर रहे हैं कि सरकार को अनाज नहीं खरीदना चाहिए. समिति ने कहा कि उन्हें जानना चाहिए कि भारत दुनिया में भूखे लोगों की संख्या में सबसे ऊपर है. भूख की सूची में 34.9 का माप संकेत करता है कि भूख का संकट गंभीर है.

उन्होंने कहा कि इस पैमाने पर भारत का माप 2000 में 38.8 था, जो 2020 में गिरकर 27.2 रह गया. यह सरकार की उपेक्षा के कारण हुआ है और हाल का मंत्रिमंडल का निर्णय कि सब तरह के अनाज कंपनियों को शराब बनाने के लिए दिए जाएं, गरीबों के प्रति इस अपेक्षा का एक और सबूत है. यह जरूरत से ज्यादा के उत्पादन के दावों के बावजूद हो रहा है.

 

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