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केंद्र के प्रस्ताव पर बोली AIKSCC- उम्मीद है कि सरकार कानूनों की वापसी पर खुले मन से बात करेगी

सरकार ने किसानों को वार्ता का निमंत्रण भेजा है और एआईकेएससीसी वर्किंग ग्रुप ने उम्मीद जताई है कि सरकार तीनों कृषि कानून और बिजली बिल 2020 वापस करने पर खुले मन से निर्णय लेगी. इसके साथ ही किसानों पर दोष मढ़ने के कारण नही ढूंढेगी.

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दिल्ली की सीमाओं पर लंबे समय से चल रहा किसान आंदोलन (फाइल फोटो: PTI)
दिल्ली की सीमाओं पर लंबे समय से चल रहा किसान आंदोलन (फाइल फोटो: PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • AIKSCC ने उम्मीद जताई कि सरकार कानूनों की वापसी पर खुले मन से वार्ता करेगी
  • AIKSCC ने रक्षा मंत्री के किसानों की जमीन न जाने के दावे को बताया गलत
  • एआईकेएससीसी नए साल में किसानों के संघर्ष के पक्ष में शपथ भी दिलाएगी

दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को अब एक महीने से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है. अभी तक मामले का कोई हल नहीं निकल पाया है. सरकार और किसानों के बीच कई राउंड की बातचीत हो चुकी है. किसानों ने सरकार को एक बार फिर 29 दिसंबर को चर्चा का प्रस्ताव भेजा था, जिसके जवाब में सरकार ने किसानों को एक दिन बाद 30 दिसंबर को चर्चा का निमंत्रण भेजा है.

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सरकार ने किसानों को वार्ता का निमंत्रण भेजा है और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने उम्मीद जताई है कि सरकार तीनों कृषि कानून और बिजली बिल 2020 वापस करने पर खुले मन से निर्णय लेगी. इसके साथ ही किसानों पर दोष मढ़ने के कारण नहीं ढूंढेगी.

एआईकेएससीसी ने इस मौके पर कहा कि शुरू में सरकार ने किसान आंदोलन को विदेशी ताकतों से जोड़ा, बाद में विपक्षी दलों से जोड़ा और कहा कि इन्हें गुमराह किया जा रहा है. फिर जब उसने तारीख मांगी तो दिखाया कि किसान वार्ता के लिए सामने नहीं आ रहे हैं, पर अब जब समय और एजेंडा तय हो चुका है तो उसने बयानों में 'राजनीतिकरण न हो' की शंका जताई है.

एआईकेएससीसी ने रक्षा मंत्री के किसानों की जमीन न जाने के दावे को गलत बताया है. इसके साथ ही उसने अपील की है कि वे कानून पढ़ें. एआईकेएससीसी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के इस बयान पर कि 'किसानों की जमीन नहीं छिनेगी' पर कहा कि उन्हें ठेका कानून की धारा 9 और 14 पढ़नी चाहिए.

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एआईकेएससीसी ने कहा कि एमएसपी पर सरकार ने गलत तथ्यों के आधार पर एक अनुचित पक्ष अपना लिया है. कहा है कि वह एमएसपी दे रही है और आश्वासन देने के लिए तैयार है. जहां सरकार राष्ट्रीय कृषि नीति के आधार पर एमएसपी नहीं दे रही है, यानी सी2+50 फीसदी, जो घोषित होता है उसका लाभ कुछ ही किसानों को मिलता है और ये किसानों की पीड़ा और सरकार के गलत दावे को रेखांकित करता है.

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एआईकेएससीसी की मांग है कि जो कानून बने वह सभी फसलों का सी2+50 फीसदी दे और सभी किसानों से खरीद की गारंटी हो. ये नए कानून पुराने अधिकार को छीन रहे हैं, जिनमें एमएसपी का तुच्छ अमल भी है और इन कानूनों की वापसी की मांग पुराने मौजूद अधिकारों को पहले पुनर्स्थापित करने से जुड़ी है तथा उसके बाद नई मांगों पर गौर करने से.

एआईकेएससीसी ने इसके साथ ही यह भी दावा किया है कि इस बीच आंदोलन लगातार ताकतवर होता जा रहा है और धरनों में नई ताकतें जुड़ रही हैं. सरकार द्वारा मांग न मानने पर दबाव बनाने के लिए सैकड़ों टोल प्लाजा को मुफ्त किया जा चुका है और अंबानी व अडानी के उत्पादों के खिलाफ देश भर में अभियान तेज हो रहा है.

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एआईकेएसीसी नए साल पर किसानों के संघर्ष के पक्ष में शपथ दिलाकर अभियान चला रहा है. इसमें विभिन्न हिस्सों के सैकड़ों जन संगठन 1 जनवरी को हर जिले में बीसियों कार्यक्रम करेंगे. इस शपथ में पूरे साल 2021 में किसान आंदोलन को सहयोग देने का संकल्प लिया जाएगा. इसमें कई लाख लोगों के भाग लेने की उम्मीद है.

 

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