इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर महाभियोग की मांग की है. बार एसोसिएशन ने अपनी जनरल बॉडी मीटिंग में 11 प्रस्ताव पास किए, जिसमें से प्रमुख मांग यह थी कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ सीबीआई और ईडी को मामला दर्ज करने की अनुमति दी जाए.
बार एसोसिएशन ने जज यशवंत वर्मा के खिलाफ कैश-एट-होम विवाद पर महाभियोग चलाने की मांग करते हुए जारी प्रस्ताव में कहा कि कहा है कि न्यायिक बिरादरी को आंतरिक जांच 'अस्वीकार्य' है. मीटिंग में एसोसिएशन ने केंद्र सरकार के साथ ही सीजेआई से महाभियोग लाए जाने की मांग की है. जिस प्रकार से एक सिविल सर्वेंट,पब्लिक सर्वेंट या राजनेता का ट्रायल होता है इस तरह उनके केस की का ट्रायल भी हो.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट में न करें तबादला
समिति की इस बैठक की अध्यक्षता सीनियर एडवोकेट अनिल तिवारी ने की, जिसमें यह भी फैसला लिया गया कि जज वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट तबादला ना किया जाए. समिति ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट किसी भी प्रकार का "डंपिंग ग्राउंड" नहीं है, और अगर आवश्यक हो तो सीजेआई की अनुमति से जस्टिस वर्मा को कस्टडी में भी लिया जा सकता है.
आंतरिक जांच को एसोसिएशन ने किया खारिज
बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच को भी खारिज कर दिया है और उसने जस्टिस वर्मा की दलीलों और सफाई को निरस्त कर दिया. समिति ने ज्यूडिशियल सिस्टम में 'अंकल जज सिंड्रोम' का मुद्दा भी उठाया, जिसमें यह भी कहा गया कि जिस अदालत में कोई जज हो, वहां उसके परिवार के सदस्यों को वकालत नहीं करनी चाहिए.
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जस्टिस वर्मा के फैसले की समीक्षा की मांग
इनके अलावा, बार एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों के खाली पदों को भरने की भी मांग की है, ताकि सही और निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया को सुनिश्चित किया जा सके. जस्टिस वर्मा द्वारा दिए गए फैसलों की समीक्षा की मांग की गई है, ताकि निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया बनी रहे. इस प्रस्ताव के बाद, वकीलों ने सांकेतिक रूप से हड़ताल भी की. हालांकि, वे आगामी मंगलवार से फिर से काम पर लौटेंगे.