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Amarnath Yatra: आंतकियों की धमकी के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट, खतरे को ऐसे करेगी नाकाम

अमरनाथ यात्रा वर्षों से आतंकवादियों के निशाने पर रही है. साल 2000 में पहलगाम बेस कैंप में आतंकी हमले में 17 तीर्थयात्रियों समेत 25 लोग मारे गए थे. वहीं, जुलाई 2017 में यात्री बस पर हुए आतंकी हमले में सात तीर्थयात्री मारे गए थे.

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सांकेतिक तस्वीर.
सांकेतिक तस्वीर.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पिछले साल ड्रोन के जरिए हुए थे दो धमाके
  • 43 दिनों तक चलेगी अमरनाथ यात्रा

अमरनाथ यात्रा के दौरान किसी भी खतरे की आशंका को लेकर सुरक्षा बल लगातार मुस्तैद दिख रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, यात्रा के दौरान आतंकी मंसूबों को नाकाम करने के लिए हाई लेवल की सुरक्षा समिति की बैठक में चर्चा हुई. अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित रखने और घटना मुक्त रखने के लिए सुरक्षा बलों ने एक योजना तैयार की है. सुरक्षा बलों ने यात्रा के दौरान आतंकियों द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल से इनकार नहीं किया है. कहा गया है कि आतंकी ड्रोन से हमले की कोशिश कर सकते हैं. 

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इस आशंका  को लेकर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हैं. सूत्रों ने बताया कि यात्रा को शांतिपूर्ण तरीके से चलाने के लिए एंटी ड्रोन को तैनात किया जाएगा. अमरनाथ यात्रा के दौरान इस तरह की सुरक्षा व्यवस्था कभी नहीं की गई थी. आतंकी संगठन लश्कर-ए-तयैबा की सहयोगी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) की ओर से हमले की धमकी के बाद एनएसजी और वायुसेना की ओर से एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किया जाएगा. 

पिछले साल ड्रोन के जरिए हुए थे दो धमाके

पिछले साल 26-27 जून की रात जम्मू स्टेशन पर ड्रोन के जरिए दो धमाके किए गए थे जिसने भारतीय वायु सेना (IAF) के उच्च सुरक्षा तकनीकी को हिलाकर रख दिया था. पिछली घटना को देखते हुए इस बार सुरक्षा एजेंसियां ​​कोई चांस नहीं ले रही हैं. सुरक्षा अधिकारी बताते हैं कि TRF जैसे आतंकी समूह पहले ही अमरनाथ यात्रा को बाधित करने की चेतावनी दे चुके हैं, लिहाजा सुरक्षा की तैयारियां पुख्ता है.

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जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजी दिलबाग सिंह के मुताबिक, निश्चित रूप से ड्रोन के जरिए हमले से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस आशंका के मद्देनजर आवश्यक व्यवस्था की जा रही है. वहीं, सीआरपीएफ के एक शीर्ष अधिकारी ने आजतक को बताया कि ड्रोन से हमले का खतरा है लेकिन सुरक्षा एजेंसियां सभी पहलुओं का ख्याल रख रही हैं. 

43 दिनों तक चलेगी अमरनाथ यात्रा

43 दिनों तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या पहले से ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है. इस बार रामबन और चंदनवाड़ी में कैंप बड़े होंगे. इसे देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे. बार-कोड सिस्टम के साथ RFID टैग और तीर्थयात्रियों पर नज़र रखने के लिए उपग्रह ट्रैकर्स का उपयोग किया जा रहा है. यात्रा के रास्तों और शिविर स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे.

इसके अलावा कश्मीर में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीआरपीएफ की 50 अतिरिक्त कंपनियों को शामिल किया गया है. अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू हो रही है जो 11 अगस्त को समाप्त होगी. एक सीनियर आईएएस अधिकारी ने आजतक को बताया कि हालांकि यात्रा शुरू होने में अभी समय है लेकिन सुरक्षा और अन्य तैयारियों को लेकर हमारी कई समीक्षा बैठकें हो चुकी हैं. हम पर सुरक्षा को लेकर काफी दवाब है. उम्मीद है कि चीजें ठीक हो जाएंगी. 

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