अमेरिका ने यूक्रेन को दी जाने वाली मिलिट्री सप्लाई रोक दी है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह फैसला तब लिया है, जब व्हाइट हाउस में उनकी यूक्रेनी राष्ट्रपित व्लोदिमीर जेलेंस्की से नोंकझोंक हो गई थी. मिलिट्री सपोर्ट रोके जाने के बाद यूक्रेन ने कहा कि वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को बनाए रखने के लिए हरसंभव कोशिश करेगा. ट्रंप ने इस कदम से रूसी संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक अहम दिशा में कदम बढ़ाया है.
यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनीज श्माइगल ने आश्वसन दिया कि कीव के पास अपने फ्रंटलाइन सेना की आपूर्ति के लिए पर्याप्त संसाधन हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी सैन्य सहायता अमूल्य है और इससे हजारों लोगों की जान बचाई गई है."
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यूक्रेनी पीएम का कहना है, "हम शांति के साथ सभी मौजूद रास्तों के माध्यम से अमेरिका के साथ काम करना जारी रखेंगे." उन्होंने एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा, "हमारी सिर्फ एक ही योजना है - जीतना और जीवित रहना. या तो हम जीतेंगे, या फिर हमारे लिए प्लान बी कोई और लिखेगा."
व्हाइट हाउस से बिगड़ी थी बात!
हाल में व्हाइट हाउस में एक विस्फोटक बैठक के दौरान ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमीर जेलेंस्की को अमेरिकी समर्थन के लिए पर्याप्त आभार न जाहिर करने के लिए फटकार लगाई गई थी. इस घटना ने यूक्रेन के लिए एक मुश्किल स्थिति पैदा कर दी है, क्योंकि अमेरिका उसका सबसे बड़ा सैन्य सहयोगी है.
अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा के लिए अहम!
यूक्रेनी सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि उनकी प्राथमिकता अमेरिका के साथ स्थायी और बेहतर संबंध बनाना है. उन्होंने कहा, "हम अपनी तरफ से संबंधों को मजबूत करने के लिए सभी उपाय अपनाएंगे, क्योंकि अमेरिका हमारे क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है."
यूक्रेन के सख्त सैन्य सपोर्ट की जरूरत!
यूक्रेन के लिए अमेरिकी सैन्य सहायता पर रोक ऐसे समय में आया है जब वह रूसी आक्रामकता से लड़ रहा है. यह समर्थन कीव के सैन्य बलों के लिए अहम है जो कि देश की रक्षा में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यूक्रेन संभवतः यूरोपीय साझेदारों के साथ अपने कूटनीतिक प्रयासों को बढ़ाने की कोशिश करेगा.
संकट की इस घड़ी में, यूक्रेन को न सिर्फ अमेरिका बल्कि अन्य वैश्विक साझेदारों से भी अधिक समर्थन की जरूरत है. अमेरिका की यात्रा के बाद वह यूक्रेन समिट में ब्रिटेन पहुंचे थे, जो ब्रिटिश सरकार द्वारा आयोजित किया गया था. इस दौरान कई यूरोपीय देशों ने उन्हें पूरी तरह समर्थन करने का आश्वासन दिया था.