केंद्र की मोदी सरकार ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसी के साथ ही अब पड़ोसी देश के अल्पसंख्यक भारत की नागरिकता ले सकेंगे. पड़ोसी देश से आने वाले अल्पसंख्यकों को सरकार द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा. सरकार द्वारा जारी अधिसूचना पर खुशी जताई है और कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने एक और वादे को पूरा कर दिया है.
वहीं, सरकार द्वारा सीएए का नोटिफिकेशन जारी करने के बाद विपक्षी दलों में सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने चुनाव से पहले सीएए का नोटिफिकेशन जानबूझकर लागू किया है. साथ ही हैदराबाद के सांसद ने भी सरकार पर निशाना साधा है.
हमने पूरा किया एक और वादा: अमित शाह
देश में सीएए लागू होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने आज नागरिकता (संशोधन) रूल, 2024 को अधिसूचित कर दिया है. ये नियम अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को हमारे देश में नागरिकता प्राप्त करने में सक्षम बनाएंगे. इस अधिसूचना के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी एक और प्रतिबद्धता पूरी की है. उन देशों में रहने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिए हमारे संविधान निर्माताओं के वादा किया था जो हमने साकार किया है.
आप क्रोनोलॉजी समझिए: ओवैसी
AIMIM के नेता और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, आप क्रोनोलॉजी समझिए पहले चुनाव का मौसम आएगा, फिर सीएए के नियम आएंगे. सीएए पर हमारी आपत्तियां पहले की तरह ही हैं. सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की सोच पर आधारित है जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहता थे.
सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दें, लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि उसने इन नियमों को पांच साल तक क्यों लंबित रखा और अब इसे क्यों लागू कर रही है. एनपीआर-एनआरसी के साथ, सीएए का उद्देश्य केवल मुसलमानों को लक्षित करना है. इसका कोई और उद्देश्य नहीं है.
ये सफेद झूठ की एक और झलक: कांग्रेस नेता
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए. प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल प्रोफेशनल ढंग से और समयबद्ध तरीके से काम करती है. सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफेद झूठ की एक और झलक है.
नियमों की अधिसूचना के लिए नौ बार एक्सटेंशन मांगने के बाद घोषणा करने के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है. ऐसा स्पष्ट रूप से चुनाव को ध्रुवीकृत करने के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में. यह इलेक्टोरल बांड घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार और सख्ती के बाद हेडलाइन को मैनेज करने का प्रयास भी प्रतीत होता है.
अखिल गोगोई सीएए का विरोध
विधायक अखिल गोगोई ने सीएए लागू होने पर कड़ा आंदोलन करने की बात कही है, विधायक ने सभी असमिया लोगों से सीएए के खिलाफ आने की अपील की. सरकार लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट देने के लिए जातिगत विरोधी सीएए लागू करेगी. विधायक ने सभी कॉलेजों, विश्वविद्यालयों के साथ-साथ छात्रों से सीएए के खिलाफ बाहर आने की अपील की.
बीजेपी ने CAA को हथियार बना दिया: MK स्टालिन
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया पर कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार के विभाजनकारी एजेंडे ने नागरिकता अधिनियम को हथियार बना दिया है, इसे सीएए के अधिनियम के माध्यम से मानवता के प्रतीक से धर्म और नस्ल के आधार पर भेदभाव का एक उपकरण बना दिया है. मुसलमानों और श्रीलंकाई तमिलों को धोखा देकर उन्होंने विभाजन के बीज बोए. डीएमके जैसी लोकतांत्रिक ताकतों के कड़े विरोध के बावजूद, सीएए को भाजपा की पिट्ठू एडीएमके के समर्थन से पारित किया गया. लोगों की प्रतिक्रिया के डर से भाजपा ने इस पर चर्चा बंद कर दी थी.
2021 में DMK के सत्ता में आने के बाद हमने TNLA में एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से हमारे राष्ट्र की एकता की रक्षा करने, सामाजिक सद्भाव बनाए रखने और हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के आदर्श की रक्षा करने के लिए CAA को रद्द करने का आग्रह किया था.
अब, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का शोषण करते हुए. नागरिकता संशोधन अधिनियम को पुनर्जीवित करके अपने डूबते जहाज को बचाना चाहते हैं. हालांकि, भारत के लोग इस विभाजनकारी नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करने के लिए भाजपा और एडीएमके को लोग इन्हें कभी माफ नहीं करेंगे. जनता उन्हें करारा जवाब देगी.
CAA का विरोध करेगा पूरा केरल: CM
केंद्र सरकार द्वारा सीएए नियम अधिसूचित करने के केंद्र के फैसले का विरोध करते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन कहा कि सरकार ने कई बार कहा कि वो नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू नहीं करेगी, जो मुस्लिम अल्पसंख्यकों को दूसरे दर्जे का नागरिक मानता है. इस सांप्रदायिक कानून के विरोध में पूरा केरल एक साथ खड़ा होगा.'
ममता बनर्जी ने केंद्र पर बोला हमला
सीएए का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, ये बीजेपी का काम है. जैसे ही चुनाव नजदीक आते हैं, वे समाचार चैनलों के माध्यम से जानकारी फैलाना शुरू कर देते हैं और फिर उसे लोगों तक पहुंचाते हैं. चैनल चला रहे हैं कि आज रात तक CAA लागू हो जाएगा. यह कानून 2020 में पारित हुआ था, चार साल में कई बार विस्तार के बाद चुनाव की घोषणा से दो-तीन दिन पहले इसका लागू होना बताता है कि यह राजनीतिक कारणों से किया जा रहा है. हम यह देखने का इंतजार कर रहे थे कि नियम कैसे बनाए जाते हैं. हमें सूचना नहीं मिली है. हमें नहीं पता कि नियम क्या कहते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि सारे नियम देखने और पूरी रिपोर्ट पढ़ने के बाद मैं कल हावड़ा मीटिंग से उन पर विस्तार से बात करूंगी. अगर कोई भेदभाव होता है तो हम उसे स्वीकार नहीं करेंगे. चाहे वह धर्म हो, जाति हो या भाषाई. दो दिन में किसी को नागरिकता नहीं दे सकेंगे. ये सिर्फ लॉलीपॉप और दिखावा है. अगर CAA के बाद ही इन्हें नागरिक कहते हैं तो क्या ये पहले नागरिक नहीं थे? पहले क्यों रद्द किए जा रहे थे. मतुआओं के आधार कार्ड? इसका मतलब है कि वे पुराने कानूनों को बदलने के लिए कुछ नया कर रहे हैं. इन लोगों के वोटों के आधार पर पीएम को चुना गया. ये नागरिक कैसे नहीं हो सकते?.
हम चुप नहीं बैठेंगे: ममता बनर्जी
अगर वे सीएए और एनआरसी के जरिए किसी की नागरिकता रद्द करेंगे तो हम चुप नहीं बैठेंगे. हम कड़ा विरोध जताएंगे. हम किसी भी कीमत पर एनआरसी को स्वीकार नहीं करेंगे. हम लोगों को हिरासत शिविरों में रखने के लिए सीएए का उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे. यह सिर्फ लोगों को धोखा है, क्योंकि किसी को भी दो दिन में नागरिकता नहीं मिल सकती. मैं कानून देखने का इंतजार कर रही हूं. भारत और बंगाल में रहने वाला हर व्यक्ति भारतीय नागरिक है. उनके पास नागरिकों को मिलने वाले सभी अधिकार हैं. इस नए कानून से पुराने अधिकार नहीं छीनने चाहिए. बंगाल के साथ-साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र भी काफी संवेदनशील है. हम चुनाव से पहले कोई अशांति नहीं चाहते. हम नहीं चाहते कि बीजेपी कोई जाल बिछाए.
'डरो नहीं... ये बंगाल है'
मुझे पता है कि उन्होंने (बीजेपी) ने रमजान से एक दिन पहले ऐसा करने का फैसला क्यों किया. मैं सभी को अमावस्या की शुभकामनाएं देता हूं. अभी शिवरात्रि हुई है, हमारे पास होली और नया साल (पोइला बोइशाख) आने वाला है. बिना किसी डर के जश्न मनाएं. चिंता न करें. जब वे आधार कार्ड रद्द कर रहे थे तो हम रास्ते में खड़े हो गए. जब भी किसी का हक छीनने की कोशिश होगी, टीएमसी उनके रास्ते में खड़ी होगी. मैं इसके बारे में अभी बात कर रही हूं, क्योंकि हमें नहीं पता कि वे देर रात क्या करेंगे. यह आधी रात को आजादी नहीं है. यह उनके धोखे की योजना है. देश में कुछ भी अच्छा होने पर जिस तरह हम बधाई देते हैं, उसी तरह सभी गलतियों की आलोचना भी करते हैं. डरो नहीं, हम यहां सीएए की इजाजत नहीं देंगे. ये बंगाल है.
'इलेक्टोरल बांड का देना होगा हिसाब'
जयराम रमेश और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार के कदम की आलोचना की है. उन्होंने सोशल मीडिया पर निशाना साधते हुए कहा कि जब देश के नागरिक रोजी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता कानून’ लाने से क्या होगा?. जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है. भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 सालों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गए. चाहे कुछ हो जाए कल ‘इलेक्टोरल बांड’ का हिसाब तो देना ही पड़ेगा और फिर ‘केयर फंड’ का भी.
वहीं, सरकार द्वारा सीएए का नोटिफिकेशन के ऐलान के बाद पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना स्थित ठाकुरनगर ने लोग ढोल-नगाड़े बजाकर जश्न मना रहे हैं.