
'वारिस पंजाब दे' का स्वयंभू मुखिया अमृतपाल सिंह अब तक पुलिस की पकड़ से दूर है. उसे 'भगोड़ा' करार दिया जा चुका है. पंजाब पुलिस शनिवार से ही अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है.
जालंधर के पुलिस कमिश्नर कुलदीप सिंह चहल ने बताया कि हमने अमृतपाल की गाड़ी का 20 से 25 किलोमीटर तक पीछा किया. वो सामने बैठा था. संकरी गलियां थीं और किसी तरह वो अपनी गाड़ी बदलकर वहां से भागने में कामयाब रहा.
उन्होंने कहा, ये चोर-सिपाही का खेल है. कभी-कभी अपराधी भागने में कामयाब हो जाते हैं. लेकिन हम उसे जल्द ही गिरफ्तार कर लेंगे.
बहरहाल, खालिस्तानी समर्थक और अमृतपाल के खिलाफ ऑपरेशन में पुलिस ने शनिवार को 78 और रविवार को 34 लोगों को गिरफ्तार किया. अब तक 112 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इन्हें असम की जेल में रखा गया है. गिरफ्तार लोगों में दलजीत सिंह कालसी भी है, जो कथित तौर पर अमृतपाल के लिए फंडिंग करता था. पंजाब पुलिस ने कालसी को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया है. उसे असम के डिब्रूगढ़ जिले की जेल में रखा गया है.
अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह और ड्राइवर हरप्रीत सिंह ने रविवार रात को सरेंडर कर दिया. जालंधर के एसपी (ग्रामीण) स्वरनदीप सिंह ने इस बात की जानकारी दी.
फिलहाल, पूरे पंजाब में अलर्ट है. इंटरनेट और एसएमएस सर्विस बंद है. पुलिस ने रविवार को फिरोजपरु, बठिंडा, रूपनगर, फरीदकोट, बटाला, फजिल्का, होशियारपुर, गुरदासपुर, मोगा और जालंधर में फ्लैग मार्च किया.
अमृतसर में अमृतपाल के पैतृक गांव जल्लूपुर खेड़ा गांव में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. अमृतपाल के पिता तारसेम सिंह का कहना है कि उनके बेटे को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. हालांकि, आईजी सुखचैन सिंह ने बताया कि वो अब भी फरार है.
कैसे और कहां से भागा अमृतपाल?
- पंजाब पुलिस ने शनिवार को खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने के लिए बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया.
- इस ऑपरेशन में सात जिलों की पुलिस टीम शामिल थी. पुलिस की 50 से ज्यादा गाड़ियों ने अमृतपाल और उसके समर्थकों का पीछा किया.
- जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने अमृतपाल का पीछा तब किया, जब वो जालंधर की शाहकोट तहसील जा रहा था.
- सूत्रों ने बताया कि अमृतपाल को आखिरी बार बाइक से भागते हुए दिखा था. पुलिस का भी कहना है कि संकरी गलियां थीं और वो अपनी गाड़ी बदलकर वहां से भागने में कामयाब रहा.
अमृतपाल को क्यों पकड़ रही है पुलिस?
- पिछले महीने 23 फरवरी को अमृतपाल और उसके संगठन वारिस पंजाब दे से जुड़े लोगों ने अजनाला पुलिस थाने पर हमला कर दिया था.
- अमृतपाल और उसके समर्थकों के हाथ में तलवार, लाठी-डंडे थे. ये पूरा बवाल आठ घंटे तक चला था. ये बवाल अमृतपाल के समर्थक लवप्रीत तूफान की रिहाई को मांग को लेकर हुआ था.
- लवप्रीत तूफान को पुलिस ने बरिंदर सिंह नाम के शख्स को अगवा और मारपीट करने के आरोप में हिरासत में लिया था. हालांकि, बवाल के बाद पुलिस ने उसे छोड़ दिया था.
- 23 फरवरी की इसी घटना के मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया था. पुलिस ने बताया कि अमृतपाल तो भाग गया, लेकिन उसके काफिले में शामिल 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
एक और नई एफआईआर दर्ज
- पंजाब पुलिस ने अमृपाल के खिलाफ एक और केस दर्ज कर लिया है. ये केस आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज किया गया है. इसमें अमृतपाल को मुख्य आरोपी बनाया गया है.
- दरअसल, शनिवार को पुलिस ने अमृतपाल के काफिले की गाड़ी को पकड़ा था. साथ ही 7 आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया था.
- इन आरोपियों के पास 12 बोर की 6 बंदूक और 193 जिंदा कारतूस बरामद हुए थे. आरोपियों में अजयपाल, गुरवीर सिंह, बलजिंदर सिंह, हरमिंदर सिंह, गुरलाल सिंह, सुवेरीत सिंह और अमनदीप सिंह शामिल हैं.
- पुलिस ने बताया कि हरमिंदर सिंह को हथियार और कारतूसों के साथ पकड़ा गया था. पूछताछ में हरमिंदर ने बताया कि अमृतपाल ने ये कारतूस गुरभेज नाम के शख्स से लिए थे.
कभी पगड़ी भी नहीं पहनता था, अब कट्टरपंथी
- अमृतपाल सिंह 12वीं की पढ़ाई के बाद दुबई चला गया था. वो वहां ट्रक चलाया करता था. अमृतपाल करीब 9 साल तक भारत से बाहर ही रहा.
- उसके पिता तरसेम सिंह ने बताया कि दुबई से लौटने के बाद अमृतपाल का बर्ताव अचानक बदल गया था. वो उग्र होने लगा था.
- उन्होंने बताया कि दुबई में वो किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करता था. उसने अपने बाल भी कटवा लिए थे. बोलने पर भी गुरुद्वारा नहीं जाता था. लेकिन पंजाब में जब धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामले बढ़ने लगे तो धर्म में उसकी रूचि बढ़ गई.
- खुफिया एजेंसियों का कहना है कि अमृतपाल के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI है. डिफेंस एक्सपर्ट पीके सहगल का भी कहना है कि ISI ने ही अमृतपाल को दुबई से भारत भेजा है.
- हालांकि, तरसेम सिंह का कहना है कि पंजाब पुलिस और सरकारें अमृतपाल को बदनाम करना चाहती हैं, इसलिए कभी उसका नाम ISI के साथ जोड़ा जा रहा है तो कभी उस पर बेअदबी के आरोप लगाए जाते हैं.
दुबई में अमृतपाल ने क्या-क्या किया?
- खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, अमृतपाल सिंह दुबई की सड़कों पर ट्रक चलाया करता था. दुबई में ही वो खालिस्तानी विचारधारा के समर्थकों के संपर्क में आया.
- खुफिया सूत्रों ने बताया कि अमृतपाल जब दुबई में था, तब वो जसवंत सिंह रोडे के संपर्क में था. जसवंत सिंह इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का प्रमुख और खालिस्तानी समर्थक लखबीर सिंह रोडे का भाई है.
- इतना ही नहीं, दुबई में ही अमृतपाल खालिस्तानी समर्थक परमजीत सिंह पम्मा के संपर्क में भी था.
- खुफिया सूत्रों के मुताबिक, अमृतपाल जब दुबई से निकल रहा था, तभी वो आईएसआई के संपर्क में आया. आईएसआई ने उसे धर्म के नाम पर भोले-भाले सिख नौजवानों को बरगलाने को कहा. माना जाता है कि इसके लिए आईएसआई ने उसे फंडिंग की थी.
- भारत आने से पहले अमृतपाल को आईएसआई ने जॉर्जिया में ट्रेनिंग दी. उसको पंजाब में आतंकवाद बढ़ाने के लिए तैयार किया गया.
भारत आने के बाद क्या-क्या किया?
- अमृतपाल सिंह पिछली साल भारत लौटा था. पंजाब आने के बाद आईएसआई के कहने पर अमृतपाल ने अमृत संचार की मदद से अपना संगठन बनाया.
- बाद में अमृतपाल ने 'खालसा वाहिर' के नाम से कैंपेन चलाया और गांव-गांव जाकर अपने संगठन को मजबूत किया.
- इस संगठन के जरिए अमृतपाल ने युवाओं को धर्म के नाम पर भड़काया और उन्हें सरकार के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया.
- पिछले साल ही अमृतपाल ने खुद को 'वारिस पंजाब दे' संगठन का मुखिया घोषित कर दिया. इस संगठन को पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू ने बनाया था. फरवरी 2022 में दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत हो गई थी.
- अमृतपाल खुद को जरनैल सिंह भिंडरावाले की तरह दिखाता है. भिंडरावाले खालिस्तानी समर्थक था. जून 1984 में स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाकर भिंडरावाले को मार गिरा दिया गया था.
- भिंडरावाले की तरह ही अमृतपाल भी नीली पगड़ी पहनता है, तलवार रखता है. पिछली साल सितंबर में अमृतपाल ने मोगा जिले के रोडे गांव में एक कार्यक्रम किया था. ये भिंडरावाले का पैतृक गांव है. यही वजह है कि अमृतपाल को 'भिंडरावाले 2.0' भी कहा जाता है.
क्या-क्या साजिश रच रहा था अमृतपाल?
- अमृतपाल भारत के खिलाफ खतरनाक साजिश रच रहा था. खुफिया एजेंसियों के डोजियर में सामने आया है कि अमृतपाल नशामुक्ति केंद्रों और गुरुद्वारों का इस्तेमाल हथियार जमा करने और युवाओं को आत्मघाती हमले के लिए तैयार करने में कर रहा था.
- अलग-अलग एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर तैयार इस डोजियर में दावा किया गया है कि अमृतपाल आईएसआई और विदेशों में बैठे खालिस्तानी समर्थकों के इशारे पर काम कर रहा था. वो युवाओं को 'खड़कूस' यानी मानव बम बनाने के लिए उकसा रहा था.
- इतना ही नहीं, अमृतपाल 'आनंदपुर खालसा फ्रंट' यानी एकेएफ के नाम से प्राइवेट आर्मी भी बना रखी थी. अब तक की जांच में अधिकारियों को हथियार, गोला-बारूद, यूनिफॉर्म और जैकेट मिली हैं. इन पर AKF लिखा हुआ है.
- अधिकारियों ने बताया कि 'वारिस पंजाब दे' की ओर से चल रहे नशामुक्ति केंद्रों और अमृतसर के गुरुद्वारे में अवैध रूप से हथियार जमा कर रखे थे. नशामुक्ति केंद्रों में आने वाले युवाओं को बहला-फुसलाकर 'गन कल्चर' की ओर धकेला जा रहा था.
- इन युवाओं को आतंकवादी दिलावर सिंह का रास्ता चुनने के लिए उकसाया जा रहा था. दिलावर सिंह सुसाइड बॉम्बर था. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या आत्मघाती हमले में हो गई थी. ये हमला दिलावर सिंह ने ही किया था.