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'पंथ और परिवार में से हमेशा पंथ ही चुनूंगा...', मां के बयान के बाद सोशल मीडिया पोस्ट में बोले सांसद अमृतपाल

अमृतपाल ने कहा, "जब मुझे मां द्वारा दिए गए बयान के बारे में पता चला तो मेरा मन बहुत दुखी हुआ. बेशक, मुझे यकीन है कि यह बयान मां ने अनजाने में दिया होगा, लेकिन फिर भी ऐसा बयान मेरे परिवार या मेरा समर्थन करने वाले किसी भी व्यक्ति की तरफ से नहीं आना चाहिए. "

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अमृतपाल सिंह (फाइल फोटो)
अमृतपाल सिंह (फाइल फोटो)

अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) ने लोकसभा सांसद की शपथ लेने के बाद अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक बयान जारी किया है. उन्होंने अपनी मां के बयान से खुद को अलग करते हुए पोस्ट में कहा 'जब मुझे आज मां द्वारा कल दिए गए बयान के बारे में पता चला तो मेरा दिल बहुत दुखी हुआ. बेशक, मुझे यकीन है कि यह बयान सच है."

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अमृतपाल ने पोस्ट में क्या कहा?

आज जब मुझे मां द्वारा दिए गए बयान के बारे में पता चला तो मेरा मन बहुत दुखी हुआ. बेशक, मुझे यकीन है कि यह बयान मां ने अनजाने में दिया होगा, लेकिन फिर भी ऐसा बयान मेरे परिवार या मेरा समर्थन करने वाले किसी भी व्यक्ति की तरफ से नहीं आना चाहिए. खालसा राज्य का ख्वाब देखना कोई गुनाह नहीं, गर्व की बात है. जिस रास्ते के लिए लाखों सिखों ने अपनी जान कुर्बान की है, उससे पीछे हटने का हम ख्वाब में भी नहीं देख सकते.

अमृतपाल ने आगे कहा, "मैंने मंच से बोलते हुए कई बार कहा है कि अगर मुझे पंथ और परिवार में से किसी एक को चुनना पड़े, तो मैं हमेशा पंथ को ही चुनूंगा. इस संबंध में इतिहास का यह वाक्य बहुत सटीक बैठता है, जहां 14 वर्षीय बंदा सिंह बहादुर के साथ सिंहों ने उसकी जान बचाने के लिए उसकी मां को शहीद कर दिया और उसे सिख होने से अलग कर दिया और कहा कि यह मेरी मां नहीं है. बेशक यह उदाहरण इस घटना के लिए बेहद सख्त है, लेकिन सैद्धांतिक नजरिए से यह समझने के काबिल है."

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अमृतपाल सिंह ने अपने पोस्ट में कहा, "मैंने इसके लिए अपने परिवार को कभी नहीं डांटा. सिख राज्य पर समझौते के बारे में सोचना भी अस्वीकार्य है और उम्मीद है कि आगे यह गलती दोहराई जाएगी."

यह भी पढ़ें: अमृतपाल सिंह और इंजीनियर राशिद ने ली सांसद पद की शपथ, पुलिस हिरासत में पहुंचे थे संसद

अमृतपाल की मां ने क्या कहा था?

जेल में बंद नेता अमृतपाल सिंह के लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद उनकी मां ने कहा कि पंजाब के युवाओं के पक्ष में बोलने से वह "खालिस्तानी समर्थक" नहीं बन जाते. वह (अमृतपाल) खालिस्तानी समर्थक नहीं हैं. क्या पंजाब के बारे में बोलना, पंजाब के युवाओं को बचाना उन्हें खालिस्तानी समर्थक बनाता है?उन्होंने संविधान के दायरे में चुनाव लड़ा और अब उन्हें (खालिस्तानी समर्थक) नहीं कहा जाना चाहिए.

खडूर साहिब सीट से हुई अमृतपाल की जीत

अमृतपाल, पंजाब की खडूर साहिब सीट से लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी. अमृतपाल सिंह 197120 वोटों से फतह हासिल की. उसे कुल 404430 वोट मिले. वहीं, कांग्रेस के कुलबीर सिंह जीरा को 207310 वोट मिले. साल 2019 के नतीजों की बात करें तो यहां कांग्रेस के जसबीर सिंह गिल की जीत हुई थी. 

अमृतपाल, फिलहाल असम की जेल में बंद है. जेल में बंद रहते हुए उसने ये चुनाव लड़ा है. Waris Punja De संगठन के मुखिया अमृतपाल को पिछले साल नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत अरेस्ट किया गया था.

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