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अपर्णा यादव की नाराजगी, महिला आयोग उपाध्यक्ष पद स्वीकार करने पर सस्पेंस जारी

अपर्णा यादव महिला आयोग की उपाध्यक्ष बनाए जाने से नाखुश हैं और उन्होंने अब तक यह पद स्वीकार नहीं किया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और अन्य नेताओं से चर्चा के बावजूद, अपर्णा के फैसले पर सस्पेंस बना हुआ है.

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अपर्णा यादव (फाईल फोटो)
अपर्णा यादव (फाईल फोटो)

अपर्णा यादव, जो हाल ही में महिला आयोग की उपाध्यक्ष बनाई गई हैं, अपनी नाराजगी के कारण चर्चा में हैं. उनके करीबी सूत्रों के अनुसार, अपर्णा इस बात से नाखुश हैं कि बीजेपी ने उन्हें बिना जानकारी दिए उपाध्यक्ष का पद सौंपा और यह उनके कद के अनुरूप नहीं है. हालांकि, अपर्णा ने अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन उनकी नाखुशी धीरे-धीरे सामने आ रही है.

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जानकारी के अनुसार, अपर्णा यादव ने अपनी नाराजगी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से व्यक्त की. चौधरी ने उन्हें सलाह दी कि वह पद स्वीकार कर लें क्योंकि कोई भी पद छोटा या बड़ा नहीं होता. इसके बावजूद, अपर्णा ने अब तक यह पद स्वीकार नहीं किया है. शहर में उनके सम्मान में कई जगह स्वागत के पोस्टर लगाए गए, लेकिन अपर्णा ने किसी भी कार्यक्रम में शिरकत नहीं की और न ही किसी बधाई संदेश का जवाब दिया. उन्होंने सोशल मीडिया पर भी अब तक इस विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

सूत्रों का कहना है कि अपर्णा यादव फिलहाल इस पद को स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं. शुक्रवार सुबह, उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से भी इस मुद्दे पर बातचीत की, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है. दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, इसकी जानकारी भी सामने नहीं आई है.

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इस बीच, महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने पदभार ग्रहण कर लिया है, साथ ही अन्य सदस्यों, उपाध्यक्ष और सचिव ने भी अपने पद संभाल लिए हैं. लेकिन अपर्णा यादव अभी भी अपने फैसले को लेकर चुप हैं और उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया है.

बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह ने आज अपर्णा यादव से मिलने का प्रयास किया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वह उपाध्यक्ष का पद ग्रहण करेंगी या नहीं. इस मुद्दे पर सस्पेंस अभी भी बना हुआ है. 

दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के नेता इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. उनका कहना है कि यह बीजेपी का आंतरिक मामला है, इसलिए पार्टी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देगी, चाहे अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव की बहू ही क्यों न हों. समाजवादी पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे इस मामले में कोई पक्ष नहीं लेंगे.

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