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'वे देश का नाम कैसे रोशन करेंगे?', शूटर को आर्म्स लाइसेंस देने में देरी पर बॉम्बे HC ने मुंबई पुलिस को लगाई फटकार

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को मुंबई पुलिस को शस्त्र लाइसेंस जारी करने में अनावश्यक देरी पर कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट का कहना था कि यह खेलप्रेमियों के प्रति बेहद अनुचित है. पेशे से डॉक्टर और शूटर साइरस मेहता ने लाइसेंस की मांग की थी, जिसकी प्रक्रिया फरवरी से लंबित थी.

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बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को मुंबई पुलिस के अधिकारियों को एक खिलाड़ी को शस्त्र लाइसेंस जारी करने में देरी पर फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि यह खेलप्रेमियों के प्रति अनुचित है. डॉक्टर और खिलाड़ी साइरस मेहता ने लाइसेंस की मांग की थी, जिसकी प्रक्रिया फरवरी से लंबित थी. पुलिस से जल्द फैसला लेने के निर्देश दिए गए हैं.

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बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और डॉक्टर नीला गोकले ने मुंबई पुलिस की आलोचना करते हुए कहा कि ये वे लोग हैं जो देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, फिर भी अधिकारियों की ओर से उनके मामले में इस प्रकार की लापरवाही क्यों हो रही है? बेंच ने यह भी कहा कि खिलाड़ियों के प्रति ऐसा बर्ताव स्वीकार्य नहीं है.

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साइरस मेहता ने कोर्ट में दायर की थी याचिका

कोर्ट साइरस मेहता की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो एक खिलाड़ी होने के साथ-साथ मुंबई पुलिस के सम्मान्य नेत्रविज्ञानी भी हैं. मेहता के वकील साक्षी चव्हाण ने अदालत को बताया कि 'प्रसिद्ध शूटर' के रूप में योग्य खिलाड़ी को 10 शस्त्रों के लिए लाइसेंस प्राप्त करने का अधिकार होता है. जनवरी में मुंबई पुलिस के पास आवेदन किए जाने के बावजूद मेहता को फरवरी तक लाइसेंस प्राप्त नहीं हुआ.

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एक महीने बाद भी नहीं मिला लाइसेंस

अदालत ने देखा कि एक महीने बाद भी लाइसेंस जारी नहीं हुआ, जिससे मेहता को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. पुलिस अधिकारी ने अदालत को सूचित किया कि अधिक समय लगने का कारण कफ परेड पुलिस स्टेशन से रिपोर्ट मंगाना है, जिस पर अदालत ने सवाल उठाया कि क्या डिजिटलीकरण के युग में ऐसी देरी जायज है?

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खिलाड़ी बेहतर व्यवहार के हकदार होते हैं!

जस्टिस डेरे ने पुलिस अधिकारी से कहा कि "देश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ी बेहतर व्यवहार के हकदार होते हैं. आवेदन को स्वीकृत या अस्वीकृत करने का निर्णय शीघ्र लिया जाना चाहिए ताकि खिलाड़ी कानूनी उपचार का लाभ उठा सकें." अदालत ने इस सप्ताह के भीतर आदेश जारी करने के निर्देश दिए हैं और यह भी कहा कि "लोग हाईकोर्ट को रुख करने पर विवश होंगे अगर समयानुसार कार्य नहीं हुआ." याचिका पर अगली सुनवाई 24 मार्च को होनी है.

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