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हादसे में बेटे की मौत के बाद आर्मी जवान ने लिया बड़ा फैसला... अंगदान से 6 लोगों को मिली नई जिंदगी

अपने बेटे को खोने के गम में डूबे एक सेना के हवलदार ने ऐसा फैसला लिया, जिसने कई लोगों को नई जिंदगी दी. दरअसल, हवलदार के बेटे की हादसे में मौत हो गई थी. इसके बाद उन्होंने अंगदान करने का फैसला किया. इससे छह जरूरतमंद मरीजों को जीवनदान मिला है. इस मुश्किल घड़ी में उनका यह साहसिक कदम मानवता की मिसाल बन गया.

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अर्शदीप सिंह. (File Photo)
अर्शदीप सिंह. (File Photo)

सेना के हवलदार ने अपने बेटे की असमय मृत्यु के बाद ऐसा कदम उठाया, जो न सिर्फ मानवता की मिसाल बना, बल्कि छह लोगों को नई जिंदगी भी दी. सड़क दुर्घटना में बेटे को खोने के बावजूद उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए अंगदान करने का फैसला किया. उन्होंने लिवर, किडनी, अग्न्याशय और कॉर्निया डोनेट कर अपने बेटे की यादों को अमर कर दिया और कई जरूरतमंदों को जिंदगी दी.

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दरअसल, सेना के हवलदार नरेश कुमार के 18 वर्षीय बेटे अर्शदीप सिंह का 8 फरवरी 2025 को एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था. इस दर्दनाक क्षति के बावजूद हवलदार नरेश कुमार ने साहसिक निर्णय लिया. 16 फरवरी 2025 को उन्होंने अपने बेटे के लिवर, किडनी, अग्न्याशय (पैंक्रियास) और कॉर्निया को डोनेट करने की सहमति दी. इस फैसले से छह गंभीर रूप से बीमार मरीजों को नया जीवन मिला.

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इस ऑर्गन डोनेट की प्रक्रिया के तहत अर्शदीप के लिवर और किडनी को तुरंत ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से सेना अस्पताल रिसर्च एंड रेफरल नई दिल्ली भेजा गया. वहीं, किडनी और अग्न्याशय को पीजीआई में एक गंभीर टाइप-1 डायबिटीज और क्रॉनिक किडनी डिजीज से जूझ रहे पेशेंट को ट्रांसप्लांट किया गया. 

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इसके अलावा, दो जरूरतमंदों को आंखों की रोशनी देने के लिए कॉर्निया को सेफ रख लिया गया. इस प्रक्रिया में चंडीमंदिर स्थित कमांड हॉस्पिटल की विशेषज्ञ टीम की भूमिका रही. यह हॉस्पिटल ऑर्गन ट्रांसप्लांट और ऑर्गन रिट्रीवल के लिए जाना जाता है. हवलदार नरेश कुमार की यह पहल समाज को भी प्रेरित करेगी कि कठिनाइयों और व्यक्तिगत क्षति के बावजूद हम दूसरों के जीवन में आशा और प्रकाश भर सकते हैं. 

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