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बिना वारंट गिरफ्तारी, 5 लाख तक जुर्माना, 5 साल तक सजा... क्या है सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट, जिसकी मांग पर अड़े हुए हैं डॉक्टर?

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बीते शुक्रवार को 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर का शव बरामद हुआ था. शरीर के कई अंगों से खून बह रहा था. गर्दन की हड्डी भी टूटी हुई थी. सामने आया कि ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या की गई है. मंगलवार को हाई कोर्ट ने मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की सौंप दी.

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कोलकाता की घटना के विरोध में जगह-जगह डॉक्टर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.
कोलकाता की घटना के विरोध में जगह-जगह डॉक्टर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप के बाद हत्या का मामला गरमा गया है. इस पूरे केस की जांच अब सीबीआई को सौंपी गई है. कोलकाता हाईकोर्ट ने मंगलवार को ये आदेश दिए हैं. हालांकि, डॉक्टर्स ने हड़ताल वापस नहीं ली है और दो टूक कह दिया है कि उनका विरोध प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा, जब तक मेडिकल स्टाफ पर हमलों को रोकने के लिए केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम (सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट) लागू नहीं हो जाता. इस कानून में बिना वारंट गिरफ्तारी, 5 लाख तक जुर्माना और 5 साल तक सजा का प्रावधान है. जानिए क्या है ये कानून?

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बीते शुक्रवार को 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर का शव बरामद हुआ था. शरीर के कई अंगों से खून बह रहा था. गर्दन की हड्डी भी टूटी हुई थी. सामने आया कि ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या की गई है. पुलिस मामले में 5 दिन से जांच कर रही थी. लेकिन ये मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा तो मंगलवार को कोर्ट ने मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की सौंप दी. फिलहाल, सीबीआई की एक टीम कोलकाता पहुंच गई है.

केंद्रीय कानून की मांग क्यों कर रहे हैं डॉक्टर्स? 

मेडिकल स्टाफ को किसी हिंसा से बचाने के लिए केंद्रीय कानून बनाने की मांग की जा रही है. कानूनी जानकारों का तर्क है कि राष्ट्रीय कानून लागू किया जाता है तो स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा गैर-जमानती अपराध बन जाएगी और इसके लिए कठोर दंड के प्रावधान होंगे. ऐसी घटनाओं को रोकने में भी मदद मिल सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में देश के 19 राज्यों ने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए कानून बनाए हैं. आंध्र प्रदेश 2007 में इस तरह का कानून लागू करने वाला पहला राज्य था, जिसने डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को गैर-जमानती अपराध बना दिया. दोषी को ना सिर्फ जुर्माना देना होता है, बल्कि कारावास की सजा भी हो सकती है. 

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डॉक्टरों के लिए केंद्रीय संरक्षण अधिनियम क्या है? 

'हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स और क्लिनिकल प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक, 2022' को डॉक्टरों के लिए केंद्रीय संरक्षण अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है. इसे 2022 में लोकसभा में पेश किया गया था. इस प्रस्तावित कानून में हिंसा को परिभाषित किया गया है. ऐसे कृत्यों को प्रतिबंधित और अपराधियों के लिए दंड निर्धारित किया गया है. यह घटनाओं की रिपोर्टिंग को भी अनिवार्य बनाता है और इसमें सार्वजनिक संवेदनशीलता और शिकायत निवारण के प्रावधान शामिल हैं. ऐसे मामलों की जांच के लिए एक पैनल बनाने का प्रावधान है.

केंद्रीय संरक्षण अधिनियम के प्रमुख प्रावधान क्या हैं? 

इस कानून का उद्देश्य डॉक्टरों, नर्सों, अन्य स्वास्थ्यकर्मियों और अस्पतालों को हिंसा से सुरक्षा प्रदान करना है. विधेयक में हिंसा को शारीरिक हमले, मौखिक दुर्व्यवहार, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और चिकित्सा कर्मियों के कार्य में अवरोध के रूप में परिभाषित किया गया है.
- इस अधिनियम के तहत अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है और प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा मुकदमा चलाया जा सकता है.
- जो कोई भी धारा 3 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए हिंसा का कोई कार्य करेगा या करने का प्रयास करेगा या उकसाएगा, उसे कारावास से दंडित किया जाएगा जो छह महीने से कम नहीं होगा, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है. जुर्माना जो पांच हजार रुपये से कम नहीं होगा और पांच लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है.
- नजदीकी पुलिस स्टेशन के साथ इंटरलॉकिंग समेत अस्पताल की सुरक्षा मजबूत की जाए. परामर्श फीस, टेस्ट रेट और अस्पतालों के अन्य खर्चों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए.

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PDF देखें

प्रस्तावित कानून की वर्तमान स्थिति क्या है? 

स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों और क्लीनिकल प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक, 2022 सदन में पेश किए जाने के बावजूद अभी तक कानून नहीं बनाया गया है. फरवरी 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने राज्यसभा को सूचित किया था कि स्वास्थ्य सेवा कार्मिक और क्लीनिकल प्रतिष्ठान (हिंसा और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का निषेध) विधेयक, 2019 का मसौदा तैयार किया गया था और परामर्श के लिए भेजा गया था, लेकिन अलग से कानून बनाने का फैसला नहीं किया गया है. अभी फिलहाल महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 लागू है. ये 22 अप्रैल, 2020 को लाया गया. रोग (संशोधन) अधिनियम के तहत, हिंसा या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के कृत्य तीन महीने से पांच साल तक की कैद और 50 हजार रुपये से 2 लाख रुपये के बीच जुर्माने के साथ दंडनीय हैं. गंभीर चोट पहुंचाने के मामलों में छह महीने से लेकर सात साल तक की कैद और 1 लाख से 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. अपराधियों को पीड़ितों को मुआवजा देने और संपत्ति को हुए नुकसान के लिए उचित बाजार मूल्य से दोगुना भुगतान करने की भी जिम्मेदारी है.

डॉक्टर्स क्यों हड़ताल पर अड़े हैं?

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इधर, एम्स दिल्ली, इंदिरा गांधी अस्पताल और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) समेत अन्य रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशनों के डॉक्टर्स ने साफ कहा है कि इस घटना से नाराजगी है और वो अपनी हड़ताल वापस नहीं लेंगे. मंगलवार को एक बयान में एम्स ने कहा, हमने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि सभी रेजिडेंट डॉक्टर अपनी हड़ताल जारी रखेंगे. उन्होंने केंद्रीय संरक्षण अधिनियम लागू करने समेत अपनी मांगों को दोहराया. साथ ही सीबीआई जांच का भी स्वागत किया. बयान में कहा गया कि इमरजेंसी सेवाएं, आईसीयू, इमरजेंसी प्रक्रियाएं और इमरजेंसी ओटी चालू रहेंगी. 

FAIMA का कहना था कि अभी तक हमें कोई ठोस समाधान नहीं मिला है, इसलिए हम बुधवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखेंगे. डॉक्टर्स का कहना था कि अभी हड़ताल वापस लेने का मतलब होगा कि महिला रेजिडेंट डॉक्टरों को कभी न्याय नहीं मिलेगा. यह आंदोलन एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और अब इसे छोड़ने से गति खोने का खतरा है. साथ ही इसी तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति होने की संभावना है.

FORDA ने वापस ली हड़ताल

इससे पहले सोमवार को फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के साथ बैठक की और अपनी हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया. FORDA का कहना था कि सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने समेत उनकी मांगें स्वीकार कर ली गई हैं. केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम पर काम करने के लिए फोर्डा की भागीदारी के साथ एक कमेटी बनाने पर स्वास्थ्य मंत्री ने सहमति जताई है. मंत्रालय ने आश्वासन दिया है कि इस पर अगले 15 दिन के भीतर काम शुरू हो जाएगा. 

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