प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) की अपनी एक दिवसीय यात्रा के दौरान सेला सुरंग परियोजना (Sela Tunnel project) का उद्घाटन किया. कुल 825 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह सुरंग तेजपुर से तवांग को जोड़ने वाली सड़क पर पश्चिम कामेंग जिले में 13,700 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है. इस प्रोजेक्ट की आधारशिला पीएम मोदी ने फरवरी 2019 में रखी थी.
बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन द्वारा पूरे किए गए सेला प्रोजेक्ट में दो सुरंगें और एक लिंक रोड शामिल है.
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सेला सुरंग की अहम बातें
पहली सुरंग 980 मीटर लंबी सिंगल-ट्यूब होगी, दूसरी सुरंग 1,555 मीटर लंबी होगी, जिसमें यातायात और एक आपातकालीन सेवाओं के लिए एक बाय-लेन ट्यूब होगी. दोनों सुरंगों के बीच लिंक रोड है, जो 1,200 मीटर लंबी है.
यह सुरंग तवांग इलाके को हर मौसम में कनेक्टिविटी मुहैया करेगी, जिसका चीन लंबे समय से विरोध कर रहा है. चीन इस इलाके को प्राचीन क्षेत्र का हिस्सा बताता है. सेला दर्रा (Sela Pass) सर्दियों में कुछ महीनों के लिए बंद रहता है. 1962 में, चीनी सैनिक इस इलाके में भारतीय सेना के साथ भिड़ गए थे. अहम बात यह है कि उस साल 24 अक्टूबर को तवांग शहर पर कब्जा कर लिया गया था.
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सेला सुरंग की अहमियत को इसी बात से समझा जा सकता है कि इस टनल के पूरा बनने के बाद तवांग के जरिए चीन सीमा तक की दूरी 10 किलोमीटर तक घट जाएगी. इसके अलावा असम के तेजपुर और अरुणाचल के तवांग में सेना के जो चार कोर मुख्यालय स्थित हैं, उनके बीच की दूरी भी करीब एक घंटे कम हो जाएगी.
ये भी बताया जा रहा है कि इस सुरंग की वजह से बोमडिला और तवांग के बीच 171 किलोमीटर दूरी काफी सुलभ बन जाएगी और हर मौसम में कम समय में वहां जाया जा सकेगा. साथ ही यह सुरंग चीन-भारत सीमा के साथ आगे के क्षेत्रों में सैनिकों, हथियारों और मशीनरी की तेजी से तैनाती करके एलएसी पर भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाएगी.